भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने शनिवार को इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि वे लोकतंत्र को नुकसान पहुंचा रहे हैं. उन्होंने कहा कि मीडिया बिना जांचे-परखे 'कंगारू कोर्ट' चला रहा है.
पूर्व भाजपा प्रवक्ता नुपुर शर्मा की पैगंबर पर टिप्पणियों पर एक फैसले के लिए प्रतिक्रिया पर न्यायमूर्ति रमना ने कहा, 'न्यायाधीशों के खिलाफ सोशल मीडिया में सक्रियता से कैम्पेन चल रहे हैं. न्यायाधीश तुरंत प्रतिक्रिया नहीं दे सकते हैं. कृपया इसे कमजोरी या लाचारी समझने की गलती ना करें.'
मुख्य न्यायाधीश ने रांची में एक अकादमिक कार्यक्रम में भाषण देते हुए कहा, 'न्यू मीडिया टूल्स में व्यापक विस्तार करने की क्षमता होती है, लेकिन वे सही और गलत, अच्छे और बुरे और असली और नकली के बीच अंतर करने में असमर्थ होते हैं.'
उन्होंने कहा, 'मामलों को तय करने में मीडिया ट्रायल एक मार्गदर्शक फैक्टर नहीं हो सकते. हम देख रहे हैं की मीडिया कंगारू कोर्ट चला रहा है, कभी-कभी अनुभवी न्यायाधीशों को भी मामलों पर फैसला करना मुश्किल हो जाता है.'
साथ ही उन्होंने कहा, "गलत जानकारी और एजेंडा से चलने वाली डिबेट लोकतंत्र के लिए खतरनाक साबित होती हैं.' प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि मीडिया द्वारा फैलाए जा रहे पक्षपातपूर्ण विचार लोकतंत्र को कमजोर कर रहे हैं और सिस्टम को नुकसान पहुंचा रहे हैं.
न्यायमूर्ति रमना ने कहा, "अपनी जिम्मेदारी से भागकर आप हमारे लोकतंत्र को दो कदम पीछे ले जा रहे हैं."
उन्होंने कहा कि प्रिंट मीडिया में अभी भी कुछ हद तक जवाबदेही है. जबकि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में जवाबदेही शून्य है. सोशल मीडिया का हाल और बुरा है.
मीडिया से सेल्फ रेगुलेशन का आग्रह करते हुए उन्होंने कहा, "मीडिया के लिए यह सबसे अच्छा है कि वे सेल्फ रेगुलेशन पर ध्यान दे. मैं इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया से जिम्मेदारी के साथ काम करने का आग्रह करता हूं. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को देश के लोगों को शिक्षित करने और ऊर्जावान बनाने के लिए अपनी आवाज का इस्तेमाल करे.'
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