तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने मंगलवार को देवी काली पर दिए अपने बयान पर स्पष्टीकरण जारी किया है. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि, ‘‘ आप सभी संघियों के लिए-- झूठ बोलने से आप अच्छे हिंदू नहीं बनेंगे. मैंने कभी किसी फिल्म या पोस्ट का समर्थन नहीं किया और न ही धूम्रपान शब्द का जिक्र किया. सुझाव है कि आप तारापीठ में जाकर देखें कि मां काली को भोग के तौर पर क्या भोजन और पेय चढ़ाया जाता है. ''
दरअसल कोलकाता में इंडिया टूडे कॉक्लेव ईस्ट में भाग लेते हुए कृष्णानगर की सांसद मोइत्रा ने कहा था कि ये व्यक्तियों पर निर्भर करता है कि वे अपने देवी-देवताओं को किस रूप में देखते हैं. उन्होंने कहा था, ‘‘ उदाहरण के लिए यदि आप भूटान जाते हैं तो आप पाते हैं कि वहां जब वे (लोग) पूजा करते हैं तो वे अपने देवता को मदिरा चढ़ाते हैं. अब यदि आप उत्तर प्रदेश जाते हैं और कहते हैं कि आप अपने देवता को प्रसाद के तौर पर मदिरा अर्पित करते हैं तो वे कहेंगे कि यह तो ईशनिंदा है.''
मोइत्रा ने कहा था कि लोगों को अपनी इच्छानुसार अपने देवी-देवताओं की कल्पना करने का हक है. मेरे लिए, देवी काली मांस भक्षण करने वाली एवं मदिरा स्वीकार करने वाली देवी हैं. और यदि आप (पश्चिम बंगाल की वीरभूम जिले की महत्वूपूर्ण शक्तिपीठ) तारापीठ जाएंगे तो आप वहां साधुओं को धूम्रपान करते हुए देखेंगे. ये काली का स्वरूप है जिसकी लोग वहां पूजा करते हैं. मुझे , हिंदुत्व के अंदर, काली-उपासक होने के नाते काली की उस तरीके से कल्पना करने का अधिकार है और वह मेरी स्वतंत्रता है.'' तृणमूल सांसद ने यह बात तब कही, जब उनसे एक फिल्म के पोस्टर के बारे में पूछा गया था.
दरअसल ये विवाद फिल्ममेकर लीना मणिमेकलई की डॉक्यूमेंट्री काली के पोस्टर पर शुरू हुआ है. फिल्म के पोस्टर में एक पोशाक पहने एक महिला को दिखाया गया है. जिसमें देवी और धूम्रपान का चित्रण किया गया है. बैकग्राउंड में LGBT समुदाय का झंडा भी दिखाई दे रहा है. वहीं इस बयान के वायरल होने के बाद मोइत्रा ने अब संघ परिवार पर हमला करते हुए स्पष्टीकरण जारी किया है.
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