थरूर के गढ़ में BJP का मेयर? केरल के निकाय चुनाव में NDA के लिए गुड न्यूज, कांग्रेस को बड़ी बढ़त

नगर निगमों की बात करें तो स्थिति माकपा के लिए और भी चिंताजनक है. राज्य के छह नगर निगमों में से चार में कांग्रेस आगे चल रही है, जबकि माकपा केवल एक निगम में ही बढ़त बनाए हुए है.

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  • केरल में स्थानीय निकाय चुनावों की मतगणना में माकपा को पारंपरिक गढ़ों में भी भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है
  • तिरुवनंतपुरम नगर निगम में माकपा पिछड़ रही है, जो पार्टी के लिए गंभीर चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है
  • ग्राम पंचायतों में यूडीएफ 371 पंचायतों में आगे है जबकि एलडीएफ केवल 355 ग्राम पंचायतों में बढ़त बनाए हुए है
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तिरुवनंतपुरम:

केरल में स्थानीय निकाय चुनावों की मतगणना आधे से अधिक पूरी होने के साथ ही राज्य की राजनीति में बड़ा उलटफेर देखने को मिल रहा है. मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के नेतृत्व वाली माकपा (सीपीआई-एम) को इस बार नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. सत्तारूढ़ दल को अपने पारंपरिक गढ़ों में भी भारी झटके लगे हैं, जबकि कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) और भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को फायदा होता दिख रहा है.

सबसे ज्यादा चौंकाने वाले रुझान राजधानी तिरुवनंतपुरम नगर निगम से सामने आए हैं. सालों से माकपा के नियंत्रण में रहे इस निगम में पार्टी, भाजपा से पीछे चल रही है. यह रुझान माकपा के लिए गंभीर चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है.

राज्य के अन्य नगर निगमों में भी माकपा की स्थिति कमजोर नजर आ रही है. कोझिकोड, कोल्लम और कोझिकोड (दोहराया गया नाम) जैसे प्रमुख नगर निगमों में पार्टी की हार की आशंका जताई जा रही है, जिसे राजनीतिक विश्लेषक बेहद चौंकाने वाला मान रहे हैं. परंपरागत रूप से माकपा स्थानीय निकाय चुनावों में, खासकर पंचायत स्तर पर, कठिन राजनीतिक परिस्थितियों में भी अपने किले बचाने में सफल रही है, लेकिन इस बार यह परंपरा टूटती दिख रही है.

ग्राम पंचायतों में कांग्रेस के नेतृत्व वाला यूडीएफ 371 पंचायतों में आगे चल रहा है, जबकि वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) केवल 355 ग्राम पंचायतों में ही बढ़त बनाए हुए है. इससे ग्रामीण इलाकों में भी माकपा की पकड़ कमजोर होने के संकेत मिल रहे हैं.

नगर निगमों की बात करें तो स्थिति माकपा के लिए और भी चिंताजनक है. राज्य के छह नगर निगमों में से चार में कांग्रेस आगे चल रही है, जबकि माकपा केवल एक निगम में ही बढ़त बनाए हुए है.

नगरपालिकाओं में भी यही रुझान दिखाई दे रहा है. कांग्रेस 51 नगरपालिकाओं में आगे है, जबकि एलडीएफ महज 32 नगरपालिकाओं में ही बढ़त बनाए हुए हैं.

माकपा इन चुनावों में सामाजिक सुरक्षा पेंशन बढ़ाने जैसे कदमों की घोषणा के साथ उतरी थी. हालांकि, पहले के चुनावों के विपरीत इस बार ये कल्याणकारी उपाय पार्टी के पक्ष में जाते नजर नहीं आए, जबकि माकपा लगातार दूसरी बार राज्य की सत्ता में है. यह साफ होता जा रहा है कि माकपा नेतृत्व को इस हार के कारणों पर गंभीर मंथन करना होगा.

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