किसान आंदोलन को गति देने की तैयारी, राकेश टिकैत बोले 'तिजोरियों में बंद हो जाएगी रोटी इसलिए आंदोलन चलाना पड़ेगा'

देशभर में पंचायत करने वाले राकेश टिकैत, दिसंबर के बाद पहली बार हापुड़ में पंचायत करने पहुंचे तो बग्गी पर बैठाकर किसानों ने स्वागत किया.

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राकेश टिकैत ने कहा, जब जरूरत होगी तो किसान गाजीपुर बार्डर पर आएगा
नई दिल्ली:

Kisan Aandolan: कृषि कानून (Farm Laws) के खिलाफ बीते चार महीने से किसान आंदोलन चल रहा है. अब गाजीपुर बार्डर पर दोबारा किसानों को जुटाने की कोशिश में राकेश टिकैत पंचायत कर रहे हैं. गाजीपुर बार्डर से करीब 60 किमी दूर हापुड़ के किसान नगाड़ा बजाकर संघर्ष तेज करने का ऐलान कर रहे हैं. देशभर में पंचायत करने वाले राकेश टिकैत, दिसंबर के बाद पहली बार हापुड़ में पंचायत करने पहुंचे तो बग्गी पर बैठाकर किसानों ने स्वागत किया. अपने संबोधन में भारतीय किसान यूनियन (BKU) के नेता राकेश टिकैत  (Rakesh Tikait) ने कहा, 'अब मीडिया को भी खरीदा जा रहा है. खबर छनकर आ रही हैं. उन्‍होंने कहा कि भारतीय खाद्य निगम FCI के गोदाम को तोड़ना पड़ेगा. आलू के दो रुपए किलो रेट हैं, वहीं गोदाम में बंद होता है तब 40 रुपए में बिकता है. जब गोदामों में माल भरा जाएगा तब यह महंगा बाजार में बिकेगा, ऐसे में उपभोक्ता भी मरेगा. उन्‍होंने कहा कि दिल्ली में 25 हजार ट्रैक्टर हैं लेकिन मीडिया दिखाता नहीं है. जो खबर दिखाएगा तो पर्चा दर्ज होगा.' 

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उन्‍होंने कहा कि गुजरात के बाद अब यहां भी अडानी आएगा, खेती करेगा. अब बीज का कानून आएगा. सरकार बताएगी कि क्या बोना है. आपको आंदोलन करना होगा, 2021 का साल आंदोलन का है. जब जरूरत होगी तो किसान गाजीपुर बार्डर पर आएगा. अभी सरकार चुनाव में है दिल्ली में कोई नहीं है. सरकार में बीजेपी के लोग नहीं, कंपनियों की सरकार है, इसीलिए सरकार से बात नहीं हो पा रही है. तिजोरियों में रोटी बंद हो जाएगी , इसीलिए आंदोलन चलाना पड़ेगा.

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गौरतलब है कि उत्‍तर प्रदेश में गेहूं और गन्ने की कटाई के साथ पंचायत चुनाव चलने के चलते हाल के समय में गाजीपुर बार्डर पर किसानों की संख्या घटी है. इस पंचायत के जरिए राकेश टिकैत ने सभी जाति और धर्म छोड़कर गाजीपुर बार्डर पर पहुंचने को कहा ताकि फिर से बड़ी तादाद किसानों को जुटाकर सरकार पर दबाव बनाया जा सके. BKU के प्रवक्‍ता धर्मेंद्र मलिक ने बताया, 'हापुड़, दिल्ली के नजदीक है इसलिए हमने यहां पंचायत की है ताकि गेहूं कटाई के बाद फिर किसान गाजीपुर आए. ऐसे समय जब, सरकार का तबका किसानों के साथ दोबारा बातचीत बहाली के पक्ष में नहीं है, लंबे खिंच रहे किसान आंदोलन में दोबारा जान फूंकना किसान नेताओं के लिए एक बड़ी चुनौती है. 

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