कारगिल विजय दिवस : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सेना प्रमुखों ने दी कारगिल के वीरों को श्रद्धांजलि

कारगिल विजय दिवस : राजनाथ सिंह ने कठिन परिस्थितियों में राष्ट्र के सम्मान की रक्षा में वीरों के असाधारण साहस, धैर्य और दृढ़ संकल्प को याद किया.

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  • कारगिल विजय दिवस हर वर्ष 26 जुलाई को भारत की 1999 की ऐतिहासिक जीत के सम्मान में मनाया जाता है
  • रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में शहीदों को पुष्पांजलि देकर उनकी वीरता को याद किया
  • चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ ने शहीदों को नमन करते हुए देश की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा की प्रतिबद्धता व्यक्त की
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देश कारगिल विजय दिवस पर भारतीय सशस्त्र बलों के उन बहादुरों को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है, जिन्होंने मातृभूमि की सेवा में सर्वोच्च बलिदान दिया. ये दिवस 1999 में भारत की ऐतिहासिक जीत के उपलक्ष्य में हर साल 26 जुलाई को मनाया जाता है. इस दिवस के उपलक्ष्य में रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने 26 जुलाई, 2025 को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक (एनडब्ल्यूएम), नई दिल्ली में शहीद नायकों को पुष्पांजलि अर्पित की.

'कारगिल विजय सदैव वीरता का एक अनूठा उदाहरण'

आगंतुक पुस्तिका में अपने संदेश में, रक्षा मंत्री ने राष्ट्र की ओर से वीरों के प्रति हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि, 'कारगिल विजय आने वाली पीढ़ियों के लिए सदैव वीरता का एक अनूठा उदाहरण बना रहेगा.' उन्होंने एनडब्ल्यूएम को वीरों के बलिदान का जीवंत प्रतीक बताया.

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X पर एक पोस्ट में राजनाथ सिंह ने कठिन परिस्थितियों में राष्ट्र के सम्मान की रक्षा में वीरों के असाधारण साहस, धैर्य और दृढ़ संकल्प को याद किया. उन्होंने कहा, "कारगिल युद्ध के दौरान उनका सर्वोच्च बलिदान हमारे सशस्त्र बलों के अटूट संकल्प की एक चिरस्थायी याद दिलाता है. भारत उनकी सेवा का सदैव ऋणी रहेगा."

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कारगिल विजय दिवस पदयात्रा' का हुआ आयोजन

कारगिल के द्रास में, युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय ने 'कारगिल विजय दिवस पदयात्रा' का आयोजन किया, जिसका नेतृत्व केंद्रीय युवा कार्यक्रम एवं खेल तथा श्रम एवं रोजगार मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया और रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने किया.

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कारगिल के द्रास में 1.5 किमी तक हुई पदयात्रा

इस पदयात्रा में 1,000 से अधिक युवाओं, सेवारत और सेवानिवृत्त सशस्त्र बलों के कर्मियों, शहीदों के परिवारों और नागरिक समाज के सदस्यों ने भाग लिया. 1.5 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए, ये पदयात्रा द्रास के हिमाबास पब्लिक हाई स्कूल से शुरू हुई और भीमबेट के सरकारी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में समाप्त हुई.

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X पर एक पोस्ट में, रक्षा राज्य मंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि, 'वीर सैनिकों की वीरता और बलिदान की कहानियां आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनी रहेंगी. वीरों का बलिदान हर भारतीय के हृदय में देशभक्ति का दीप सदैव प्रज्वलित रखेगा.'

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ ने दी श्रद्धांजलि

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने भी नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर शहीदों को पुष्पांजलि अर्पित की.

सशस्त्र बलों के सभी रैंकों, दिग्गजों और उनके परिवारों को शुभकामनाएं देते हुए, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ ने कहा, 'कारगिल विजय दिवस हर भारतीय को हमारे बहादुर सैनिकों की अद्वितीय बहादुरी, दृढ़ता और देशभक्ति की याद दिलाता है, जिन्होंने हमारे देश की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए निडर होकर लड़ाई लड़ी. साथ ही पाकिस्तान के विश्वासघात की कड़वी सच्चाई भी... हमारे विरोधी हमारे संकल्प का परीक्षण करते रहेंगे. लेकिन कारगिल की विरासत हमें याद दिलाती है कि एकजुटता, तैयारी और अटूट साहस - जो ऑपरेशन सिंदूर की सफलता से एक बार फिर साबित हुआ है, हमेशा दुश्मन के धोखे और आक्रामकता पर विजय प्राप्त करेगा...'

एनडब्ल्यूएम की आगंतुक पुस्तिका में अपने संदेश में, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ ने शहीद वीरों के अदम्य साहस और साहस को नमन किया. उन्होंने राष्ट्र के प्रति समर्पण, दृढ़ संकल्प और अटूट प्रतिबद्धता के लिए सेवारत कर्मियों, पूर्व सैनिकों और वीर नारियों की भी सराहना की.

'स्वयं से पहले सेवा'

नौसेना प्रमुख ने कहा कि, 'बहादुरों द्वारा गढ़ी गई विरासत 'स्वयं से पहले सेवा' की भावना और राष्ट्र सेवा के प्रति अटूट समर्पण का प्रमाण है. आपका बलिदान न केवल हमारे देश के भावी नागरिकों के लिए, बल्कि उन लोगों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा जो 'कर्तव्य-सम्मान-साहस' के साथ रक्षा बलों में सेवा करना चुनते हैं.'

विजय दिवस भारतीय सेना के अदम्य साहस और दृढ़ संकल्प का प्रतीक

थल सेनाध्यक्ष ने कारगिल विजय दिवस को भारतीय सेना के अदम्य साहस और दृढ़ संकल्प का प्रतीक बताया. उन्होंने राष्ट्र की संप्रभुता और स्वाभिमान की रक्षा के लिए भारतीय सेना की प्रतिबद्धता दोहराई.

राष्ट्रीय वायु सेना राष्ट्रीय स्मृति और कृतज्ञता का एक पवित्र प्रतीक

वायु सेना प्रमुख ने राष्ट्रीय वायु सेना को राष्ट्रीय स्मृति और कृतज्ञता का एक पवित्र प्रतीक बताया, जो उन वीरों की विरासत को अमर करता है, जिनकी वीरता भारतीय सशस्त्र बलों के सभी रैंकों को प्रेरित करती रहती है. उन्होंने कहा कि, 'भारतीय वायु सेना हमारे राष्ट्र की संप्रभुता की रक्षा और वीरों द्वारा प्रदर्शित साहस, सम्मान और कर्तव्य की गौरवशाली परंपराओं को कायम रखने के लिए प्रतिबद्ध है.'

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