नकदी विवाद में चर्चा में आए दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा कौन हैं?

नकदी बरामद होने की घटना पर जस्टिस वर्मा ने अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.वरिष्ठ वकील और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने भी इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट से जजों की नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने की मांग की है.

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दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा एक बार फिर सुर्खियों में हैं. उनके घर से पिछले सप्ताह भारी मात्रा में नकदी बरामद की गई थी. इस विवाद के बाद सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस वर्मा को उनके मूल कोर्ट, इलाहाबाद हाई कोर्ट में वापस स्थानांतरित करने का फैसला लिया है. सूत्रों के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने इस मामले को बेहद गंभीरता से लिया है.

कौन हैं जस्टिस यशवंत वर्मा? 
जस्टिस वर्मा का जन्म 6 जनवरी 1969 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में हुआ था. उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज से बीकॉम (ऑनर्स) और मध्य प्रदेश के रीवा विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री हासिल की. 8 अगस्त 1992 को इलाहाबाद हाई कोर्ट में उन्होंने वकालत की शुरुआत की. 2006 से लेकर जज बनने तक वह इलाहाबाद हाई कोर्ट में वकालत करते रहे. बाद में उनकी नियुक्ति इलाहाबाद हाई कोर्ट में अतिरिक्त जज के रूप में अक्टूबर 2014 में हुई और फरवरी 2016 में वह स्थायी जज बने. अक्टूबर 2021 में उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट में स्थानांतरित किया गया.

नकदी बरामद होने की घटना पर जस्टिस वर्मा ने अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है उनके कार्यालय ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि वह "छुट्टी पर" हैं.  वहीं, दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय ने इस मामले पर कहा, "यह घटना हम सभी के लिए दुखद है. हम प्रशासनिक स्तर पर कदम उठाएंगे ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों. 

वरिष्ठ वकील और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने भी इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट से जजों की नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने की मांग की है. उन्होंने कहा कि न्यायपालिका में भ्रष्टाचार का मुद्दा गंभीर है और यह पहली बार नहीं उठा है.  नियुक्ति प्रक्रिया को और सावधानीपूर्वक करना होगा. 

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