केरल उच्च न्यायालय (Kerala High Court) ने सोमवार को राज्य सरकार को अवैध रूप से झंडा पोल लगाने वालों के खिलाफ उनकी संबद्धता से परे हटकर कार्रवाई करने का निर्देश देते हुए कहा कि कोई भी, यहां तक कि सत्ता में बैठे लोग भी कानून से ऊपर नहीं हैं. न्यायमूर्ति देवन रामचंद्रन ने कहा, ‘‘इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कितने बड़े व्यक्ति हैं, कानून आपसे ऊपर है.'' न्यायाधीश ने कहा कि सत्ता में बैठे लोग, जो कानूनों और सरकार को समझते हैं, उन्हें अधिक जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए.
अदालत की यह टिप्पणी तब आयी जब उसने केरल में और झंडा पोल अवैध रूप से नहीं लगाने के उसके आदेश का राज्य में सत्तारूढ़ दल द्वारा उल्लंघन पाया.
न्यायमूर्ति रामचंद्रन ने सरकार से सवाल किया, ‘‘ मेरा झंडे के रंग से कोई सरोकार नहीं है, यहां यह लाल है. यह खुल्लमखुल्ला उल्लंघन है. हम समझ सकते हैं कि यदि आमलोग या जो सत्ता में नहीं हैं या विपक्ष में बैठे लोग ऐसा करते हैं, लेकिन क्या सत्ता में बैठे लोगों को ऐसा करना चाहिए. ''
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न्यायमूर्ति रामंचद्रन ने यह भी कहा कि कुछ लोगों द्वारा उन्हें किसी खास दल के साथ जोड़ने एवं ‘संघी' बताने की कोशिश की गयी है, लेकिन न तो उन्हें और न ही उच्च न्यायालय को ऐसे प्रयासों से झुकाया जा सकता है. अदालत सार्वजनिक जमीन के अतिक्रमण से जुड़े मामलों की सुनवाई कर रही थी.
एक अन्य मामले में, जहां एक सहकारी सोसायटी ने आरोप लगाया है कि एक खास राजनीतिक दल उसकी जमीन पर अवैध रूप से झंडे और बैनर लगा रहा है, इसपर राज्य सरकार ने अदालत से कहा कि कुछ जिलाधिकारियों द्वारा राज्य में अवैध झंडा पोल लगाने वालों के विरूद्ध कार्रवाई की जा रही है और अन्य भी ऐसा ही करेंगे. मामले की अगली सुनवाई जनवरी में होगी.
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