कर्नाटक : जबरन धर्मांतरण का कोई मामला नहीं मिलने पर सर्वे करने वाले अफसर का तबादला

यह सर्वे जबरन धर्मांतरण के कुल मामलों को जानने के लिए किया गया था लेकिन आखिर में यह खुलासा हुआ कि कोई जबरन धर्मांतरण नहीं हुआ है.

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बेंगलुरु:

ऐसे समय जब कर्नाटक में बीजेपी सरकार, जबरन धर्मांतरण के मामलों में इजाफा होने के आरोप लगा रही है, एक जिले में कराया गया आधिकारिक सर्वे इस दावे पर सवालिया निशान लगा रहा है. चित्रदुर्गा जिले के होसादुर्गा तालुक के दो गांव में अवैध जबरन धर्मांतरण का सर्वे करने वाले एक तहसीलदार थिप्‍पास्‍वामी का अब तबादला कर दिया गया है. सर्वे को सरकार के दावे को चुनौती के तौर पर देखा जा रहा है, अगले आदेश तक तहसीलदार थिप्‍पास्‍वामी से अधिकारिक टाइटल (official title) छीन लिया गया है. 

यह सर्वे जबरन धर्मांतरण के कुल मामलों को जानने के लिए किया गया था लेकिन आखिर में यह खुलासा हुआ कि कोई जबरन धर्मांतरण नहीं हुआ  है और गांवों के लोग अपनी इच्‍छा से प्रार्थना सभा में शामिल होते हैं. तहसीलदार ने बताया, 'सर्वे के बाद मेरा ट्रांसफर कर दिया गया है. फिलहाल मुझे कोई पद आवंटित नहीं किया गया है. दो गांवों में जबरन धर्मांतरण की कई शिकायतें मिलने के बाद मैंने सर्वे किया था लेकिन जब मैंने लोगों से इस बारे में पूछा तो उन्‍होंने कहा कि उन्‍हें कोई लालच नहीं दिया गया और वे खुद अपनी इच्‍छा से कन्‍वर्ट हुए हैं.'

उधर, सर्वे को खारिज करते हुए कर्नाटक में बीजेपी के आधिकारिक प्रवक्‍ता प्रकाश ने कहा, 'ईसाई समुदाय की ओर से जबरन धर्मांतरण के अपने आरोपों पर पार्टी कायम है. ' बीजेपी प्रवक्‍ता ने कहा कि विधायक जी शेखर की मां ने खुद धर्मांतरण किया और अब वे वापस हिंदू धर्म में आ गई हैं. इन इलाकों में धर्मांतरण की कई घटनाएं हुई है. कोई भी विधायक सत्‍यापित जानकारी के बगैर ऐसे आरोप नहीं लगाएगा. ऐसे में तहसीलदार में रिपोर्ट किस तरह तैयार की और उसने बात या जांच की भी या नहीं, यह स्‍पष्‍ट नहीं है. 

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