केरल स्थानीय निकाय चुनाव रिजल्ट आज: क्यों BJP के लिए अहम? अमित शाह की किस पर नजर

भाजपा ने हिंदुओं, विशेष रूप से नायर समुदाय के बीच अपना समर्थन बढ़ाया है और रोमन कैथोलिक समुदाय में भी पैठ बना रही है. हालांकि, लैटिन कैथोलिक, ईसाई नादर और मुसलमानों के बीच इसकी स्वीकार्यता अभी भी सीमित है.

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  • केरल में स्थानीय निकाय चुनाव का मतदान 73.69 प्रतिशत रहा, जो 1995 के बाद सबसे अधिक है और दो चरणों में हुआ
  • भाजपा ने भारत धर्म जन सेना और अन्य सहयोगियों के साथ आंतरिक विवाद सुलझाकर लगभग 90 प्रतिशत सीटों पर चुनाव लड़ा
  • अमित शाह ने भाजपा के लिए केरल में 25 प्रतिशत वोट हासिल करने और राजनीतिक बदलाव लाने की संभावना जताई है
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केरल में आज स्थानीय निकाय चुनाव के परिणाम घोषित किए जाएंगे.  राज्य चुनाव आयोग (एसईसी) के अनुसार, वोटों की गिनती सुबह आठ बजे शुरू होगी. चुनाव में दो करोड़ से अधिक मतदाताओं ने वोट डाला था. इन नतीजों से केरल में 2026 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए राज्य की राजनीतिक पार्टियों और गठबंधनों के प्रचार अभियान की भविष्य की दिशा तय होगी. 

बृहस्पतिवार को राज्य चुनाव आयुक्त ए शाहजहां ने बताया कि इस साल हुए स्थानीय निकाय चुनाव में 1995 के बाद से सबसे अधिक मतदान हुआ है. स्थानीय निकाय चुनाव दो चरणों में हुए. राज्य चुनाव आयोग ने बृहस्पतिवार रात करीब साढ़े नौ बजे बजे बताया कि दूसरे चरण में 76.08 प्रतिशत मतदान हुआ. नौ दिसंबर को पहले चरण में 70.91 प्रतिशत मतदान हुआ था. इस तरह स्थानीय निकाय चुनाव में कुल मतदान 73.69 प्रतिशत हुआ. निर्वाचित पंचायत सदस्यों और नगर पार्षदों का शपथ ग्रहण समारोह 21 दिसंबर को सुबह 10 बजे होगा.

कहां पर है बीजेपी की नजर

बीजेपी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने स्थानीय निकाय चुनावों में इस बार पूरी ताकत झोक दी. शहरी क्षेत्रों पर खासतौर पर फोकस किया गया. हालांकि, ग्रामीण इलाकों में भी एनडीए ने अपनी पूरी ताकत लगा दी थी. लोकसभा चुनावों में मिली जीत और केंद्र सरकार की योजनाओं की लोकप्रियता का लाभ उठाते हुए, गठबंधन का लक्ष्य तिरुवनंतपुरम और त्रिशूर जैसे प्रमुख निगमों पर कब्जा जमाना और नगरपालिकाओं और ग्राम पंचायतों में अपनी सीटों की संख्या बढ़ाना है. इसके अलावा, गठबंधन कोझिकोड के उन 22 डिवीजनों में जीत हासिल करने का लक्ष्य रखता है, जहां पिछली बार उसे दूसरा स्थान मिला था.

बीजेपी को 2015 के चुनावों में पहली बार बड़ी सफलता मिली. तब उसने शहरी क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत की और 2016 के विधानसभा चुनावों में अपनी पहली विधायक जीत की नींव रखी. 2020 के स्थानीय निकाय चुनाव एक मील का पत्थर साबित हुए, जिसमें एनडीए ने वार्डों की संख्या में वृद्धि की और दो नगरपालिकाओं और 19 ग्राम पंचायतों में पूर्ण बहुमत हासिल किया. उसे ग्राम पंचायतों में 249 सदस्य, ब्लॉक पंचायतों में 37, जिला पंचायतों में दो, नगरपालिकाओं में 320 और निगमों में 60 सदस्य मिले. इसके साथ ही बीजेपी ने कुल वोट शेयर का 15% प्राप्त किया. 

किन वोटरों में बढ़ाई पैठ

इसके बावजूद, भाजपा ने 2021 के चुनावों में अपनी एकमात्र विधानसभा सीट खो दी, जिससे उसे शहरी क्षेत्रों में अपनी बढ़त को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करना पड़ा. 2014 में केंद्र में एनडीए के सत्ता में आने के बाद से, बीजेपी ने राज्य की दशकों पुराने दो गठबंधनों को सक्रिय रूप से चुनौती दी है, जिस पर परंपरागत रूप से सीपीआई (एम) के नेतृत्व वाले वाम लोकतांत्रिक मोर्चे (एलडीएफ) और कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चे (यूडीएफ) का वर्चस्व रहा है. अपनी हिंदू राष्ट्रवादी छवि को ध्यान में रखते हुए, बीजेपी अल्पसंख्यक समुदायों तक सावधानीपूर्वक पहुंच बना रही है, साथ ही एनडीए के उन सहयोगियों को भी समायोजित कर रही है, जिनका जाति और समुदाय के आधार पर अलग प्रभाव है. दक्षिण केरल में, भाजपा ने हिंदुओं, विशेष रूप से नायर समुदाय के बीच अपना समर्थन बढ़ाया है और रोमन कैथोलिक समुदाय में भी पैठ बना रही है. हालांकि, लैटिन कैथोलिक, ईसाई नादर और मुसलमानों के बीच इसकी स्वीकार्यता अभी भी सीमित है. उत्तरी केरल के ग्रामीण इलाके गठबंधन के लिए चुनावी दृष्टि से कम सुलभ हैं.

भाजपा नेताओं का कहना है कि उन्होंने निकाय चुनाव से पहले अपने मुख्य गठबंधन सहयोगी, भारत धर्म जन सेना (जिससे एझवा वोट जुटाने की उम्मीद है) और अन्य विविध गुटों के साथ आंतरिक विवादों को सफलतापूर्वक सुलझा लिया था, जिससे वे एनडीए के बैनर तले एकजुट होकर चुनाव लड़े. गठबंधन इस बार केरल के लगभग 90% सीटों पर चुनाव लड़ा, जो स्थानीय निकाय चुनावों में इसकी अब तक का सबसा बड़ा नंबर है.

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केरल में किसकी कितनी ताकत, समझिए

अमित शाह की किस पर नजर

पार्टी नेतृत्व ने सीपीआई (एम) के साथ नाजुक राजनीतिक संतुलन को भी समझते हुए इस बात को ध्यान में रखा कि कांग्रेस को वोट हस्तांतरण से किसी को भी लाभ नहीं होगा, जिससे पारंपरिक द्विध्रुवीय प्रतिस्पर्धा फिर से स्थापित हो सकती है. तिरुवनंतपुरम के नीमोम से विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा करने वाले भाजपा प्रदेश अध्यक्ष राजीव चंद्रशेखर का कहना है कि केरल में राजनीतिक शैली में बदलाव की शुरुआत होने वाली है. वे कहते हैं, “भाजपा, एलडीएफ और यूडीएफ के बीच राजनीतिक उठापटक की पुरानी व्यवस्था को बदलने के लिए तैयार है. ” 

वहीं कोच्चि में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को कहा कि भाजपा आगामी स्थानीय निकाय चुनावों में 25% वोट हासिल करेगी, जो पार्टी के लिए एक नई शुरुआत होगी. उन्होंने कहा कि पार्टी का राज्य में पहले से ही मजबूत आधार है और कई लोग इसकी विचारधारा में विश्वास रखते हैं. त्रिपुरा और असम का उदाहरण देते हुए, जहां भाजपा मात्र 1% वोट शेयर से बढ़कर पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनाने में सफल रही, शाह ने कहा कि केरल के युवा, चाहे वे किसी भी समुदाय के हों, प्रदर्शन और परिणाम आधारित राजनीति को चुनेंगे. उन्होंने मनोरमा न्यूज कॉन्क्लेव 2025 में कहा, "आगामी विधानसभा चुनावों में, लोग केवल यूडीएफ और एलडीएफ के बीच चुनाव करने की बाध्यता से मुक्त होंगे."
 

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