राष्ट्रपति चुनाव में BJP की मुश्किलें बढ़ाएंगे KCR! , यहां समझिए सारा सियासी गणित

जम्मू-कश्मीर विधानसभा (Jammu and Kashmir Assembly) भंग होने के कारण एक सांसद के वोट का मूल्य 700 हो गया है. राष्ट्रपति (President) चुनने के लिए लोकसभा (Loksabha) में 543 और राज्यसभा में 233 और राज्यों के कुल 4 हजार 33 विधायक (MLAs) राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोट डालेंगे.

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नई दिल्ली:

चुनाव आयोग (Election Commission) ने देश के 16 वें राष्ट्रपति के चुनाव का ऐलान कर दिया. राष्ट्रपति चुनाव (Presidential Election) का ऐलान होते ही राजितिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं क्योंकि बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए (NDA) के पास ये चुनाव जीतने के लिए स्पष्ट बहुमत नहीं है. टीआरएस प्रमुख और तेलंगाना के सीएम के. चंद्रशेखर राव (K. Chandrashekhar Rao) जिस तरह क्षेत्रीय दलों को एकजुट कर रहे हैं, उससे बीजेपी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. केसीआर की कोशिश है कि 2024 के आम चुनाव से पहले ही बीजेपी को घेर लिया जाए और एहसास करा दिया जाए की आगे की राह आसान नहीं है.

अभी तक एनडीए और यूपीए ने राष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है. सूत्रों के हवाले से जो खबरें आ रही हैं उसमें एनडीए की तरफ से आदिवासी से लेकर मुस्लिम चेहरे की बात की जा रही है. वहीं कांग्रेस की तरफ से गुलाम नबी आजाद को उतारने की बात सामने आ रही है, लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि इस चुनाव में विपक्ष के असली सूत्रधार केसीआर बनेंगे. 

2017 के चुनाव में मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के मुकाबले कांग्रेस ने मीरा कुमार को उतारा था और वह बुरी तरह हारी थीं. तब केसीआर की पार्टी टीआरएस एनडीए उम्मीदवार के साथ थी. टीआरएस के अलावा एआईडीएमके, वाईएसआरसीपी, बीजेडी व तेलुगु देशम पार्टी ने भी एनडीए उम्मीदवार का समर्थन किया था. इस बार टीआरएस प्रमुख चंद्रशेखर राव एनडीए को जबरदस्त टक्कर देने की कोशिश कर रहे हैं.

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2024 में बीजेपी को चुनौती देने की तैयारी में KCR 
केसीआर का मकसद है 2024 में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए को चुनौती देना है. इसके लिए वह देश भर में घूम रहे हैं और अभी तक पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, महाराष्ट्र के सीएम, उद्धव ठाकरे, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पंजाब के सीएम, भगवंत मान, सपा प्रमुख व यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव समेत कई बड़े नेताओं से मिल चुके हैं और कई नेताओं से अभी मिलने वाले हैं. इस महीने तृणमूल कांग्रेस प्रमुख व पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी से मिलने कोलकाता और बिहार सीएम नीतीश कुमार व विपक्ष के नेता तेजस्वी से मिलने के लिए पटना जाने की तैयारी कर रहे हैं.

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इन्होंने की थी KCR से मुलाकात
तेजस्वी, केसीआर से हैदराबाद में मिल चुके हैं. केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने हैदराबाद में केसीआर से मुलाकात की थी. हालांकि कांग्रेस और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी से फिलहाल दूरी बनाए हुए हैं. समान विचारधारा वाले विपक्षी दलों से मिलकर एकजुटता लाने की कोशिश में लगे केसीआर ने कांग्रेस तक पहुंचने का कोई प्रयास नहीं किया है. तेलंगाना राष्ट्र समिति के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि कांग्रेस उस उम्मीदवार का समर्थन करने का विकल्प चुन सकती है, जिस पर भाजपा उम्मीदवार को चुनौती देने के लिए अन्य दलों ने सहमति दी हो.

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बीजेपी को पटनायक और रेड्डी से उम्मीद
ऐसे में भाजपा का पूरा गणित ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक और आंध्र प्रदेश के सीएम जगनमोहन रेड्डी पर टिकी है. दोनों में से कोई भी समर्थन कर देता है, तो भाजपा उम्मीदवार के लिए राष्ट्रपति पद की राह आसान हो जाएगी. बताते हैं कि ओडिशा सीएम नवीन पटनायक को साधने का जिम्मा रेल मंत्री अश्विणी वैष्णव और आंध्र प्रदेश के सीएम से संपर्क साधने के लिए जीवीएल नरसिम्हा को लगाया गया है. 

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बिहार में राजनीति बदल रही है
इस सियासी हलचल में बिहार सीएम नीतीश कुमार हॉटकेक बन गये हैं, भूपेंद्र यादव ने बिहार में जो राजनीति की उससे खफा नीतीश कुमार लालू परिवार से पींगें बढ़ाने लगे थे और जातीय जनगणना समेत कई मुद्दों पर सक्रिय हो गये थे. स्थिति की नजाकत को भांपकर भाजपा ने धर्मेंद्र प्रधान को भेजकर नीतीश कुमार को संदेश दिया है कि वे चाहें तो 2025 तक सीएम रहें या उप राष्ट्रपति पद स्वीकार करें. उन्हें आश्वस्त किया गया कि उनका सीएम पद सुरक्षित है. इतना ही नहीं जातीय जनगणना का विरोध करने वाली भाजपा ने बिहार में नीतीश के दबाव में ही समर्थन किया. 

नीतीश कुमार पलटवार बहुत जबरदस्त करते हैं और आरजेडी से नजदीकी बढ़ाकर उन्होंने साफ संदश दे दिया था कि विकल्प उनके पास भी है. यूं भी 2012 में एनडीए में रहते हुए नीतीश कुमार ने यूपीए उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी को समर्थन दिया था जबकि 2017 के चुनाव में महागठबंधन में रहते हुए नीतीश कुमार ने रामनाथ कोविंद को समर्थन देने में देर नहीं लगाई क्योंकि जिस समय वह राष्ट्रपति उम्मीदवार बने थे उस समय वह बिहार के राज्यपाल थे. केसीआर  नीतीश कुमार और विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव को साधने के लिए बिहार पहुंचने वाले हैं. वह ऐसा सियासी चक्रव्यूह बना रहे हैं जिसमें बीजेपी घिर जाए और उसका मनोबल गिरे ताकि 2024 में उसे जमीन दिखाई जा सके.

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एक सांसद का वोट मूल्य घटकर 700 हुआ
बता दें कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा भंग होने के कारण इस चुनाव में एक सांसद के वोट का मूल्य 700 है. चुनाव आयोग के मुताबिक राष्ट्रपति चुनने के लिए लोकसभा में 543 और राज्यसभा में 233 और राज्यों के कुल 4 हजार 33 विधायक राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोट डालेंगे. इस तरह से राष्ट्रपति चुनाव में कुल मतदाताओं की संख्या 4 हजार 809 होगी. इस तरह सासंदों के वोट की वैल्यू 543200 है जबकि विधायकों के वोट की वैल्यू 543231 है, यानी कुल वैल्यू 1086431 है. राष्ट्रपति चुनाव के लिए 18 जुलाई को वोटिंग होगी और 21 जुलाई को परिणाम आएगा. 24 जुलाई को मौजूदा राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद का कार्यकाल खत्म हो रहा है. चुनाव की अधिसूचना 15 जून को ही जारी हो जाएगी.

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