बिहार में विधानसभा चुनाव की करारी हार के बाद आरजेडी के भीतर मचा घमासान अब परिवार की चारदीवारी से निकलकर सड़क तक पहुंच गया है. लंबे समय से दबे हुए विरोध, नाराज़गी और अंदरूनी खींचतान अब खुलकर सामने आ रही है. पार्टी के भीतर की यह लड़ाई सोमवार शाम उस समय और गहरा गई, जब राबड़ी देवी के सरकारी आवास के बाहर आरजेडी समर्थक अचानक जमा हो गए और जमकर हंगामा करने लगे. RJD कार्यकर्ताओं ने राज्यसभा सांसद संजय यादव को चुनावी हार का 'मुख्य दोषी' बताते हुए 'संजय यादव मुर्दाबाद', 'संजय यादव हरियाणा वापस जाओ' जैसे नारे लगाए.
लालू-राबड़ी ने साधी चुप्पी
पार्टी में उठे इन तीखे सवालों के बीच लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और अन्य वरिष्ठ नेता पूरी तरह चुप्पी साधे हैं. चुनावी शिकस्त के साथ-साथ परिवार में बढ़ती दरार ने लालू परिवार पर दोहरी चुनौती खड़ी कर दी है. सोमवार को राबड़ी निवास की तस्वीर भी बदली हुई दिखी. जहां सामान्य दिनों में नेताओं और कार्यकर्ताओं की आवाजाही लगी रहती थी, वहीं कल माहौल शांत और खाली नजर आया.
वहीं सोमवार शाम हुई RJD की समीक्षा बैठक में नेता हार के कारणों की पड़ताल करते दिखे. कई उम्मीदवारों ने नतीजों पर सवाल उठाते हुए कहा कि बिना गड़बड़ी के ऐसे नतीजे नहीं आ सकते और संकेत दिया कि पार्टी कानूनी विकल्पों पर भी विचार कर रही है.
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बैठक में विजयी और पराजित उम्मीदवारों के साथ लालू प्रसाद, राबड़ी देवी और मीसा भारती भी मौजूद रहीं. संगठन को नए सिरे से खड़ा करने और बूथ स्तर तक मजबूती देने पर चर्चा हुई. गौरतलब है कि बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन को भारी नुकसान उठाना पड़ा.
सिर्फ 25 सीटें ही जीत सकी RJD
आपको बता दें कि आरजेडी 143 सीटों पर लड़कर सिर्फ 25 सीटें जीत सकी है. वहीं कांग्रेस को 6 सीटें मिली हैं तो सीपीआई (माले) लिबरेशन को 2 सीटें और इंडियन इन्क्लूसिव पार्टी और माकपा को 1-1 सीट मिली है. इसके अलावा विकासशील इंसान पार्टी (VIP) का पूरी तरह सफाया हो गया है.
पारिवारिक अंतर्कलह से जूझ रहा लालू परिवार
चुनावी हार से उपजा तनाव और लालू परिवार में आपसी कलह से आरजेडी आज जिस मोड़ पर खड़ी है, वहां चुनौती सिर्फ राजनीतिक नहीं, संगठनात्मक और पारिवारिक दोनों मोर्चों की है.
राबड़ी आवास के बाहर हुआ हंगामा और नेताओं के बीच बढ़ती दूरी साफ संकेत देती है कि चुनावी हार के बाद आरजेडी अब सबसे कठिन दौर से गुजर रही है. सवाल यह है कि क्या पार्टी इस टूटन को रोक पाएगी या कलह और भी गहराएगी?














