बीजेपी के साथ पार्टी की बढ़ती नजदीकियों की अटकलों के बीच, भारत राष्ट्र समिति ने केंद्र द्वारा बुलाई गई बैठकों के बहिष्कार के अपने दो साल के दौर को समाप्त कर दिया है. शनिवार को मणिपुर की स्थिति को लेकर बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में केसीआर के पार्टी के नेता ने हिस्सा लिया. पार्टी की तरफ से ऐसा कदम इस समय उठाया गया है जब तेलंगाना के मुख्यमंत्री और बीआरएस अध्यक्ष के.चंद्रशेखर राव, जो भाजपा के खिलाफ समान विचारधारा वाले दलों को एकजुट करने के प्रयासों में सबसे आगे रहे थे, ने विपक्षी एकता की कवायद से अपने आप को अलग कर लिया है.
केसीआर की पार्टी ने विपक्षी दलों की बैठक में नहीं लिया था हिस्सा
केसीआर अब 'तेलंगाना विकास मॉडल' पेश करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. उनकी पार्टी कल पटना में 16 दलों की विपक्षी बैठक में भी शामिल नहीं हुई थी.गौरतलब है कि हाल के दिनों में केसीआर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर लगातार हमलावर रहे थे. लेकिन 15 जून को पार्टी की एक बैठक में उन्होंने पीएम मोदी को अपना अच्छा दोस्त बताया था. वहीं शुक्रवार को जब विपक्षी दलों की बैठक हो रही थी तो राव के बेटे और तेलंगाना मंत्री के टी रामाराव ने नई दिल्ली की दो दिवसीय यात्रा शुरू की, जिसके दौरान उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की और उनका केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलने का भी कार्यक्रम है.
अमित शाह द्वारा बुलाए गए बैठक में केसीआर के प्रतिनिधी पहुंचे
शाह ने मणिपुर में हिंसा पर सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता की, जो नई दिल्ली में संसद पुस्तकालय भवन में दोपहर 3 बजे शुरू हुई थी. केसीआर ने बैठक में भाग लेने के लिए वरिष्ठ नेता और पूर्व संसद सदस्य बी विनोद को नामित किया था. नवंबर 2020 के बाद से यह पहली केंद्रीय बैठक है जिसमें केसीआर की पार्टी ने भाग लिया है.
दिल्ली शराब नीति मामले में केसीआर की बेटी का नाम
सूत्रों के अनुसार दिल्ली शराब नीति घोटाले में केसीआर की बेटी के कविता का नाम सामने आना भी बीआरएस और भाजपा के बदले रिश्ते का एक कारण हो सकता है. गौरतलब है कि प्रवर्तन निदेशालय ने हाल ही में उनसे दो बार पूछताछ की और दो आरोपपत्रों में उनका नाम शामिल किया है. संभावित गिरफ्तारी की भी खबरें थीं. हालाँकि, अप्रैल में दायर तीसरी चार्जशीट में उसका नाम हटा दिया गया था.
तेलंगाना में कांग्रेस को हो सकता है फायदा
साल के अंत में तेलंगाना में विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में बीआरएस के साथ इसकी कथित निकटता भी भाजपा के लिए परेशानी का कारण बन सकती है. सूत्रों के अनुसार पार्टी नेता कोमाटिरेड्डी राजगोपाल रेड्डी और एटाला राजेंदर, जो हाल ही में तेलंगाना भाजपा में शामिल हुए हैं, कांग्रेस में जाने पर विचार कर रहे हैं. सूत्रों ने कहा कि अगर मतदाताओं ने भाजपा पर बीआरएस के बदलते रुख को नोटिस किया, तो इससे विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मदद मिल सकती है. बीआरएस 2014 में अपने गठन के बाद से ही तेलंगाना में सत्ता में है.