सिद्धारमैया कर्नाटक की राजनीति का बड़ा नाम हैं. पेशे से वकील रहे सिद्धारमैया ने 1978 में सक्रिय राजनीति में कदम रखा था. हालांकि, सिद्धारमैया के माता-पिता चाहते थे कि वह डॉक्टर बनें, लेकिन उन्होंने वकालत का पेशा चुना. इसके बाद उन्होंने वकालत को छोड़ राजनीति की राह पकड़ी और 'भूख मुक्त कर्नाटक' के सपने को सच करने निकल पड़े. वह कर्नाटक विधानसभा में विभिन्न पदों पर रहें. विधायक, वित्त मंत्री, उपमुख्यमंत्री के बाद साल 2013 में सिद्धारमैया ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी. 75 साल के सिद्धारमैया कुरुबा समुदाय के नेता हैं, उनकी अन्य समुदायों पर भी अच्छा प्रभाव है. सिद्धारमैया किसानों के मुद्दों को प्रमुखता से उठाते रहे, वह स्पष्ट बोलने वाले व्यक्ति है, यही वजह है कि उन्हें जनता का साथ मिलता रहा और वह राज्य के मुख्यमंत्री पद तक पहुंचे. कर्नाटक में विधानसभा चुनाव का शंखनाद हो गया है और सिद्धारमैया ने ऐलान कर दिया है कि ये उनका आखिरी चुनाव होगा.
देवेगौड़ा का साथ छोड़ थामा था कांग्रेस का हाथ
कांग्रेस में शामिल होने से पहले सिद्धारमैया ने सालों तक एच. डी. देवेगौड़ा के साथ निष्ठापूर्ण तरीके से काम किया. ऐसे में माना जा रहा था कि पार्टी का अगला मुखिया सिद्धारमैया को ही बनाया जाएगा. लेकिन जब पार्टी की कमान सौंपने की बात आई, तब देवेगौड़ा ने पार्टी के वफ़ादार सिद्धारमैया की जगह अपने बेटे कुमारस्वामी को चुना. कुमारस्वामी ने शुरुआत में राजनीति में कदम रखने से इनकार कर दिया था और फिल्म इंडस्ट्री में सालों तक सक्रिय रहे. लेकिन पार्टी की कमान मिलने के बाद वह पूरी तरह से राजनीति में सक्रिय हो गए. ऐसे में सिद्धारमैया को समझ में आने लगा था कि वह जेडी (एस) में रहते हुए वो मुकाम हासिल नहीं कर पाएंगे, जिसकी वह ख्वाहिश रखते हैं. इसके बाद एच. डी. देवेगौड़ा के साथ मतभेदों के बाद, 2005-06 में सिद्धारमैया को जेडी (एस) से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. फिर उन्होंने कांग्रेस का हाथ थाम लिया और कर्नाटक की राजनीति के शिखर तक पहुंचे.
सिद्धारमैया का आखिरी विधानसभा चुनाव
कांग्रेस के नेताओं को सिद्धारमैया के साथ काम करने का मौका तब मिला, जब देवेगौड़ा ने उन्हें 2004 में कांग्रेस-जनता दल (एस) की गठबंधन सरकार में उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री बनाया. तब उन्होंने नहीं सोचा था कि वह कांग्रेस पार्टी में शामिल होंगे और मुख्यमंत्री पद संभालेंगे. कर्नाटक में 10 मई को विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं और मतगणना 13 मई को होगी. सिद्धारमैया कांग्रेस के सत्ता में आने पर मुख्यमंत्री पद के दावेदार माने जा रहे हैं. हालांकि, सिद्धारमैया ने ऐलान कर दिया है कि 2023 का कर्नाटक विधानसभा चुनाव उनके लिए आखिरी है. इसके बाद वह राजनीति से संन्यास ले लेंगे. इसलिए वह अपने मूल निर्वाचन क्षेत्र का वरुणा से अपना आखिरी चुनाव लड़ने जा रहे हैं. हालांकि, उन्होंने कोलार निर्वाचन क्षेत्र से भी चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की है.
कोलार में ही राहुल गांधी ने दिया था 'मोदी सरनेम' वाला बयान
सिद्धारमैया कर्नाटक की जिस कोलार सीट से भी चुनाव लड़ना चाह रहे हैं, वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ 'मोदी सरनेम' वाला विवादित बयान दिया था, जिसकी वजह से उन्हें सूरत की कोर्ट ने उन्हें 2 साल सुनाई और उनकी संसद की सदस्यता रद्द हो गई. कांग्रेस की ओर से कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2023 के लिए जारी की गई उम्मीदवारों की पहली लिस्ट में सिद्धारमैया को वरुणा विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया गया है. इसके बावजूद उनके दो सीटों से चुनाव लड़ने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है.