ठेके में 4% कोटा सिर्फ मुसलमानों के लिए नहीं, आरोपों पर कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार

राज्य सरकार ने अंततः कर्नाटक सार्वजनिक खरीद में पारदर्शिता (केटीपीपी) अधिनियम, 1999 में संशोधन के लिए विधेयक पेश किया. सूत्रों ने बताया कि वित्त विभाग ने पहले ही खाका तैयार कर लिया था और कानून एवं संसदीय कार्य मंत्री एचके पाटिल ने संशोधन पर सहमति जताई. 

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कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने 4 प्रतिशत कोटा मुद्दे पर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का समर्थन किया है. वहीं विपक्ष ने इसे मुसलमानों को खुश करने का कदम बताया है. यह कोटा नौकरियों या शिक्षा के लिए नहीं है, बल्कि ठेकेदारों को 1 करोड़ रुपये तक की सरकारी परियोजनाओं के लिए बोली लगाने के लिए है. शिवकुमार ने इस बात से इनकार किया कि 4 प्रतिशत कोटा सिर्फ़ मुसलमानों के लिए है.

डीके शिवकुमार ने क्या कहा

शिवकुमार ने आज हुबली में संवाददाताओं से कहा, "4 प्रतिशत कोटा केवल मुसलमानों के लिए ही नहीं, बल्कि सभी अल्पसंख्यकों और पिछड़े वर्गों के लिए है." सिद्धारमैया ने शुक्रवार को राज्य के बजट 2025-26 में सरकारी ठेकों में आरक्षण की घोषणा की और अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के लिए 42,018 करोड़ रुपये आवंटित किए थे. हालांकि, उन्होंने अपने भाषण में किसी समुदाय का नाम नहीं लिया, लेकिन बजट में श्रेणी 2बी को शामिल किया गया, जिसमें विशेष रूप से मुसलमान शामिल हैं. सिद्धारमैया ने कहा, "कर्नाटक सार्वजनिक खरीद में पारदर्शिता अधिनियम के प्रावधानों के तहत, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, श्रेणी-I, श्रेणी-IIA और श्रेणी-IIB ठेकेदारों को कार्यों में प्रदान किए जाने वाले आरक्षण को बढ़ाकर 2 करोड़ रुपये किया जाएगा."

कर्नाटक सार्वजनिक खरीद में पारदर्शिता (केटीपीपी) अधिनियम में संशोधन आज किया गया और उसे मंजूरी दे दी गई. अब सरकारी विभागों, निगमों और संस्थाओं के तहत वस्तुओं और सेवाओं की खरीद में एससी, एसटी, श्रेणी 1, श्रेणी 2ए और श्रेणी 2बी के आपूर्तिकर्ताओं को 1 करोड़ रुपये तक का आरक्षण दिया जाएगा.

अल्पसंख्यक नेताओं ने एससी, एसटी और अन्य पिछड़े समुदायों के लिए दिए गए आरक्षण के समान मुसलमानों के लिए 4 प्रतिशत अनुबंध कार्यों को आरक्षित करने का अनुरोध प्रस्तुत किया. इसके बाद सिद्धारमैया के नेतृत्व में एक कैबिनेट बैठक हुई, जिसमें विधेयक पेश करने के संबंध में चर्चा की गई.

राज्य सरकार ने अंततः कर्नाटक सार्वजनिक खरीद में पारदर्शिता (केटीपीपी) अधिनियम, 1999 में संशोधन के लिए विधेयक पेश किया. सूत्रों ने बताया कि वित्त विभाग ने पहले ही खाका तैयार कर लिया था और कानून एवं संसदीय कार्य मंत्री एचके पाटिल ने संशोधन पर सहमति जताई. 

बीजेपी के आरोप

राज्य सरकार की आलोचना करते हुए भाजपा ने कहा कि यह कदम संविधान की भावना के खिलाफ है और यह तुष्टिकरण की राजनीति की पराकाष्ठा के अलावा कुछ नहीं है. राज्य भाजपा अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र ने कहा कि कांग्रेस राज्य को कलह की ओर ले जा रही है. विजयेंद्र ने कहा कि राज्य सरकार ने विधायकों के लिए कोई फंड जारी नहीं किया है और जब कोई टेंडर नहीं निकाला गया है और काम आवंटित नहीं किया गया है, तो आरक्षण का क्या फायदा है.


भाजपा नेता ने कहा, "क्या कांग्रेस यह सोचती है कि केवल मुसलमान ही अल्पसंख्यक समूह हैं? मैं मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से आग्रह करता हूं कि अगर वह वास्तव में अहिंदा (अल्पसंख्यतरु या अल्पसंख्यक, हिंदुलिडावरु या पिछड़े वर्ग और दलितारु या दलितों के लिए एक कन्नड़ संक्षिप्त नाम) नेता हैं, तो उन्हें हाशिए पर पड़े समुदायों को सक्षम बनाना चाहिए और उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत करना चाहिए." उन्होंने कहा, "मदिवाला, सविता और कई समुदाय भी मौजूद हैं और उन्हें राज्य से समर्थन की आवश्यकता है. सरकार इन समुदायों को मुख्यधारा में नहीं ला रही है. इसके बजाय, सरकार मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए पूरी तरह तैयार है, लोगों को उन्हें सबक सिखाना होगा."

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