Mumbai News: महाराष्ट्र में होने वाले आगामी महानगर पालिका चुनावों (BMC Elections) से पहले सियासी हलचल तेज हो गई है. शनिवार का दिन उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के नेतृत्व वाली शिवसेना (UBT) के लिए एक बड़ी मायूसी लेकर आया है. ठाणे (Thane) और कल्याण क्षेत्र के प्रभावशाली नेता और पूर्व विधायक सुभाष भोईर (Subhash Bhoir) ने उद्धव गुट को 'जय महाराष्ट्र' कहते हुए भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल होने का निर्णय लिया है.
आज सुबह 11 बजे होगा शक्ति प्रदर्शन
ताजा जानकारी के मुताबिक, सुभाष भोईर आज सुबह 11:00 बजे भाजपा की सदस्यता ग्रहण करेंगे. यह कार्यक्रम महाराष्ट्र भाजपा प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र चव्हाण (Ravindra Chavan) की उपस्थिति में आयोजित किया जाएगा. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भोईर का जाना केवल एक व्यक्ति का जाना नहीं, बल्कि कल्याण-डोंबिवली क्षेत्र में शिवसेना (UBT) के संगठनात्मक ढांचे के लिए एक बड़ी सेंध है.
उद्धव के 'भरोसेमंद' साथी ने क्यों छोड़ा साथ?
सुभाष भोईर को उद्धव ठाकरे का बेहद करीबी और निष्ठावान सिपाही माना जाता था. उनकी विदाई के पीछे कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. भोईर ने कल्याण रूरल सीट से उद्धव गुट के टिकट पर चुनाव लड़ा था. हालांकि उन्हें जीत नहीं मिली, लेकिन क्षेत्र में उनका व्यक्तिगत जनाधार आज भी बेहद मजबूत है. कल्याण और आसपास के ग्रामीण इलाकों में भोईर की पकड़ को देखते हुए भाजपा उन्हें अपने पाले में लाकर आगामी निकाय चुनावों में क्लीन स्वीप की तैयारी में है. लंबे समय तक ठाकरे परिवार के साथ रहने के बावजूद भोईर का पाला बदलना यह संकेत देता है कि जमीनी स्तर के नेताओं में भविष्य को लेकर असुरक्षा बढ़ रही है.
चुनावी सरगर्मी: 23 नगर परिषदों में मतदान जारी
एक तरफ बड़े नेताओं का दलबदल जारी है, तो दूसरी तरफ महाराष्ट्र की जनता आज अपना फैसला ईवीएम में कैद कर रही है. शनिवार सुबह 7:30 बजे से ही मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए केंद्रों पर जुटने लगे थे, और यह मतदान प्रक्रिया शाम 5:30 बजे तक निरंतर चलेगी. इस चुनावी चरण में न केवल नगर निकायों के अध्यक्ष पदों के लिए कड़ा मुकाबला है, बल्कि विभिन्न निकायों में खाली पड़े 143 सदस्य पदों के भविष्य का फैसला भी जनता के हाथ में है. परिणाम कल यानी 21 दिसंबर को सामने आएगा.
बीएमसी चुनाव पर क्या होगा असर?
सुभाष भोईर के भाजपा में आने से कोंकण और ठाणे बेल्ट में भाजपा को एक अनुभवी चेहरा मिल गया है. शिवसेना (UBT) के लिए चुनौती यह है कि वे अपने बचे हुए किलों को कैसे बचाएं, क्योंकि निकाय चुनाव से ठीक पहले इस तरह के 'विकेट' गिरना पार्टी के कार्यकर्ताओं के मनोबल पर सीधा असर डालते हैं.
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