- हरियाणा-पंजाब में कबड्डी के खेल में अपराधी गैंग के संघर्ष और खिलाड़ियों की हत्याएं तेजी से बढ़ रही हैं
- कबड्डी पर कब्जा करने वाले अंतरराष्ट्रीय माफिया ड्रग्स, हथियार, हवाला और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े हुए हैं
- लॉरेंस बिश्नोई, जग्गू भगवानपुरिया और बंबीहा गैंग को कबड्डी क्राइम सिंडिकेट का प्रमुख चेहरा माना जाता है
पंजाब में कबड्डी के मैदान खून से रंग गए हैं. कबड्डी खिलाड़ियों की हत्याएं हो रही हैं. कबड्डी मैच आयोजकों के घर पर गोलियां चल रही हैं. अपराध जगह के कुख्यात नाम और चेहरे इसमें शामिल हैं. भारत की जेलों से फोन कॉल की जाती हैं. यूरोप, इंग्लैंड, अमेरिका, कनाडा में रिसीव होती हैं. पंजाब-हरियाणा-दिल्ली में सुपारी दी जाती हैं, और हरियाणा-पंजाब की धरती खून से लाल हो जाती है. कबड्डी क्रिमिनल्स का वर्ल्ड वॉर गुनाह का नया चेहरा बन चुका है.
कबड्डी पर कब्जे का इंटरनेशनल माफिया
ड्रग्स, अवैध हथियार, हवाला, मनी लॉन्ड्रिंग, म्यूजिक इंडस्ट्री, गायक, गैंगेस्टर, सब आपस में उलझ गए हैं. कबड्डी का सीधा-साधा खेल ताकत और कमाई का मैदान बन चुका है. म्यूजिक, माफिया और मर्डर की भीषण तस्वीर सबको डरा रही है. कबड्डी पर कब्जे के लिए नए तरह का इंटरनेशनल माफिया बन चुका है. दुनिया में जहां भी पंजाबी हैं, हिन्दुस्तानी हैं, कबड्डी का खेल है, वहां पर कबड्डी लीग हो रही हैं. और इनको मैनेज करता है माफिया. कबड्डी के पीछे हथियार, हत्या, ड्रग्स, गैंग्स की कहानी कलेजा काट देने वाली है.
9 साल में इन कबड्डी खिलाड़ियों की हत्या
- राणा बलाचौरिया, 16 दिसंबर 2025, मोहाली में गोली मारकर हत्या
- गुरिंदर सिंह, 5 नवंबर 2025, समराला, लुधियाना में गोली मारकर हत्या
- तेजपाल, 31 अक्टूबर 2025, जगरांव में गोली मारकर हत्या
- सोनू नोल्टा, 5 जून 2025, पिंजौर, पंचकूला में गोली मारकर हत्या
- सुखविंदर सिंह नोनी, नवंबर 2024, गोली मारकर हत्या
- हरदीप सिंह, 23 सितंबर 2023, कपूरथला, 6 लोगों ने तलवार से काट दिया
- धर्मेंन्द्र सिंह, 5 अप्रैल 2022, पटियाला, गोली मारकर हत्या
- संदीप नांगल आंबिया, 14 मार्च 2022, जालंधर, गोली मारकर हत्या
- गुरमेज सिंह, 31 अगस्त 2020, बटाला, गोली मारकर हत्या
- अरविंदर जीत सिंह पड्डा, 8 मई 2020, कपूरथला में गोली मारकर हत्या
- अजमेर सिंह, 27 मई 2016, फरीदकोट, पुलिस एनकाउंटर में मौत
लॉरेंस बिश्नोई ने बदला पूरा समीकरण
कबड्डी के क्राइम सिंडीकेट के तीन कोने हैं- जग्गू भगवानपुरिया, बंबीहा और लॉरेंस बिश्नोई. इसमें सबसे नया चेहरा है शगुनप्रीत. शगुनप्रीत के बारे में कहा जाता है कि वो सिद्धू मूसेवाला का मैनेजर था. दावा है कि पहले वो पर्दे के पीछे से काम करता था लेकिन अब खुल कर खेल रहा है. इसकी एंट्री से कबड्डी क्रिमिनल्स के वर्ल्ड वॉर में म्यूजिक और सिंगर का भी एंगल जुड़ गया है. लॉरेंस बिश्नोई इस कार्टेल का एपिसेंटर है. जबसे ये मजबूत हुआ है, पंजाब और विदेश में अंडरवर्ल्ड का पूरा समीकरण तेजी से बदल गया है. कबड्डी के इंटरनेशनल क्राइम कॉर्टेल में ड्रग्स, आर्म्स सप्लाई, हवाला, मनी लॉन्ड्रिंग ने हालात को खूनी बना दिया है.
कबड्डी के क्राइम कॉर्टेल के प्रमुख चेहरे
- दविंदर बांबिया गैंग का लकी पटियाल
- बांबिया गैंग का नया सुप्रीमो शगुनप्रीत
- कौशल
- लॉरेंस विश्नोई
- अनमोल विश्नोई
- आरजू बिश्नोई
- लखबीर लांडा
- गोल्डी बराड़
- जग्गू भगवानपुरिया
- गोल्डी ढिल्लो
- हैरी बॉक्सर
- कनाडा में ल़रेंस गैंग का हथियार सप्लायर बंधु मानसिंह
- कनाडा से लॉरेंस का वसूली रैकेट चलाने वाला गैंगस्टर सिप्पू
ये 13 चेहरे और इनके हजारों क्रिमिनल्स पंजाब, दिल्ली, हरियाणा ही नहीं कनाडा, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, अमेरिका सहित दुनिया के कुछ और देशों में कबड्डी का क्राइम सिंडिकेट चलाते हैं. इनमें सोनू कनाडा उर्फ राजेश खत्री, लाॉरेंस के लिए कनाडा से कबड्डी लीग की सेटिंग करता है. टीम पर दांव लगाने का बिजनेस संभालता है, वसूली और धमकी का काम देखता है. आर्म्स सप्लायर भी है. फिलहाल अमेरिका में रहता है.
कबड्डी में खेल और गायकों की गायकी
पंजाब समेत विदेश में हर साल होने वाले कबड्डी टूर्नामेंटों में करीब 35 से 50 करोड़ रुपये का निवेश होता है और फिर करोड़ों का सट्टा लगता है. केवल कनाडा में हर साल करीब 40 से अधिक कबड्डी टूर्नामेंट होते हैं, जिनमें बड़ी मात्रा में संगठित अपराध का पैसा लगाए जाने के आरोप हैं. कबड्डी क्राइम के वॉर में एक चीज बहुत अजीब सी है. वो ये है कि इस पूरी लड़ाई में गायक भी शामिल हैं. पंजाब में कबड्डी के कंपटीशन और गायकों के अखाड़ों का मेल हो गया है. खेल से पहले गायकों की गायकी भी होती है. गैंग की तरह ही गायक और कबड्डी के खिलाड़ी भी बंट चुके हैं. देश और विदेश में कई नामी गायकों पर फायरिंग इसका सबूत है. जिस माफिया की कबड्डी टीम है, उसी के गायकों का अखाड़ा होता है. जो इस सिस्टम के खिलाफ जाता है, वो गोली का शिकार बनता है.
माफिया की कैद से आजाद हो कबड्डी
देश-विदेश में पंजाब की मिट्टी वाली सर्किल स्टाइल कबड्डी को बचाना है तो अब सीरियसली काम करना होगा. जो भी स्टेक होल्डर हैं, खिलाड़ी हैं, आयोजक हैं, जो नेता और अभिनेता कबड्डी की लोकप्रियता का फायदा उठाते हैं, उन्हें आगे आना चाहिए. सरकार से मिलना चाहिए. सर्किल स्टाइल कबड्डी के लिए एक संस्था बनाने की बात करनी चाहिए. बीसीसीआई या दूसरे खेलों को मैनेज करने वाली संस्थाओं की तरह ही इसकी भी कानूनी हैसियत होनी चाहिए. सर्किल कबड्डी विदेश में देश की और देश में पंजाब की सॉफ्टपावर की प्रतिनिधि है. इसकी बदनामी देश और पंजाब की बदनाम है. इसे माफिया की कैद से आजाद करना चाहिए.













