'गूंगी-बहरी सरकार को जगाने के लिए किसान...' : आंदोलन को गति देने की तैयारी कर रहे राकेश टिकैत

राकेश टिकैत ने कहा है कि इस बार गूंगी-बहरी सरकार को जगाने और अपनी बात मनवाने के लिए किसान 29 नवंबर की ट्रैक्टरों से संसद भवन जाएंगे.

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राकेश टिकैत बोले, किसान 29 नवंबर की ट्रैक्टरों से संसद भवन जाएंगे
नई दिल्‍ली:

विवादित 'कृषि कानूनों के खिलाफ अपने आंदोलन को किसान तेजी देने की तैयारी कर चुके हैं. भारतीय किसान यूनियन (BKU) के राष्‍ट्रीय प्रवक्‍ता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने कहा है कि इस बार गूंगी-बहरी सरकार को जगाने और अपनी बात मनवाने के लिए किसान 29 नवंबर की ट्रैक्टरों से संसद भवन जाएंगे. टिकैत ने Koo पर जारी संदेश में लिखा, 'ट्रैक्टर भी वही हैं और किसान भी वही. इस बार गूंगी-बहरी सरकार को जगाने और अपनी बात मनवाने के लिए किसान 29 नवंबर को ट्रैक्टरों से संसद भवन जाएंगे.'अपने एक अन्‍य Koo मैसेज में उन्‍होंने लिखा 'जब तक तीनों काले कानूनों की वापसी और एमएसपी पर गारंटी कानून नहीं बनता तब तक आन्दोलन देश भर में जारी रहेगा.बिल वापसी ही घर वापसी है.यह आंदोलन जल - जंगल और जमीन को बचाने का आंदोलन है.'

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गौरतलब है कि किसान आंदोलन को लेकर अपनी भावी रणनीति का खुलासा करते हुए NDTV से टिकैत ने कहा था, '22 नवंबर को हमारी लखनऊ में महापंचायत है, इसमें केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी की बर्खास्‍तगी के अलावा धान-गन्‍ने के भुगतान के मुद्दे और दिल्‍ली में प्रदर्शन की रणनीति पर विचार करेंगे. हम अपने प्रदर्शन तेज करेंगे. राजस्‍थान, यूपी, पंजाब हरियाणा और उत्‍तराखंड में प्रो्ग्राम नहीं होंगे जबकि अन्‍य स्‍टेट की राजधानियों पर प्रोग्राम होंगे.' उन्‍होंने कहा था कि 29 तारीख को हम संसद की ओर कूच करेंगे. टिगरी और गाजीपुर बॉर्डर से किसान यहां के लिए रवाना होंगे. चुनाव को लेकर रणनीति के बारे में पूछे जाने पर टिकैत ने कहा था कि चुनाव की तारीख आते ही हम अपनी रणनीति का ऐलान भी कर देंगे.'

उन्‍होंने कहा था, ' पुलिस प्रशासन को बताकर हम संसद की ओर कूच करेंगे.' हाईसिक्‍युरिटी जोन होने के कारण क्‍या वहां प्रवेश मिलेगा, इसके जवाब में टिकैत ने कहा, 'पुलिस जहां हमें रोकेगी, वहीं हम धरने पर बैठ जाएंगे. हम पुलिस से झगड़ा नहीं करेंगे. हम कोई बाहरी नहीं है, हम बताकर संसद जा रहे हैं.' टिकैत ने कहा कि सरकार कह चुकी है कि रास्‍ता खुला है. कोर्ट भी कह चुका कि रास्‍ता नहीं रोक सकते. हम संसद की ओर जाएंगे. एक अन्‍य सवाल पर उन्‍होंने कहा कि संसद के आसपास बड़े-बड़े पार्क हैं, कहीं न कहीं हमें जगह मिल जाएगी, हम वहां धरने के लिए बैठ जाएंगे.

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