तिब्बती बौद्धों के आध्यात्मिक प्रमुख दलाई लामा ने बुधवार, 2 जुलाई को इस बात की पुष्टि कर दी है की दुनिया को अब जल्द ही अगला दलाई लामा मिलने जा रहा है. इस पूरे मुद्दे पर पैनी नजर रखने वाले और दलाई लामा को अलगाववादी नेता मानने वाले चीन इस मुद्दे पर लगातार अपनी प्रतिक्रिया दे रहा है. चीन की प्रतिक्रियाओं के बीच भारत ने चीन को चुप कराने वाला एक बयान दिया है. केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा है कि अगले दलाई लामा के मुद्दे पर कहा है कि अपने उत्तराधिकारी का फैसला दलाई लामा लेंगे, ये अधिकार सिर्फ और सिर्फ उनके पास ही है.
आपको बता दें कि दलाई लामा के पुनर्जन्म की परंपरा जारी रहेगी. हालांकि इस पूरे मुद्दे पर पैनी नजर रखने वाले और दलाई लामा को अलगाववादी नेता मानने वाले चीन ने इसपर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि दलाई लामा के पुनर्जन्म को चीन की केंद्र सरकार की मंजूरी लेनी होगी.
चीन की विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने नए दलाई लामा को चुनने के लिए 18वीं शताब्दी में किंग राजवंश के सम्राट द्वारा शुरू की गई एक पद्धति का जिक्र करते हुए कहा था कि दलाई लामा, पंचेन लामा और अन्य महान बौद्ध हस्तियों के पुनर्जन्म को स्वर्ण कलश से पर्ची निकालकर चुना जाना चाहिए और केंद्र सरकार द्वारा एप्रूव किया जाना चाहिए.
इतिहास में दलाई लामा चुने जाने के कई तरीके अपनाए गए हैं. एक तरीका है जिसमें नाम एक स्वर्ण कलश से निकाला जाता है. लेकिन वह कलश आज चीन के पास है. मौजूदा समय में दलाई लामा ने चेतावनी दी है कि उसका बेईमानी से उपयोग किया जाएगा, तो इसमें "किसी भी आध्यात्मिक गुणवत्ता" का अभाव होगा. चीनी अधिकारियों ने बार-बार कहा है कि दलाई लामा के पुनर्जन्म का निर्णय चीन के कानूनों का पालन करके किया जाना चाहिए- उसके पास रखे सोने के कलश से ही अगले दलाई लामा का नाम निकलेगा और अगला दलाई लामा चीन की सीमा के अंदर ही पैदा होगा.
अपने उत्तराधिकारी का फैसला दलाई लामा लेंगे ये अधिकार सिर्फ और सिर्फ उनका है: मंत्री किरेन रिजिजू