कोलकाता के एक मध्यमवर्गीय परिवार में यह एक आम सुबह थी, जब उन्हें पता चला कि उनकी बेटी अब इस दुनिया में नहीं है. वह बेटी जिसने डॉक्टर बनकर अपने माता-पिता को गौरवान्वित किया था और आगे की पढ़ाई कर रही थी. एक लंबी शिफ्ट के लिए वह आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में थी. पिछली रात करीब 11.30 बजे उसने अपनी मां को फोन किया था और हमेशा की तरह उससे बात की थी. मां ने लंबी बातचीत नहीं की. उन्हें नहीं पता था कि यह उनकी बेटी का उन्हें आखिरी फोन कॉल है. कोलकाता डॉक्टर रेप-मर्डर केस (Kolkata Doctor Rape-Murder Case) में 9 अगस्त की सुबह आधे घंटे के भीतर आए तीन फोन कॉल ने एक परिवार की हंसती-खेलती जिंदगी को अचानक से बिखेर दिया था.
एनडीटीवी के पास उन तीन फोन कॉल्स का ऑडियो है. यह तीन फोन कॉल्स 31 साल की डॉक्टर के माता-पिता को किए गए थे, जिनकी बेटी के साथ उस सुबह कोलकाता के अस्पताल में रेप और मर्डर की जघन्य वारदात हुई थी. यह बातचीत बांग्ला में है. यह आवाजें बेटी की मौत से लगने वाले सदमे को दर्शाती हैं. इसके बाद बुजुर्ग माता-पिता अस्पताल पहुंचे थे और उन्होंने अपनी बेटी को मृत और बेहद क्रूर स्थिति में पाया था.
पहली कॉल
रेप-मर्डर पीड़िता के माता-पिता ने कोर्ट को बताया कि पहली कॉल सुबह 10.53 बजे आई थी. कॉल करने वाली एक महिला थी, जिसकी पहचान अस्पताल की असिस्टेंट सुपरिटेंडेंट के रूप में की गई है.
पीड़िता के पिता : क्या हुआ है मुझे बताइए.
कॉलर : उसकी हालत बहुत खराब है, कृपया जल्द से जल्द आएं.
पीड़िता के पिता : कृपया हमें बताइए कि हुआ क्या है?
कॉलर : यह डॉक्टर बताएंगे, आप जल्दी आइए.
पीड़िता के पिता : आप कौन हैं?
कॉलर : मैं असिस्टेंट सुपरिटेंडेंट हूं, डॉक्टर नहीं.
पीड़िता के पिता : वहां डॉक्टर नहीं हैं?
कॉलर : मैं असिस्टेंट सुपरिटेंडेंट हूं. हम आपकी बेटी को इमरजेंसी में लेकर आए हैं. आप आएं और हमसे संपर्क करें.
पीड़िता की मां : उसे क्या हुआ है, वह तो ड्यूटी पर थी.
कॉलर : आप जल्दी आएं, जितनी जल्दी हो सके.
दूसरी कॉल
दूसरी कॉल में एक पुरुष की आवाज सुनाई देती है. तब तक माता-पिता अस्पताल के लिए निकल चुके थे.
कॉलर : मैं आरजी कर (अस्पताल) से बोल रहा हूं.
पीड़िता की मां : हां बोलिए.
कॉलर : आप आ रहे हैं ना?
पीड़िता की मां : हां, हम आ रहे हैं. वह अब कैसी है?
कॉलर: आप आइए, हम बात करेंगे, आरजी कर हॉस्पिटल के चेस्ट डिपार्टमेंट एचओडी के पास आइए.
पीड़िता की मां : ठीक है.
तीसरी कॉल
यह तीसरी कॉल थी, जिसमें पीड़िता के माता-पिता को बताया गया कि उसकी मौत आत्महत्या से हुई है. यह बात अदालत में कई बार उठी है और जजों ने सवाल किया है कि माता-पिता को गुमराह क्यों किया गया. यह कॉल असिस्टेंट सुपरिटेंडेंट की थी, जिन्होंने पहली कॉल की थी.
पीड़िता के पिता: हैलो.
कॉलर: मैं असिस्टेंट सुपरिटेंडेंट हूं.
पीड़िता के पिता: हां.
कॉलर : बात यह है कि आपकी बेटी की मौत शायद आत्महत्या से हुई है. वह मर चुकी है, पुलिस यहां पर है, हम सब यहां हैं, कृपया जितनी जल्दी हो सके आएं.
पीड़िता के पिता: हम अभी आ रहे हैं
पीड़िता की मां : (पीछे से चिल्लाती सुनाई पड़ती है ) : मेरी बेटी अब नहीं रही.
माता-पिता का 3 घंटे इंतजार कराने का आरोप
पीड़ित के माता-पिता के साथ अस्पताल प्रशासन की बातचीत उस भयावह घटना का एक पहलू है, जो कलकत्ता हाई कोर्ट और सुप्रीम में बार-बार जांच के दायरे में आया है. हाई कोर्ट में अपनी याचिका में माता-पिता ने कहा कि उन्हें तीन घंटे तक इंतजार कराया गया. उन्हें संदेह है कि यह देरी जानबूझकर की गई थी. हालांकि कोलकाता पुलिस ने इसका विरोध किया है. उनका दावा है कि माता-पिता दोपहर 1 बजे अस्पताल पहुंचे और उन्हें सेमिनार हॉल में ले जाया गया, जहां 10 मिनट बाद उन्हें शव मिला.
इसके अदालतों ने यह भी सवाल किया है कि तत्कालीन प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष के नेतृत्व में अस्पताल प्रशासन ने औपचारिक रूप से पुलिस में शिकायत क्यों दर्ज नहीं कराई और पुलिस को अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज करना पड़ा. पीड़िता के पिता द्वारा औपचारिक शिकायत दर्ज कराने के बाद देर रात ही एफआईआर दर्ज की गई.
पिता ने दिल दहलाने वाले पल का किया जिक्र
एनडीटीवी से बात करते हुए पीड़िता के पिता ने उस दिल को दहलाने वाले पल का वर्णन किया जब उन्होंने अपनी बेटी का शव देखा. उन्होंने कहा था, "केवल मैं ही जानता हूं कि जब मैंने उसे देखा तो मुझ पर क्या गुजरी. उसके शरीर पर कपड़े नहीं थे. वह केवल एक चादर में लिपटी हुई थी. उसके पैर अलग थे और उसका एक हाथ उसके सिर पर था."
इस मामले में लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहा है और इस मुद्दे पर राजनीति भी तेज होती जा रही है. इन तीन फोन कॉल्स पर माता-पिता की आवाजें बताती हैं कि कैसे एक युवा लड़की की मौत कई तरह के विवादों के बीच व्यक्तिगत त्रासदी है.