कर्नाटक मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को कन्नड़़ भाषा व्यापक विकास (संशोधन) अध्यादेश को मंजूरी दे दी. अब, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों, उद्योगों, अस्पतालों, संस्थानों व संगठनों को ‘साइनबोर्ड' और नामपट्टिका में 60 प्रतिशत कन्नड़़ भाषा का इस्तेमाल करना होगा.
इससे पहले बेंगलुरु में 28दिसंबर को कन्नड़ समर्थक संगठन कर्नाटक रक्षणा वेदिके (टीए नारायण गौड़ा गुट) के कार्यकर्ताओं ने ऐसी दुकानों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों में तोड़फोड़ की थी जहां साइनबोर्ड, विज्ञापन और नाम पट्टिकाएं कन्नड़ भाषा में नहीं थीं.
कर्नाटक रक्षणा वेदिके ने साइनबोर्ड पर 60 प्रतिशत कन्नड़ भाषा का इस्तेमाल अनिवार्य करने की मांग की थी.
मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने कानून अपने हाथ में लेने वालों के खिलाफ चेतावनी जारी थी की और कहा था कि विरोध कोई भी कर सकता है, लेकिन सरकारी या सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान नहीं पहुंचाया जाना चाहिए.
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