हुर्रियत नेता मीरवाइज 4 साल बाद नजरबंदी से रिहा, अब मस्जिद में पढ़ा सकेंगे जुमे की नमाज

अंजुमन औकाफ जामिया मस्जिद ने एक बयान जारी कर कहा कि पुलिस अधिकारियों ने गुरुवार को उनसे मुलाकात की और बताया कि मीरवाइज को शुक्रवार की नमाज (Friday Namaz) का नेतृत्व करने की अनुमति दे दी गई है.

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हुर्रियत नेता मीरवाइज 4 साल बाद नजरबंदी से रिहा, अब मस्जिद में पढ़ा सकेंगे जुमे की नमाज
मीरवाइज चार साल बाद करेंगे जुमे की नमाज का नेतृत्व

कश्मीरी अलगाववादी मीरवाइज उमर फारूक आज चार साल की नजरबंदी से रिहा हो गए हैं. अब वह जुमे की नमाज पढ़ा सकेंगे. वह श्रीनगर की ऐतिहासिक जामिया मस्जिद में जुमे की नमाज (Friday Namaz) पढ़ा सकेंगे.जामिया मस्जिद के मुख्य मौलवी मीरवाइज, हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष हैं.अंजुमन औकाफ जामिया मस्जिद ने एक बयान जारी कर कहा कि पुलिस अधिकारियों ने गुरुवार को उनसे मुलाकात की और बताया कि मीरवाइज को शुक्रवार की नमाज का नेतृत्व करने की अनुमति दे दी गई है. एक अधिकारी ने कहा कि मीरवाइज आज जामिया मस्जिद जा रहे हैं. 

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4 साल से नज़रबंद थे मीरवाइज

जम्मू-कश्मीर के दोनों पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने भी अन्य राजनीतिक नेताओं की तरह मीरवाइज की रिहाई का स्वागत किया है. बता दें कि अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद 5 अगस्त, 2019 को मीरवाइज को  नजरबंद कर दिया गया था. उस समय बड़े स्तर पर लिए गए एक्शन के तहत मीरवाइज के साथ ही हजारों अन्य राजनीतिक नेताओं और कार्यकर्ताओं को भी हिरासत में लिया गया और जेल में डाल दिया गया था.

मस्जिद खुली लेकिन नहीं मिली नमाज पढ़ाने की अनुमति

2019 में अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद से घाटी की ऐतिहासिक जामिया मस्जिद को भी बंद कर दिया गया था. हालांकि फरवरी, 2022 में इसे हर दिन होने वाली नमाज के लिए फिर से खोल दिया गया था. लेकिन मीरवाइज घर में नजरबंद ही रहे. उनको मस्जिद में नमाज अदा करने की अनुमति नहीं दी गई थी. दरअसल मीरवाइज को अलगाववादी आवाज माना जाता है.

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मीरवाइज पर केंद्र का रुख नरम

मीरवाइज को रिहा करने और उनको जुमे की नमाज का नेतृत्व करने देने का केंद्र सरकार के फैसले को एक नरम रुख की तरह देखा जा रहा है. दरअसल  2019 के बाद से ही सरकार कश्मीरी अलगाववादियों की कड़ी आलोचना झेल रही है. हाल ही में अलगाववाद को बढ़ावा देने के आरोप में जेल में बंद दो अन्य मौलवियों को भी रिहा कर दिया गया था.  कश्मीर में स्थानीय बीजेपी नेताओं ने इस फैसले का स्वागत किया था.

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