केरल में नई सरकार के शपथग्रहण समारोह के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. गुरुवार को होने वाले शारीरिक शपथ ग्रहण समारोह को चुनौती दी गई है. केरल में वाम लोकतांत्रिक मोर्चा सरकार का शपथ ग्रहण होगा. इसमें राज्य की राजधानी में 500 लोगों के साथ शारीरिक शपथ ग्रहण समारोह आयोजित करने किया जाएगा. एक राजनीतिक कार्यकर्ता केएम शाहजहां द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि जब शहर COVID के कारण "ट्रिपल लॉकडाउन" के तहत है तो शारीरिक समारोह आयोजित करने से लोगों के स्वास्थ्य को खतरे में डाला जा रहा है.
राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान मुख्यमंत्री समेत 21 मंत्रियों को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलायेंगे. स्टेडियम में 500 आमंत्रित मेहमानों के बीच यह कार्यक्रम होगा , वैसे इस स्टेडियम में 50,000 लोगों के बैठने की जगह है. पिनराई विजयन ने कहा कि 140 नवनिर्वाचित विधायकों के अलावा राज्य के 29 सांसद, न्यायपालिका एवं मीडिया प्रतिनिधियों को भी इस कार्यक्रम का निमंत्रण भेजा जाएगा.
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एक आदेश में सरकार ने कहा कि शपथ ग्रहण समारोह स्थल पर प्रवेश पास से ही जाने दिया जाएगा तथा मंच पर एवं नीचे भी बैठने की व्यवस्था कोविड-19 नियमों के अनुसार होगी. गौरतलब है कि केरल में कोरोना वायरस के मामले तेजी के साथ बढ़ रही हैं. इन पर काबू पाने के लिए वहां पर 'ट्रिपल लॉकडाउन' लगाया गया है.
बता दें, माकपा के वरिष्ठ नेता पिनराई विजयन मंगलवार को पार्टी विधायक दल के नेता चुना गया था. इसके साथ ही उनका लगातार दूसरी बार केरल के मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया. विजयन की गठबंधन सरकार में माकपा के कोटे से 11 नये मंत्री होंगे जिनमें उनके दामाद पी ए मोहम्मद रियास भी शामिल हैं.
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77 वर्षीय विजयन ने छह अप्रैल को विधानसभा चुनाव में वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) को लगातार दूसरी बार जिताकर इतिहास रचा था. राज्य के इतिहास में 40 साल बाद ऐसा हुआ है कि किसी मोर्चे को लगातार दूसरे कार्यकाल के लिये विधानसभा चुनाव में जीत मिली है.
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