केरल विधानसभा ने बृहस्पतिवार को विश्वविद्यालय कानून (संशोधन) विधेयक, 2022 पारित किया, जिससे राज्य के विश्वविद्यालय के कुलाधिपति के रूप में राज्यपाल की शक्तियों में कटौती होगी. विपक्षी कांग्रेस-यूडीएफ ने मतदान से पहले सदन की कार्यवाही का बहिष्कार कर दिया. उसने आरोप लगाया कि सरकार विश्वविद्यालयों में अहम पदों पर सत्तारूढ़ दल की ‘कठपुतलियों' को नियुक्त करने की कोशिश कर रही है.
विधानसभा में विपक्ष के नेता वी डी सतीशन ने कार्यवाही के बहिष्कार की घोषणा करते हुए कहा कि यह विधेयक राज्य के उच्च शिक्षा क्षेत्र के लिए एक ‘‘अपमान'' है.
उन्होंने आरोप लगाया कि यह विधेयक विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता को प्रभावित करेगा और उच्च शिक्षा के क्षेत्र में गलत मिसाल पेश करेगा.
बहरहाल, उच्च शिक्षा मंत्री आर बिंदू ने दावा किया कि विपक्ष और मीडिया का यह दुष्प्रचार गलत है कि यह विधेयक राज्यपाल की शक्तियों को कम कर देगा.
यह विधेयक ऐसे समय में पारित किया गया है, जब विपक्षी दल सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) पर राज्य के कई विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर भाई-भतीजावाद के आरोप लगा रहे हैं.
नया विधेयक विश्वविद्यालयों के कुलपति की नियुक्ति में कुलाधिपति के रूप में राज्यपाल की शक्तियों को सीमित करेगा.
राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और माकपा नीत एलडीएफ सरकार के बीच कन्नूर विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति सहित विभिन्न मुद्दों पर मतभेद सामने आए हैं.
खान ने कन्नूर विश्वविद्यालय में मलयालम की एक एसोसिएट प्रोफेसर की नियुक्ति पर भी रोक लगा दी थी. इस पद के साक्षात्कार में प्रिया वर्गीज को पहला स्थान मिला था, जो मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के निजी सचिव के. के. रागेश की पत्नी हैं.
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