कोलकाता रेप मर्डर : प्रदर्शन से लेकर सीएम ममता की अपील तक, टाइमलाइन से जानें कब क्या कुछ हुआ?

सीएम ममता बनर्जी ने कुछ दिन पहले भी प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों से मिलने की कोशिश की थी. इस दौरान उन्होंने डॉक्टरों के साथ एक बैठक भी बुलाई थी लेकिन उस बैठक में कोई भी डॉक्टर उनसे मिलने नहीं पहुंचा. इसके बाद ममता बनर्जी ने भावुक होते कहा था कि अगर आपको मेरी सरकार पर भरोसा नहीं है तो मैं अपने पद से इस्तीफा देने को तैयार हूं.

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कोलकाता रेप-मर्डर के विरोध में देशभर में प्रदर्शन
नई दिल्ली:

कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर रेप मर्डर केस से हर कोई गुस्से में हैं. इस मामले में इंसाफ की मांग को लेकर डॉक्टरों का प्रदर्शन अभी भी जारी है. डॉक्टरों का प्रदर्शन अब राज्य सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुका है. इसी बीच अब CBI ने सबूत मिटाने के आरोप में आरजी कर अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष और पुलिसकर्मी को भी गिरफ्तार किया है. सबूत मिटाने के आरोप में सीबीआई ने लोकल थाने का एसएचओ अभिजीत मंडल को गिरफ्तार किया है. सूत्रों के मुताबिक, इन पर सबूतों को मिटाने का आरोप था. साथ ही साथ गुमराह करने का आरोप था.

डॉक्टर्स से मिलने पहुंची सीएम ममता बनर्जी

शनिवार को पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी प्रदर्शन कर रहे जूनियर डॉक्टरों से मिलने पहुंची. इस दौरान उन्होंने कहा कि हमारी सरकार आपके साथ है. जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. साथ ही मैं सीबीआई से अनुरोध करती हूं कि वो इस मामले में 3 महीने के अंदर न्याय करे. सीएम ने आगे कहा कि मैं इसलिए आपसे मिलने आई हूं क्योंकि मुझे आपकी चिंता है. मुझे अपने पद की चिंता नहीं है. 

सीएम की बुलाई बैठक में नहीं पहुंचे थे डॉक्टर्स

सीएम ममता बनर्जी ने कुछ दिन पहले भी प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों से मिलने की कोशिश की थी. इस दौरान उन्होंने डॉक्टरों के साथ एक बैठक भी बुलाई थी लेकिन उस बैठक में कोई भी डॉक्टर उनसे मिलने नहीं पहुंचा. इसके बाद ममता बनर्जी ने भावुक होते कहा था कि अगर आपको मेरी सरकार पर भरोसा नहीं है तो मैं अपने पद से इस्तीफा देने को तैयार हूं. सीएम ममता बनर्जी ने उस दौरान कहा था कि मैंने बात करने की पूरी कोशिश की. 3 दिनों तक उनसे मिलने का भी इंतजार किया. नबान्नो में 2 घंटे तक उनका इंतजार करने पर भी वो मिलने नहीं आए. मैं इस्तीफा देने को भी तैयार हूं. डॉक्टरों ने कहा था कि अगर मीटिंग का लाइव-टेलीकास्ट नहीं किया गया, तो वो मीटिंग में शामिल नहीं होंगे.

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सीएम ममता ने पहले मांगी थी माफी 

ममता बनर्जी ने पिछले दिनों कहा था कि आरजी कर मेडिकल कॉलेज में रेप-मर्डर का मामला अब कोर्ट में है. इसलिए हम मीटिंग की लाइव स्ट्रीमिंग की इजाजत नहीं दे सकते थे. हमने इस बैठक की वीडियो रिकॉर्डिंग करने की तैयारी की थी. अगर डॉक्टर्स चाहते, तो हम सुप्रीम कोर्ट की इजाजत लेकर उनसे यह रिकॉर्डिंग शेयर कर देते. लेकिन वो अपनी बात पर अड़े हुए हैं. मैं बंगाल की जनता से माफी मांगती हूं. मैं डॉक्टरों को वापस नहीं बुला सकी. मुझे सीएम पद से कोई मोह नहीं है.

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ममता बनर्जी ने डॉक्टर्स से बैठक में शामिल होने की अपील की

सीएम ममता बनर्जी ने शनिवार शाम को उनके आवास पर बातचीत के लिए पहुंचे आंदोलनकारी डॉक्टर्स से बैठक में शामिल होने की अपील की, जबकि डॉक्टर्स ने बैठक का सीधा प्रसारण करने की मांग की. आरजी कर अस्पताल में रेप और हत्या की घटना को लेकर प्रदर्शन कर रहे डॉक्टर्स और ममता के बीच बैठक निर्धारित समय पर नहीं हो सकी, क्योंकि चिकित्सक बैठक का सीधा प्रसारण किए जाने की बात पर अड़े रहे.

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सीएम ममता ने डॉक्टर्स से अंदर आने और बारिश में न भीगने की अपील करते हुए कहा, ‘‘मैं आप सभी से अंदर आने और बैठक में हिस्सा लेने का अनुरोध करती हूं. चूंकि मामला अदालत में है, इसलिए हम बैठक के सीधे प्रसारण की अनुमति नहीं दे सकते. बैठक की वीडियो रिकॉर्डिंग की जाएगी और उच्चतम न्यायालय की अनुमति के बाद ही आपको इसकी एक प्रति उपलब्ध कराऊंगी.''

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कोलकाता रेप मर्डर केस में किस दिन क्या कुछ हुआ? 

9 अगस्त, सुबह 9.30 बजे: फर्स्ट ईयर के ट्रेनी ने पीड़िता महिला के शव को दूर से देखा. इसके बाद उसने अपने सहकर्मियों और सीनियर्स डॉक्टरों को इसकी सूचना दी, जिन्होंने अस्पताल के अधिकारियों को इस बारे में जाकर बताया.

सुबह 10.10 बजे: पुलिस स्टेशन को आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की पुलिस चौकी से घटना की सूचना मिली. पुलिस को बताया गया कि इमरजेंसी की तीसरी मंजिल पर एक सेमिनार रूम में एक महिला का शव लकड़ी पर पड़ा है. उन्हें बताया गया कि शव अर्धनग्न अवस्था में है. सूचना मिलने के बाद पुलिस घटनास्थल के लिए रवाना हुई.

सुबह 10.30 बजे: पुलिस अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे और जायजा लिया. वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित किया गया और घटनास्थल की घेराबंदी की गई.

सुबह 10.52 बजे: अस्पताल के सहायक अधीक्षक ने पीड़िता के परिवार को सूचित किया और उन्हें जल्दी आने के लिए कहा.

सुबह 11.00 बजे: बाकी की टीम भी घटनास्थल पर पहुंची.

दोपहर 12.25 बजे: जासूसी विभाग के वैज्ञानिक विंग के फोटोग्राफर और वीडियोग्राफर घटनास्थल पर पहुंचे. दोपहर 12:29 बजे शव की पहली तस्वीर ली गई. फिंगरप्रिंट और फुटप्रिंट लेने वाले एक्सपर्ट भी मौके पर पहुंचे, साथ ही कोलकाता पुलिस के कई वरिष्ठ अधिकारी भी मौके पर पहुंचे. फोरेंसिक टीम को बुलाया गया.

दोपहर 12.44 बजे: ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर ने पीड़िता की जांच की और उसे मृत घोषित कर दिया.

दोपहर 1.00 बजे: पीड़िता के माता-पिता अस्पताल पहुंचे, अधिकारियों से मिले और 10 मिनट बाद उन्हें सेमिनार रूम में ले जाया गया.

दोपहर 1.47 बजे: पीड़िता का मेडिकल सर्टिफिकेट और मृत्यु प्रमाण पत्र पुलिस को सौंप दिया गया. पुलिस अधिकारी ने शरीर पर चोटों के निशान देखे, जिसमें निजी अंग भी शामिल थे, और अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज किया गया.

दोपहर 3.00 बजे: पीड़िता के परिवार और सहकर्मियों ने न्यायिक मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में और वीडियोग्राफी के तहत पहले मौखिक रूप से और फिर लिखित रूप में जांच और पोस्टमार्टम की मांग की.

4.10 बजे: न्यायिक मजिस्ट्रेट पहुंचे, 4:20 से 4:40 बजे के बीच जांच की गई. पीड़िता के परिवार और सहकर्मी मौजूद थे और पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की गई.

6.10 बजे - 7.10 बजे: न्यायिक मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में फोरेंसिक डॉक्टरों के बोर्ड द्वारा पोस्टमार्टम किया गया. पीड़िता के परिवार के सदस्य और सहकर्मी मौजूद थे और पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की गई.

8.00 बजे: डॉग स्क्वायड घटनास्थल पर पहुंचा.

8:37 बजे - 08:52 बजे के बीच: अपराध स्थल की 3डी मैपिंग की गई.

8.30 बजे - 10.45 बजे: फोरेंसिक टीम ने 40 साक्ष्य जब्त किए, इसकी वीडियोग्राफी की गई और स्थानीय गवाह मौजूद थे. पोस्टमार्टम के बाद शव परिवार को सौंप दिया गया.

11:45 बजे: पीड़िता के पिता की शिकायत के आधार पर रेप मर्डर के आरोपों के तहत एफआईआर दर्ज की गई.

किस दिन हुई आरोपी संजय रॉय की गिरफ्तारी

पुलिस ने कहा है कि संदिग्धों की जांच और पीड़िता के सहकर्मियों से पूछताछ 9 अगस्त को शुरू हुई थी. अगली सुबह, सुबह 10 बजे, आरोपी संजय रॉय को लंबी जांच के बाद गिरफ्तार कर लिया गया. 

कोलकाता रेप-मर्डर केस में बड़े सवाल

मृत्यु की पुष्टि: पुलिस टाइमलाइन के अनुसार, शव को सबसे पहले सुबह 9.30 बजे देखा गया और ड्यूटी पर मौजूद एक डॉक्टर ने दोपहर 12.44 बजे मृत्यु की पुष्टि की. तीन घंटे के बाद जो कि एक बड़ा सवाल है. जब स्थानीय पुलिस स्टेशन को सूचित किया गया, तो उन्हें बताया गया कि एक महिला बेहोशी की हालत में मिली है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह जानने के लिए डॉक्टर की ज़रूरत नहीं है कि यह शव है या नहीं. 

आत्महत्या का एंगल: पीड़िता के माता-पिता ने कलकत्ता हाई कोर्ट को बताया कि उन्हें सुबह 10.53 बजे अस्पताल से फोन आया और बताया गया कि उनकी बेटी की तबीयत खराब है. सुबह 11.15 बजे एक और कॉल आया जिसमें बताया गया कि उसकी बेटी ने आत्महत्या कर ली है. कोलकाता पुलिस की टाइमलाइन में केवल एक कॉल का जिक्र है और आत्महत्या का कोई उल्लेख नहीं है.

क्या माता-पिता को इंतज़ार करवाया गया?: हाई कोर्ट में दायर अपनी याचिका में, डॉक्टर के माता-पिता ने कहा कि उन्हें शव देखने की अनुमति देने से पहले 3 घंटे तक इंतज़ार कराया गया. पीड़िता की मां ने मीडिया को बताया है कि उसने अस्पताल के अधिकारियों से अपनी बेटी का शव देखने की भीख मांगी, लेकिन कोई फ़ायदा नहीं हुआ. लेकिन, पुलिस टाइमलाइन के अनुसार, अस्पताल पहुंचने के कुछ ही समय बाद माता-पिता को सेमिनार हॉल ले जाया गया. पश्चिम बंगाल सरकार के वकील ने भी कोर्ट को बताया कि माता-पिता को इंतज़ार नहीं कराया गया.

एफआईआर दर्ज करने में देरी: हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट दोनों ने सवाल उठाया है कि अप्राकृतिक मौत का मामला क्यों दर्ज किया गया? अस्पताल के अधिकारियों ने शिकायत क्यों नहीं की. जिसके आधार पर एफआईआर दर्ज की जा सके. भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने इस मामले की सुनवाई में कहा था कि प्रक्रिया एक अलग मुद्दा है, लेकिन मुद्दा बना हुआ है. (शव) मिलने के लगभग 14 घंटे बाद एफआईआर दर्ज करने का क्या कारण है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कॉलेज के प्रिंसिपल को सीधे कॉलेज आना चाहिए था और एफआईआर दर्ज करने का निर्देश देना चाहिए था.

अपराध स्थल: पुलिस टाइमलाइन के अनुसार, शव को पहली बार देखे जाने के एक घंटे बाद यानी सुबह 10.30 बजे अपराध स्थल को सुरक्षित कर लिया गया था. 15 अगस्त की सुबह अस्पताल में भीड़ द्वारा की गई तोड़फोड़ के बाद भी, कोलकाता पुलिस ने दावा किया कि अपराध स्थल सुरक्षित था. लेकिन, सीबीआई ने इसका खंडन किया है. सुप्रीम कोर्ट में मामले में बहस करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, "हमने पांचवें दिन जांच शुरू की... जांच अपने आप में एक चुनौती थी क्योंकि अपराध स्थल को बदल दिया गया था. एफआईआर दाह संस्कार के बाद रात 11:45 बजे दर्ज की गई."

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