अफगानिस्तान के लगभग 160 सिख और हिंदू नागरिक आज काबुल हवाई अड्डे के पास हुए दोहरे विस्फोटों में बाल-बाल बच गए, जिसमें कई लोग मारे गए. इससे जुड़े लोगों ने बताया कि युद्धग्रस्त देश के अल्पसंख्यक समुदायों के इन सदस्यों ने अब एक गुरुद्वारे के अंदर शरण ली है. अफगानिस्तान की राजधानी में हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर हुए विस्फोटों से कुछ घंटे पहले बीती रात करीब 145 अफगान सिख और 15 हिंदू घटनास्थल पर मौजूद थे. वे तालिबान द्वारा पिछले हफ्ते किए कब्जे के बाद देश से बाहर निकलना चाह रहे थे. बहरहाल, यह समूह आज पहले लौट आया.
'काबुल एयरपोर्ट पर दो विस्फोटों में 13 की मौत'- तालिबान; आत्मघाती हमले की आशंका
संदिग्ध आत्मघाती हमलावरों ने आज शाम कम से कम दो विस्फोटों के साथ हवाई अड्डे के भीड़भाड़ वाले गेट पर हमला किया. मौके पर कई लोगों की मौत हुई है, युद्धग्रस्त क्षेत्र से निकलने की उम्मीद में थे.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक तालिबान के एक आतंकवादी ने कहा कि विस्फोट में बच्चों सहित कम से कम 13 लोग मारे गए. एक इतालवी चैरिटी द्वारा संचालित सर्जिकल अस्पताल ने कहा कि वह 60 से अधिक घायलों का इलाज कर रहा है.
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दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा ने आज कहा कि हो सकता है कि समूह नरसंहार से बचने में कामयाब रहा हो. सिरसा ने ट्वीट किया, "आज का काबुल हवाईअड्डा विस्फोट ठीक उसी स्थान पर हुआ है जहां वे कल खड़े थे."
उन्होंने विस्फोटों के बाद की तस्वीरें पोस्ट करते हुए कहा, "हम ईश्वर को धन्यवाद देते हैं कि कल ऐसा कुछ नहीं हुआ."
सिरसा शिरोमणि अकाली दल के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी हैं.