'बेटी की शादी होने वाली थी, सैलाब में बह गई'... किश्‍तवाड़ में इस पिता का दर्द सुन कलेजा हिल जाएगा

Kishtwar Survivors: किश्‍तवाड़ में लगातार राहत और बचाव कार्य जारी है. डर इस बात का है कि जेसीबी से जो मलबा हटाया जा रहा है, उनके नीचे से जिंदगियां निकलेंगे या फिर लाशें?

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  • जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में बादल फटने की आपदा में 60 से अधिक लोगों की मौत हो गई और कई लापता हैं.
  • पीड़ित परिवारों के घर, साजो-सामान और रोजी-रोटी पूरी तरह से तबाह हो गए हैं और वे बेसहारा हो गए हैं.
  • कई परिवार भूखे-प्यासे हैं, उनके पास न खाने को कुछ है न पहनने के लिए कपड़े और न रहने के लिए घर बचा है.
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'मेरी बेटी थी वो, उसकी शादी होने वाली थी, साजो-सामान जुटा रखा था... न बच्‍ची बची, न सामान... घर-बार सब तबाह... घरवाली भी चली गई.' NDTV से इतना कहते हुए बुजुर्ग फफक पड़ते हैं. जम्मू-कश्मीर के किश्‍तवाड़ हादसे ने कई परिवारों को तबाह कर डाला. 14 अगस्‍त को चसोटी गांव में बादल फटने से जो तबाही मची, उसमें 60 से ज्‍यादा जिंदगियां दफ्न हो गईं. गांव में मलबा ही मलबा पड़ा है और उसमें दबी पड़ी हैं, लोगों की लाशें! जेसीबी से उन्‍हें निकालने की कोशिश हो रही है. इस आपदा ने कई परिवारों को सड़क पर ला दिया है. उनके पास न खाने को कुछ है, न पहनने को कपड़े और न ही रहने को घर. सरकार बचाव कार्य के साथ-साथ राहत का आश्‍वासन दे रही है.  

ग्राउंड जीरो पर मौजूद NDTV से बात करते हुए किश्तवाड़ त्रासदी के पीड़ितों ने अपने दर्द और तबाही की दास्तान बयां की. किसी ने अपनों को खोया, किसी का घर उजड़ गया और किसी की रोजी-रोटी ही छिन गई. पढ़ें उन्‍हीं की जुबानी.  

आपबीती 1: तीन दिन से भूखे हैं, सब खत्‍म 

एक महिला कहती हैं, 'मेरा सारा कुछ चला गया. मुझे कुछ भी नहीं बचा. बस मेरे पीछे ये कपड़े लगे हुए हैं, यही है. बाकी कुछ भी नहीं है. तीन दिन हो गए भूखे हैं. ना खाने के इंतजाम हैं, ना पानी, ना बर्तन. मेरे परिवार में बच्चे बच गए, पति भी बच गए, लेकिन बाकी सबकुछ खत्म हो गया. घर उजड़ गया. अब हमारे पास कुछ भी नहीं है. सरकार से क्या कहें? अगर मदद देगी तो अच्छा है, लेकिन तब तक हम यहां बिना खाने-पानी के ही पड़े हैं.'

आपबीती 2: बेटी की शादी तय थी, अब तो... 

बुजुर्ग ने बताया, 'जो ये बाढ़ आई, हमारे मकान में चली गई. मेरी घर वाली भी चली गई. मेरी बेटी भी थी, जिसकी शादी होने वाली थी, वो भी चली गई. और मेरे भाई की बीवी भी चली गई. अब हमारे पास कुछ नहीं रहा. ना खाने को है, ना रहने को. मेरी बेटी का रिश्ता नवंबर-दिसंबर के लिए पक्का हुआ था. उसके लिए सामान भी लाया था, लेकिन सब बह गया. ना बच्ची बची, ना उसका सामान. बस हम रह गए हैं, हाथ खाली.'

आपबीती 3: मेरी सासू मां आटा पिसवाने गई थीं 

वीडियो में एक अन्‍य पीड़ित को बताते हुए देखा जा सकता है. वे बोलते हैं, 'मेरी सासू मां घिराट में आटा पिसवाने गई थी. घर में आटा खत्म हो गया था. तभी फ्लड आया और वो वहीं फंस गईं. अब वो नहीं रहीं. बादल फटने से सब बह गया- घिराट, फ्लोर मिल, सिंचाई की नहरें, सब टूट गया.  अगली बार हम कुछ भी नहीं बो पाएंगे. सबकुछ खत्म हो गया. आजीविका का सहारा ही छिन गया है.'

राहत और बचाव कार्य जारी 

मलबे के ढेर के बीच फंसे लोगों को ढूंढ़ने के लिए लगातार राहत और बचाव कार्य जारी है. डर इस बात का है कि जेसीबी से जो मलबा हटाया जा रहा है, उनके नीचे से जिंदगियां निकलेंगे या फिर लाशें? रेस्क्यू टीम को उम्‍मीद है कि  मलबे के बीच से अभी भी कुछ लोगों को जिंदा निकाल सकते हैं. अब तक 60 लोगों की मौत की खबर है, जबकि बड़ी संख्या में लोग अभी भी लापता हैं. जम्मू-कश्मीर के सीएम उमर अब्दुल्ला ने पीड़ित परिजनों की हर संभव मदद का आश्‍वासन दिया है.  

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