लालू और नीतीश साथ बैठे.... लेकिन 'मिले नहीं', बढ़ती नजर आ रही RJD-JDU में दरार

मकर संक्राति के दिन लालू यादव के घर नीतीश कुमार को पैदल आते हुए देख ऐसा लगा कि आज जेडीयू और आरजेडी के ठंडे पड़ रहे रिश्‍तों में गर्माहट आएगी. घर के दरवाजे पर तेजस्‍वी यादव ने नीतीश कुमार का स्‍वागत किया. दोनों पार्टियों के सैकड़ों कार्यकर्ता भी इस दौरान मजबूत थे.

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नई दिल्‍ली:

बिहार की राजनीति इन दिनों एक अलग दौर से गुजर रही है. राज्‍य में आरजेडी और जेडीयू के गठबंधन की सरकार है, लेकिन दोनों पार्टियों के रिश्‍तों में दरार साफ नजर आ रही है. ये दरार मकर संक्राति के दिन भी देखने को मिली, जब मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार, आरजेडी अध्‍यक्ष लालू यादव के घर दही चूड़ा खाने पहुंचे. बिहार में मकर संक्राति के दिन दही खाने और खिलाने की परंपरा रही है. दही के बहाने सियासी समीकरणों को साधने की कवायद होती है. नीतीश कुमार अपने घर से पैदल चलकर लालू यादव के घर पहुंचे, लेकिन ये सब कवायद भी दोनों के रिश्तों में गर्माहट नहीं ला पाई.

पैदल चलकर लालू से मिलने पहुंचे नीतीश 

मकर संक्राति के दिन लालू यादव के घर नीतीश कुमार को पैदल आते हुए देख ऐसा लगा कि आज जेडीयू और आरजेडी के ठंडे पड़ रहे रिश्‍तों में गर्माहट आएगी. घर के दरवाजे पर तेजस्‍वी यादव ने नीतीश कुमार का स्‍वागत किया. दोनों पार्टियों के सैकड़ों कार्यकर्ता भी इस दौरान मजबूत थे. लगभग 3 महीने बाद नीतीश कुमार का लालू यादव के यहां आना हो रहा था. सैकड़ों कार्यकर्ताओं की मौजूदगी में नीतीश और लालू यादव की मुलाकात हुई. कार्यकर्ताओं में उत्‍साह था. ऐसा लगा कि अब दूरियां मिल जाएंगी... 

लालू-नीतीश साथ बैठे, लेकिन 'मिले' नहीं

लालू और नीतीश साथ बैठे... ठंड बहुत थी, तो दोनों के सामने अलाव जलाया गया. लेकिन यह सब कवायद भी दोनों के रिश्‍तों में गर्माहट नहीं ला पाई. लालू और नीतीश लगभग 9 मिनट तक एक-दूसरे के अलग-बगल बैठे रहे, लेकिन शायद ही दोनों ने एक दूसरे को एक भी बार देखा. ये पूरा दृश्‍य मीडिया के कैमरों के साथ-साथ कार्यकर्ताओं ने भी देखा. ऐसा लग ही नहीं रहा था कि लालू यहां मौजूद हैं. लालू का चिरपरिचित अंदाज यहां नहीं दिखा. कोई हंसी-मजाक या हल्‍का-फुल्‍का पल भी इस दौरान देखने को नहीं मिला. वहीं, नीतीश कुमार को तो देखकर ऐसा लग रहा था कि वह सिर्फ दही-चूड़े का प्रसाद खाने ही आए हैं.   

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...जब लालू ने दही से किया था नीतीश का तिलक

इस बार मकर संक्राति का दृश्‍य 2015 से बिल्‍कुल जुदा था. 2015 में नीतीश कुमार जब लालू के घर आए थे, तो उनका स्‍वागत लालू ने माथे पर दही का टीका लगाकर किया गया था. साथ ही कहा था कि अब आप मुख्‍यमंत्री बनेंगे. इस दौरान लालू और नीतीश के बीच गजब की गर्मजोशी देखने को मिली थी. आज ऐसी कोई भी गर्मजोशी दिखाई नहीं दी. इस बार साफ नजर आ रहा था कि दोनों पार्टियों के बीच रिश्‍तों की खाई काफी बढ़ गई है. 

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बढ़ती जा रही आरजेडी और जेडीयू में दरार

बिहार की राजनीति में पिछले कुछ समय से काफी उथल-पुथल देखने को मिल रही है. बीते कुछ दिनों में आरजेडी और जेडीयू के बीच विवादों की खबरें आती रही हैं. पिछले दिनों जब नीतीश कुमार ने नए अध्‍यापकों को नियुक्ति पत्र बांटे थे, तो इस कार्यक्रम के विज्ञापनों में तेजस्‍वी यादव का नाम तक नहीं था. तब आरजेडी को कहना पड़ा था कि जेडीयू नौकरियां तब दे पा रही है, जब आरजेडी ने उनका सहयोग किया है. कहा तो यह भी जाता है कि राजीव रंजन सिंह उर्फ लल्‍लन सिंह की छुट्टी जेडीयू के अध्‍यक्ष पद से इसलिए हुई, क्‍योंकि वह आरजेडी के काफी करीब नजर आ रहे थे.  

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