ये तस्वीर ख़बर थी या सहज भाव के आंसू, इसे कैसे लिखता एक बच्ची के बाप के तौर पर या बतौर पत्रकार, दो छोटे बच्चे दिखे एक पेड़ के नीचे गुमसुम छत्तीसगढ़ में जगलपुर से लगभग 50 किलोमीटर दूर बास्तानार में. कहानी बतानी तो होगी... भाव भी हैं तथ्य भी, बस्तर से आई इस तस्वीर में तथ्य ये है कि कोरोना ने दो मासूम बच्चों के सिर से मां-बाप का साया छीन लिया. बास्तानार में भागीरथी ओगरे कोरोना संक्रमित हुए, डिमरापाल मेडिकल कॉलेज में भर्ती करवाया गया. इसी दौरान उनकी पत्नी संतोषी ओगरे भी संक्रमित हो गईं. उनका घर पर इलाज चल रहा था. शनिवार रात भागीरथी ओगर की अस्पताल में ही मौत हो गई, रविवार सुबह घर में पत्नी चल बसीं, बच्चों ने उठाने की कोशिश की मां नहीं उठी. मकान मालिक ने देखा... मासूम बच्चे पेड़ के नीचे घंटों खड़े रहे लेकिन संक्रमण के डर से मदद के लिए कोई पास नहीं आया. कोडेनार थाना प्रभारी संतोष सिंह नहीं डरे, आए तो बच्चों को खाना खिलाया फिर प्रशासनिक कार्रवाई शुरू हुई.
एक सवाल स्वास्थ्य विभाग पर है, पिता की मौत के बाद बच्चों की जांच के लिये कोई घर नहीं पहुंचा. बास्तानार सीएमएचओ डॉ. राजन ने हमारे सहयोगी को बताया कि स्वास्थ्य विभाग की टीम रात में घर गई थी, तब संतोषी ठीक थीं लेकिन सुबह उनकी मौत हो गई. उनकी टीम लगातार जांच कर रही थी, हालांकि कैसी निगरानी थी कि मौत की खबर सुबह 9 बजे मिली लेकिन शव को शाम 4 बजे ले जाया जा सका.
फिलहाल बच्चों के चाचा रतीराम ओगरे उन्हें लेकर रायगढ़ गये हैं. बच्चों की देखभाल को लेकर खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने संज्ञान लिया है और आदेश दिया है कि बच्चों की देखरेख में कोई कमी ना हो. बस्तर कलेक्टर रजन बंसल ने बताया कि कल तक ही साढ़े तीन लाख रुपये की राशि स्वीकृत हो जाएगी.
चूंकि भागीरथी सरकारी कर्मचारी तो शासन की तरफ से भी सारे मदों में राशि जल्द स्वीकृत होगी. साथ ही वो योजना बना रहे हैं जिससे बच्चों के बालिग होने तक जिला कलेक्टर संयुक्त रूप से बच्चों के अभिभावक रहें. जगदलपुर एसपी भी रायगढ़ के पुलिस अधीक्षक के साथ मिलकर बच्चों की कुशलता की खबर लेते रहेंगे.