केरल उच्च न्यायालय ने ए पी जे अब्दुल कलाम प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (केटीयू) के कुलाधिपति के रूप में राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान द्वारा उसके सिंडिकेट और संचालक मंडल के प्रस्तावों को निलंबित किये जाने को खारिज कर दिया है. कुलाधिपति ने ‘विश्वविद्यालय प्रशासनिक विषयों पर सिंडिकेट स्थायी समिति' गठित करने के विश्वविद्यालय सिंडिकेट के फैसले को हाल में खारिज कर दिया। कुलपति और रजिस्ट्रार को प्रशासनिक सहयोग देने के लिए इस समिति का गठन किया गया था.
ए.पी.जे अब्दुल कलाम प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय अधिनियम की धारा 10 (3) के तहत प्रदत्त शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए कुलाधिपति ने संचालक मंडल के भी प्रस्ताव को निलंबित कर दिया था और कुछ कर्मियों के स्थानांतरण आदेश का क्रियान्वन टाल दिया था. अदालत ने विश्वविद्यालय सिंडिकेट के सदस्य और विधायक आई बी सतीश की याचिका पर शुक्रवार को यह आदेश सुनाया. सतीश ने अपनी याचिका में कुलाधिपति के फैसले को चुनौती दी थी.
अपने आदेश में न्यायमूर्ति सतीश निनान ने कहा कि अधिनियम की धारा 10(3) का प्रावधान स्पष्ट रूप से कहता है कि ‘‘कोई ऐसा आदेश देने से पहले'' कारण बताओ का नोटिस जारी किया जाए. अदालत ने कहा, ‘‘ जब सांविधिक प्रावधान के तहत शक्ति ढूढी जाती है तो उसी के हिसाब से उसका अनुपालन भी अनिवार्य है. जब कोई कानून किसी तरीके से कोई काम करने की प्रक्रिया तय करता है तो उसी खास प्रक्रिया पर चलते हुए ही उसी तरीके से वह किया जाए और निर्धारित प्रक्रिया से नहीं हटा जाए.''
अदालत ने कहा कि आदेश से पहले कारण बताओ नोटिस का मौका देने की सांविधिक व्यवस्था का पालन नहीं किया गया, इसलिए उसका दखल देना जरूरी हो जाता है.
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