श्रीनगर में 1996, तो बारामूला में टूटा 1985 का रिकॉर्ड, पाक और उसके आतंक को कश्मीरियों का 'नीली स्याही' वाला जवाब

जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir Voting) का बारामूला क्षेत्र 1989 से आतंकवाद की चपेट में था. इसकी वजह से मतदान 5.5% के अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया था. 1990 के दशक की शुरुआत में उत्तरी कश्मीर आतंकवादियों का गढ़ रहा. पांचवें और आखिरी चरण में, श्रीनगर में 38.5% मतदान दर्ज किया गया था, जो 1996 के बाद से सबसे ज्यादा है.

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जम्मू-कश्मीर के बारामूला में टूटा वोटिंग का रिकॉर्ड.

नई दिल्ली:

देशभर में अब तक पांच चरण के लोकसभा चुनाव (LokSabha Elections 2024) हो चुके हैं. पांचवें चरण की वोटिंग के दौरान कभी आतंकवाद प्रभावित रहे जम्मू-कश्मीर (Jammu Kshmir) के बारामूला लोकसभा क्षेत्र में अब तक का सबसे ज्यादा मतदान (Baramula Record Voting)) दर्ज किया गया. सोमवार को बारामूला में 59 प्रतिशत मतदान हुआ, जो कि 1984 के बाद से अब तक सबसे ज्यादा है. केंद्र शासित प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी पी. के. पोल ने यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि संसदीय क्षेत्र के सोपोर विधानसभा क्षेत्र में 44.36 प्रतिशत मतदान हुआ, जहां बीते कुछ दशकों में यह प्रतिशत 10 प्रतिशत से कम रहता था. 

बारामूला में पहली बार टूटा वोटिंग का रिकॉर्ड

मतदान संपन्न होने के बाद मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने मीडिया से कहा, "बारामूला लोकसभा क्षेत्र में 1967 में पहली बार संसदीय चुनाव होने के बाद इस बार रिकॉर्ड मतदान हुआ है." बारामूला लोकसभा क्षेत्र में इससे पहले सबसे ज्यादा 58.90 प्रतिशत मतदान 1984 में हुआ था. पोल ने कहा कि इस बार यह प्रतिशत 59 रहा. इस लोकसभा सीट पर कुल 17,37,865 वोटर्स थे. बारामूला संसदीय क्षेत्र में 2,103 मतदान केंद्रों पर वोट डाले गए, जिसका सीधा प्रसारण हुआ. निर्वाचन आयोग ने बताया कि पूरे निर्वाचन क्षेत्र में सुबह सात बजे मतदान शुरू हुआ. 

आयोग की तरफ से मिली जानकारी के मुताबिक, 2019 में निर्वाचन क्षेत्र में 34.6 प्रतिशत मतदान हुआ था, जबकि 1989 में यह मात्र 5.48 प्रतिशत था. बारामूला सीट से इस बार 22 उम्मीदवार मैदान में हैं. नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद गनी लोन और निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर शेख अब्दुल रशीद उर्फ इंजीनियर रशीद मुकाबले में प्रमुख उम्मीदवार हैं. रशीद फिलहाल जेल में बंद हैं.

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 अनुच्छेद 370 निरस्त होने के बाद घाटी में पहला आम चुनाव

इससे पहले, लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में श्रीनगर सीट पर 38.49 प्रतिशत मतदान हुआ था, जो 1996 के बाद से सबसे अधिक है. बता दें कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद घाटी में यह पहला आम चुनाव है. बता दें कि जम्मू-कश्मीर का बारामूला क्षेत्र 1989 से आतंकवाद की चपेट में था. इसकी वजह से मतदान 5.5% के अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया था. 1990 के दशक की शुरुआत में उत्तरी कश्मीर आतंकवादियों का गढ़ रहा. पांचवें और आखिरी चरण में, श्रीनगर में 38.5% मतदान दर्ज किया गया था, जो 1996 के बाद से सबसे ज्यादा है. इससे पता चलता है कि घाटी के लोग बड़ी संख्या में मकदान के लिए घरों से बाहर निकले. 

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जम्मू-कश्मीर के वोटर्स को धन्यवाद

मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने ने बड़ी संख्या में अपने अधिकार के इस्तेमाल के लिए जम्मू-कश्मीर के वोटर्स को धन्यवाद दिया. उन्होंने  टीओआई को बताया, "बड़ी संख्या में लोग यूटी में लोकतांत्रिक शासन के लिए आगे आ रहे हैं. इसने पैनल को जल्द से जल्द यूटी में विधानसभा चुनाव कराने के लिए प्रोत्साहित किया है."

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चुनाव आयोग की वोटर टर्नआउट ऐप के मुताबिक, हंदवाड़ा विधानसभा क्षेत्र, में सबसे ज्यादा 72% मतदान दर्ज किया गया, जबकि सोपोर विधानसभा क्षेत्र में सबसे कम 40.1% मतदान हुआ. चुनाव आयोग ने मुख्य रूप से राहत शिविरों में रहने वाले कश्मीरी प्रवासी मतदाताओं के लिए वोटिंग के लिए विभिन्न श्रेणियों के 187 विशेष मतदान केंद्र स्थापित किए थे. जम्मू में 21, उधमपुर में एक और दिल्ली में चार विशेष मतदान केंद्र बनाए गए थे. बता दें कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के लागू होने के बाद घाटी में यह पहला आम चुनाव है.

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