कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है, हालांकि शुक्रवार को सिंघु और गाजीपुर बॉर्डर पर तनाव रहा. किसानों का कहना है कि जब तक तीनों बिल वापस नहीं होंगे, आंदोलन चलता रहेगा. कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान 30 जनवरी को महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर सद्भावना दिवस मना रहे हैं और दिन भर का उपवास रखा है. इस बीच प्रधानमंत्री मोदी ने आज कहा कि तीन कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार ने जो प्रस्ताव दिया था वो आज भी बरकरार है.
किसानों के प्रदर्शन को देखते हुए दिल्ली की सीमाओं पर भारी संख्या में सुरक्षाबलों की तैनाती की गई है. शुक्रवार को सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसानों और खुद को लोकल बताने वाले लोगों के बीच बवाल हो गया था. इस मामले में 44 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. साथ ही आगे किसी तरह की अनहोनी से बचने के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं.
किसान नेताओं ने दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए शुक्रवार को कहा कि सुबह नौ बजे से शाम पांच बजे तक उपवास रखा जाएगा. उन्होंने देश के लोगों से किसानों के साथ जुड़ने की अपील की. किसान नेताओं ने केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा पर भी निशाना साधा और आरोप लगाया कि कृषि कानूनों के खिलाफ "शांतिपूर्ण" आंदोलन को "बर्बाद" करने का प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘इस किसान आंदोलन को नष्ट करने की सत्ताधारी भाजपा की साजिश अब सामने आ गयी है.''
तृणमूल कांग्रेस ने शनिवार को सर्वदलीय बैठक में सरकार से तीनों विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने की अपील की. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद के बजट सत्र में सुगम कामकाज के लिए बैठक बुलाई थी. सूत्रों के अनुसार, लोकसभा में तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने बैठक में कहा कि प्रधानमंत्री को किसानों के मुद्दे पर विस्तार से चर्चा के लिए सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए.
केंद्र के तीन नये कृषि कानूनों पर चिंता प्रकट करते हुए राकांपा प्रमुख शरद पवार ने शनिवार को कहा कि ये कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर प्रतिकूल प्रभाव डालेंगे और मंडी प्रणाली को कमजोर कर देंगे. पवार ने कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ सर्वदलीय बैठक में डिजिटिल माध्यम से शामिल हुए. बैठक में संसद के बजट सत्र के लिए प्रस्तावित एजेंडा से जुड़े विषयों, किसान आंदोलन, महिला आरक्षण विधेयक और अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई.
दिल्ली की गाजीपुर बॉर्डर पर अब राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) को समर्थन देने के लिए नेता से लेकर किसान (Farmers) तक पहुंच रहे हैं. राकेश टिकैत को मिल रहे समर्थन के चलते बीजेपी के लोनी विधायक के खिलाफ पार्टी के अंदर से ही आवाज उठने लगी है. राकेश टिकैत के आंसुओं के चलते अब प्रशासन पीछे हट गया है और हजारों किसानों का जमावड़ा गाजीपुर बार्डर पर लगने लगा है.
उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद को दिल्ली से जोड़ने वाले दिल्ली-मेरठ राजमार्ग पर गाजीपुर के पास प्रदर्शन कर रहे किसानों की संख्या शनिवार को और अधिक ग्रामीणों के पहुंचने से बढ़ गई. केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेतृत्व में हो रहे प्रदर्शन में गुरुवार को प्रदर्शनकारियों की संख्या कम हो गई थी लेकिन मुजफ्फरनगर में किसानों की महापंचायत के बाद बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शन में शामिल होने पहुंचे हैं. हरियाणा और राजस्थान के जिलों के किसान भी यहां पहुंचे हैं.
सर्वदलीय बैठक के बाद कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने एएनआई से कहा कि हमने कृषि कानून को वापस लेने की गुहार लगाई. बेरोजगारी, आर्थिक स्थिति और राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा उठाया. हमनें जम्मू-कश्मीर का मुद्दा भी उठाया और कहा कि उसे राज्य का दर्जा दिया जाए. हम देश की सुरक्षा के मुद्दे पर सरकार के साथ हैं.
राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के मुखिया हनुमान बेनीवाल ने कहा कि वह किसान आंदोलन के समर्थन में बजट सत्र के लिए एजेंडे पर चर्चा करने के लिए बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में हिस्सा नहीं ले रहे हैं.
एएनआई के मुताबिक, राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि आज महागठबंधन (लेफ्ट, कांग्रेस और RLD) ने मानव श्रृंखला बनाई है. गांवों में पंचायत स्तर पर लोग मानव श्रृंखला बनाकर खड़े हैं. इसका मकसद है कि हम लोग किसानों के साथ एकजुटता से खड़े हैं.
किसानों के आंदोलन को देखते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग-24 और गाज़ीपुर बॉर्डर पर आने और जाने वाले मार्ग को बंद कर दिया गया है. दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने यह जानकारी दी.
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, कृषि कानूनों के खिलाफ गाज़ीपुर बॉर्डर पर किसानों का विरोध प्रदर्शन आज 64वें दिन भी जारी है.
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, भारतीय किसान यूनियन के नरेश टिकैत ने कहा कि कल बागपत में पंचायत करने के बाद हम दिल्ली कूच करेंगे. किसानों पर जो राजनीति हो रही है उस पर पंचायत में चर्चा करेंगे.
कृषि कानूनों के विरोध में आज किसानों ने एक दिन का उपवास रखा है. समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, सिंघु बॉर्डर पर भारी संख्या में सुरक्षाबल तैनात है. कृषि कानूनों के खिलाफ सिंघु बॉर्डर पर किसानों का विरोध-प्रदर्शन जारी है.
सिंघु बॉर्डर पर शुक्रवार को स्थानीय लोगों और प्रदर्शकारी किसानों के बीच हुई झड़प को देखते हुए टिकरी पर सुरक्षा इंतजाम बढ़ाए गए हैं. समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, टिकरी बॉर्डर पर बड़ी संख्या में सुरक्षाबलों की तैनाती की गई है.