विपक्षी सांसदों ने बदली पिक्चर! कांस्टीट्यूशन क्लब चुनाव में रूडी के जीत की जानिए क्या है इनसाइड स्टोरी

कहा जा रहा है कि राजनाथ सिंह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी भी इस चुनाव पर नजर बनाए हुए थे.कांस्टीट्यूशन क्लब के इस चुनाव में कांग्रेस और विपक्ष रूडी के पक्ष में खड़ा हो गया सोनिया गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे सबसे पहले वोट डालने वालों में थे.

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राजीव प्रताप रूडी ने इस वजह से मार ली चुनाव में बाजी

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  • कांस्टीट्यूशन क्लब के चुनाव में बीजेपी के दो नेताओं राजीव प्रताप रूडी और संजीव बलियान आमने-सामने थे.
  • संजीव बलियान को सरकार समर्थित उम्मीदवार माना गया जबकि राजीव प्रताप रूडी को विपक्षी दलों का व्यापक समर्थन मिला.
  • चुनाव में जाट बनाम राजपूत लॉबी की राजनीति भी सामने आई, राजपूत लॉबी ने रूडी को वोट देकर उनकी जीत सुनिश्चित की.
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नई दिल्ली:

कांस्टीट्यूशन क्लब का चुनाव वैसे तो महज सांसदों के एक क्लब का चुनाव था जिसमें मौजूदा और पूर्व सांसद वोट करते हैं. मगर इसके कई राजनैतिक मतलब निकाले जा रहे है.वजह ये है कि इस बार का चुनाव एक ही पार्टी के दो नेताओं के बीच हो रहा था. भारतीय जनता पार्टी ( बीजेपी) के राजीव प्रताप रूडी और संजीव बलियान आमने-सामने लड़े.यह भी पहली बार नहीं था कि एक ही पार्टी के दो नेताओं के बीच मुकाबला हुआ हो. पहले भी रामनाथ कोविंद,विजय गोयल जैसे नेता क्लब का चुनाव लड़ते रहे हैं और हारे भी हैं. मगर इस बार का चुनाव सुर्ख़ियों में रहा उसका मुख्य कारण था कि इस चुनाव में संजीव बालियान को सरकार के सर्मथन वाला उम्मीदवार के तौर पर देखा गया, जिसकी वजह से राजीव प्रताप रूडी को विपक्षी दलों का पूरा साथ मिला.

बीजेपी में बलियान की उम्मीदवारी के बाद कई तरह की चर्चाएं होने लगी यह चुनाव जाट बनाम राजपूत लॉबी भी बन गया. यही वजह है कि रूडी की जीत के बाद देर रात जय सांगा के नारे भी लगे,राजपूत लॉबी ने एकजुट हो कर रूडी को वोट किया.राजस्थान सरकार के एक मंत्री तो जयपुर से दिल्ली आए केवल वोट डालने के लिए यही हाल बिहार और उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों के सांसदों का भी रहा.

कहा जा रहा है कि राजनाथ सिंह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी भी इस चुनाव पर नजर बनाए हुए थे.कांस्टीट्यूशन क्लब के इस चुनाव में कांग्रेस और विपक्ष रूडी के पक्ष में खड़ा हो गया सोनिया गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे सबसे पहले वोट डालने वालों में थे.क्लब के 11 कार्यकारी सदस्यों के पैनल में भी रूडी ने सभी दलों और सभी राज्यों का ख्याल रखा था जैसे कार्यकारिणी के सदस्यों में सपा के अक्षय यादव थे तो कुछ दक्षिण के नेता भी थे, जिससे इन पार्टियों और राज्यों के सांसदों और पूर्व सांसदों का वोट भी रूडी पैनल को मिला जबकि बलियान का कोई पैनल नहीं था. वो अकेले सचिव पद के लिए लड़ रहे थे.

एक पूर्व सांसद ने बताया कि रूडी को बीजेपी के कुछ सांसद और विपक्ष के अधिकतर सांसदों का साथ मिला, जिससे उनकी जीत संभव हुई.एक बात और रही कि गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष नड्डा 3 बजे के बाद वोट डालने आए और जब तक बीजेपी सांसदों में ये बात पहुंचती तब तक देर हो चुकी थी क्योंकि पांच बजे तक वोटिंग होनी थी.

हालांकि कई केन्द्रीय मंत्रियों ,दो राज्यपालों ने भी वोट किया.सबसे महत्वपूर्ण है कि महज सांसद या पूर्व सांसद होने के नाते आप कांस्टीट्यूशन क्लब के वोटर नहीं बन सकते जब तक आप उसके सदस्य ना हों जैसे प्रेस क्लब के चुनाव में हर पत्रकार वोट नहीं डाल सकता जब तक कि वो क्लब का सदस्य नहीं है.कांस्टीट्यूशन क्लब के सदस्य महज 1300 के आसपास ही सदस्य है और अभी तक जितने भी चुनाव हुए है 100 के आसपास वोटिंग होती थी मगर इस बार 707 वोटहुए जिसमें पोस्टल बैलेट भी थे.

रूडी 64 वोटों से जीते यानि बलियान ने इस चुनाव को कांटे का बना दिया था.कांस्टीट्यूशन क्लब के सभी पदाधिकारी पांच साल के लिए चुने जाते हैं और इस बार का चुनाव अगले पांच साल तक याद किया जाएगा. खासकर उन लोगों के लिए जो इस बार वोट देने आए और इस बार के नतीजे के लिए क्योंकि इसके राजनैतिक मायने बहुत निकाले जा रहे है.यह क्लब सांसदों और पूर्व सांसदों के लिए है जहां जिम ,स्विमिंग पूल है.एक रेस्टोरेंट और बेकरी शॉप है.यहां सांसदों के ठहरने की सुविधा भी है.यहां कई हॉल है जिसमें आप कार्यक्रम कर सकते हैं.रूडी का कहना अगले पांच सालों में और भी कई सुविधाओं का विस्तार किया जाएगा. 

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