केदारनाथ यात्रा में बना नया रिकॉर्ड, अब तक पहुंचे 16.56 लाख श्रद्धालु

बारिश और बर्फबारी के पूर्वानुमान के कारण प्रशासन की ओर से श्रद्धालुओं को अभी भी एहतियात बरतने की सलाह दी गई है. श्रद्धालुओं को बार-बार आगाह किया जा रहा है कि मौसम खराब होने पर यात्रा करने से बचें.

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मानसून में बारिश और आपदाओं के कारण धीमी पड़ी चारधाम यात्रा ने अब फिर रफ्तार पकड़ ली है. बुधवार तक केदारनाथ यात्रा पर आए श्रद्धालुओं की संख्या एक नया रिकॉर्ड बनाते हुए 16 लाख 56 हजार के पार पहुंच गयी . पिछले कुछ दिनों से उत्तराखंड के उंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी तथा निचले इलाकों में बारिश हो रही है लेकिन उसके बावजूद तीर्थयात्रियों का उत्साह बना हुआ है.

तीर्थयात्रियों की संख्या 16 लाख 56 हजार 539 पहुंची

एक सरकारी रिपोर्ट के अनुसार केदारनाथ धाम में बुधवार को 5614 श्रद्धालुओं ने दर्शन किए. इसी के साथ इस साल अब तक बाबा केदार के धाम आने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या 16 लाख 56 हजार 539 हो गयी, जबकि अभी धाम के कपाट बंद होने में 14 दिन का समय बचा है. इससे पहले 2024 में पूरे यात्राकाल में 16 लाख 52 हजार 76 यात्री केदारनाथ आए थे. केदारानाथ के कपाट 23 अक्टूबर को भैयादूज के अवसर पर बंद होंगे.

इसी प्रकार, बदरीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में भी श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ी है.

सुरक्षित यात्रा के पुख्ता इंतजाम

रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश सरकार ने श्रद्धालुओं के उत्साह को देखते हुए सुरक्षित यात्रा के पुख्ता इंतजाम किए हैं. यात्रा मार्ग में जवानों की तैनाती की गई है, जबकि भूस्खलन की दृष्टि से संवेदनशील स्थानों पर मलबे की सफाई के लिए जेसीबी की व्यवस्था की गई है, ताकि यातायात लंबे समय तक बाधित न हो. 30 अप्रैल 2025 को गंगोत्री एवं यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ चारधाम यात्रा की शुरूआत हुई थी. इसके बाद दो मई को केदारनाथ और चार मई को बदरीनाथ धाम के कपाट आम श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए गए थे.

राज्य सरकार ने केंद्रीय एजेंसियों की मदद से मार्गों को किया बहाल

मानसून सीजन में अतिवृष्टि, बादल फटने और भूस्खलन की घटनाओं के कारण चारधाम यात्रा बुरी तरह प्रभावित हुई थी. प्रकृति की विनाशलीला में गंगोत्री धाम का महत्वपूर्ण पड़ाव धराली बुरी तरह तबाह हो गया, जबकि यात्रा मार्ग बुरी तरह तहस-नहस हो जाने से गंगोत्री और यमुनोत्री धाम की यात्रा भी बाधित हो गयी थी. हालांकि, राज्य सरकार ने केंद्रीय एजेंसियों की मदद से मार्गों को बहाल किया, जिससे आम जनजीवन भी सामान्य हुआ. 

प्रशासन ने दी एहतियात बरतने की सलाह

बारिश और बर्फबारी के पूर्वानुमान के कारण प्रशासन की ओर से श्रद्धालुओं को अभी भी एहतियात बरतने की सलाह दी गई है. श्रद्धालुओं को बार-बार आगाह किया जा रहा है कि मौसम खराब होने पर यात्रा करने से बचें और यदि यात्रा मार्ग में हैं, तो सुरक्षित स्थान पर शरण लें. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने श्रद्धालुओं और स्थानीय नागरिकों की सुरक्षा को राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता करार दिया है और चारधाम यात्रा से संबंधित सभी जिलाधिकारियों को यात्रा मार्गों पर आवश्यक व्यवस्थाओं का पूरा ध्यान रखने के निर्देश दिए हैं.

सीएम ने जिलाधिकारियों से सभी अधिकारियों को अलर्ट मोड पर रहने और आपात स्थिति में बिना किसी देरी के राहत और बचाव कार्य शुरू करने के लिए तैयार रहने के निर्देश दिए हैं.

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