कैलाश मानसरोवर की यात्रा 6 साल बाद फिर से शुरू हुई है, जो हिंदुओं के लिए एक पवित्र स्थल है. यह धाम स्वयं महादेव और देवी पार्वती का निवास स्थान माना जाता है और इसके कण-कण में महादेव का वास है. NDTV इस बार कैलाश मानसरोवर यात्रा का हिस्सा बन रही है और वहां से ग्राउंड रिपोर्ट आप तक पहुंचा रही है. हमारे रिपोर्टर ने इस यात्रा पर क्या-क्या देखा, इसकी जानकारी हम आपको दे रहे हैं.
हमारे रिपोर्टर ने कैलाश मानसरोवर यात्रा पर क्या-क्या देखा, इसकी जानकारी हम आपको दे रहे हैं. यह यात्रा एक ऐसा अनुभव है जो लोगों को अपने जीवन में कभी नहीं भूलता. कैलाश मानसरोवर की यात्रा एक ऐसा मौका है जो जीवन में बहुत कम लोगों को मिलता है.
कैलाश मानसरोवर यात्रा : NDTV रिपोर्टर ने क्या-क्या देखा?
- पुलान हवाई अड्डे पर उतरने के बाद एक सरकीली सड़क से कैलाश मानसरोवर की ओर बढ़ रहे हैं. यह यात्रा लगभग एक से डेढ़ घंटे की है और रास्ते में हमें कई नीले झीलें और कैलाश पर्वत के दर्शन हुए. हम कैलाश पर्वत के पास जाकर दर्शन करेंगे और बाद में मानसरोवर भी जाएंगे.
- कैलाश मानसरोवर हिंदुओं के लिए एक पवित्र स्थल है और हर साल हजारों की तादाद में श्रद्धालु यहां आते हैं. इस साल भी 750 श्रद्धालु सरकारी तौर पर आ रहे हैं, जिनमें से 500 नाथुला के रास्ते और 250 लिपुलेख के जरिए आएंगे. इस यात्रा में 20 से 22 दिन का समय लगता है.
- हमने कैलाश मानसरोवर यात्रा को कवर करने के लिए चार फ्लाइट बदलकर यहां पहुंचे हैं. हमें यहां पहुंचने में तीन दिन लगे, और वापस जाने में भी तीन दिन लगेंगे. हमने इस यात्रा को जल्दी से पूरा करने का फैसला किया है, क्योंकि हमारे पास 20-22 दिनों तक यात्रा करने का समय नहीं है.
- हम नियरेस्ट पॉइंट तक गाड़ी से जाएंगे, जहां तक वाहन जा सकते हैं. इसके बाद, हम यात्रियों से बात करेंगे जो पहला जत्था यहां पहुंचा है. कैलाश मानसरोवर का दर्शन करना अपने आप में एक भाग्य की बात है और बहुत से लोग कोशिश करके भी यहां नहीं पहुंच पाते.
- कैलाश मानसरोवर हिंदुओं के लिए एक पवित्र स्थल है, और इसका दर्शन करना एक आध्यात्मिक अनुभव है यहां पहुंचने के लिए बहुत से लोग वर्षों से प्रयास करते हैं, और जो लोग यहां पहुंचते हैं वे इसे अपने जीवन का सबसे बड़ा सौभाग्य मानते हैं. हमारी यात्रा का उद्देश्य कैलाश मानसरोवर यात्रा को कवर करना है, और यात्रियों के अनुभवों को साझा करना है. हम यात्रियों से बात करेंगे और उनके अनुभवों को जानेंगे, जो इस यात्रा को और भी रोचक बनाएगा.
- कैलाश पर्वत की यात्रा एक अद्भुत अनुभव है, जो हिंदुओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. यह पर्वत यहां से नजर आता है और इसकी यात्रा 1954 से सरकारी तौर पर शुरू हुई थी. हालांकि, 1962 में भारत और चीन के बीच जंग के कारण यह यात्रा रोक दी गई थी.
- 1981 से कैलाश मानसरोवर की यात्रा फिर से शुरू हुई, लेकिन 2019 में कोरोना महामारी के कारण इसे बंद करना पड़ा. अब यह यात्रा फिर से शुरू हुई है, और पहला जत्था यहां पहुंचा है. यह एक ऐसा मौका है जो जीवन में बहुत कम लोगों को मिलता है.
- कैलाश पर्वत और मानसरोवर का दर्शन करना एक आध्यात्मिक अनुभव है. मानसरोवर कैलाश पर्वत से 105 किलोमीटर दूर है, और हम वहां भी जाएंगे. यह यात्रा एक ऐसा नजारा है जो जीवन में कभी-कभी ही मिलता है. हम आगे भी आपको कैलाश मानसरोवर यात्रा की रिपोर्ट देंगे, और आपको इसके बारे में और अधिक जानकारी देंगे.
मानसरोवर यात्रा के नियम - Mansarovar Yatra 2025 Rules
- 18 से 70 साल की उम्र के लोग ही इस यात्रा में शामिल हो सकते हैं.
- यात्रा के लिए भारत सरकार और चीन सरकार से आवश्यक परमिट और वीजा आपके पास होना जरूरी है.
- यात्रा के दौरान गर्म कपड़े, रेनकोट, जूते, मेडिकल किट, टॉर्च, चश्मा, छड़ी, टोपी, दस्ताने आदि चीजें जरूर अपने साथ रखें.
- यात्रा के दौरान केवल सात्विक भोजन का सेवन करना चाहिए.
- इस दौरान लड़ाई-झगड़े या क्रोध करने से बचना चाहिए.
- यात्रा के दौरान भगवान शिव का ध्यान करते रहना चाहिए.
- यात्रा के दौरान किसी भी साधक को परेशान नहीं करना चाहिए.
- इस यात्रा में शामिल होने वाले लोगों को शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत होना बहुत जरूरी है, क्योंकि इसके रास्ते बहुत ज्यादा कठिन है.
- यात्रा के दौरान अपने मन में खराब विचार न लाएं. इससे यात्रा में बाधा पड़ सकती है.