कांग्रेस सांसदों को लक्षद्वीप आने की इजाजत नहीं, प्रशासन ने कहा- अशांति और कोविड फैल सकता है

लक्षद्वीप (Lakshadweep) प्रशासन ने शनिवार को कांग्रेस नेताओं को द्वीप समूह आने की अनुमति देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि ‘ राजनीतिक क्रियाकलाप’ के लिए उनकी इस यात्रा से शांतिपूर्ण माहौल में ‘बाधा’ उत्पन्न होगी.

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प्रफुल्ल पटेल लक्षद्वीप के प्रशासक हैं. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

लक्षद्वीप (Lakshadweep) प्रशासन ने शनिवार को कांग्रेस नेताओं को द्वीप समूह आने की अनुमति देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि ‘ राजनीतिक क्रियाकलाप' के लिए उनकी इस यात्रा से शांतिपूर्ण माहौल में ‘बाधा' उत्पन्न होगी. इस द्वीप समूह में लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण विनियमन के मसौदे को वापस लेने की मांग करते हुए प्रदर्शन किए जा रहे हैं. प्रशासन ने यह भी कहा कि ऐसी भी संभावना है कि ये नेता द्वीप समूह के बहुत सारे लोगों से मिलेंगे, जिससे द्वीप समूह में COVID-19 और फैल सकता है.

अतिरिक्त जिलाधिकारी एस असकर अली ने अपने आदेश में कांग्रेस नेताओं-- टी एन प्रथपान, हिबी इडेन और ऑल इंडिया फिशरमैन कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय कानूनी सलाहकार को द्वीप पर आने की अनुमति नहीं दी और कहा कि उनकी यात्रा ‘‘राजनीतिक कार्रवाई जान पड़ती है.''

वहीं दूसरी ओर हाल ही में लक्षद्वीप के निवासियों ने घरों के आस-पास नारियल पेड़ के पत्ते, तने या नारियल के खोल पाए जाने पर जुर्माना लगाने के प्रशासन के आदेश के खिलाफ समूचे द्वीप में “नारियल के पत्ते एवं झाड़ों” के साथ प्रदर्शन किया.

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“पलवार शुरू करें” और “जुर्माना लगाना बंद करें” लिखी तख्तियां हाथों में लिए द्वीप निवासी सेव लक्षद्वीप फोरम के बैनर तले अपने घरों के सामने पड़ी नारियल की पत्तियों के ढेर के सामने खड़े हुए और प्रशासन से “जन-विरोधी' आदेश वापस लेने की अपील की.

मल्चिंग यानी पलवार मिट्टी के कटाव को रोकने के लिए, नमी के वाष्पीकरण को रोकने और खरपतवार की वृद्धि को रोकने के लिए मिट्टी की सतह पर सामग्री की परत लगाने को कहा जाता है. घंटे भर चले प्रदर्शन में , द्वीप वासियों ने प्रशासन से उनपर जुर्माना लगाने का फैसला वापस लेने और नारियलों से जैविक सामग्रियों को खाद में बदलने की प्रौद्योगिकी लाने की अपील की ताकि मिट्टी की उर्वरक शक्ति एवं गुणवत्ता को सुधारा जा सके.

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लक्षद्वीप से सांसद मोहम्मद फैजल पीपी ने बताया, “हमारी मांग है कि लोगों पर लगाया जाने वाला जुर्माने का आदेश वापस लिया जाए और उचित अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली लागू की जाए. जब तक अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली लागू नहीं की जाती तब तक प्रशासन की ओर से लोगों के घर में नारियल के पत्ते और तने या फल जैसी अन्य चीजें गिरने पर जुर्माना वसूलने का कोई अधिकार नहीं है.”

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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