शिक्षा मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि केंद्रीय विद्यालयों में प्रवेश के लिए सांसदों के विवेकाधीन कोटा को फिर से शुरू करने का कोई प्रस्ताव नहीं है. शिक्षा राज्य मंत्री जयंत चौधरी ने राज्यसभा को शिवसेना (यूबीटी) की सदस्य प्रियंका चतुर्वेदी के एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी.
चौधरी ने कहा, ‘‘सांसदों के कोटे सहित कुछ विशेष प्रावधानों के तहत केंद्रीय विद्यालयों में स्वीकृत छात्र संख्या से अधिक छात्रों को प्रवेश दिया गया था लेकिन इससे कक्षाओं में उच्च छात्र-शिक्षक अनुपात (पीटीआर) हो जाने के कारण पठन-पाठन की प्रक्रिया पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा था.'' उन्होंने कहा कि केंद्रीय विद्यालयों में प्रवेश के लिए सांसदों का कोटा फिर से शुरू करने का वर्तमान में कोई प्रस्ताव नहीं है.
विशेष प्रावधानों के तहत, सांसदों के पास केंद्रीय विद्यालय में 10 बच्चों के प्रवेश की सिफारिश करने का विवेकाधीन अधिकार था. जिलाधिकारी के पास केंद्रीय विद्यालयों में प्रायोजक प्राधिकरण कोटे के तहत 17 छात्रों के प्रवेश की सिफारिश करने का अधिकार था. लोकसभा में 543 और राज्यसभा में 245 सांसद सामूहिक रूप से कोटे के तहत एक वर्ष में 7,880 दाखिले की सिफारिश कर सकते थे. 2022 में केंद्र ने कोटा खत्म कर दिया.
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