सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज जस्टिस फातिमा बीबी का 96 वर्ष की आयु में निधन

 केरल से 14 नवंबर 1950 को पेशेवर वकालत शुरू की.  मई, 1958 में केरल अधीनस्थ न्यायिक सेवा में मुंसिफ़ के रूप में नियुक्त हुईं, 1968 में वे अधीनस्थ न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुईं.

विज्ञापन
Read Time: 6 mins

सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज जस्टिस फातिमा बीबी का निधन हो गया है. वो 96 साल की थीं. 30 अप्रैल 1927 को केरल के ट्रावनकोर साम्राज्य के पत्तनममिट्ठा गांव में जन्म हुआ था. सुप्रीम कोर्ट में वो 6 अक्तूबर 1989 से 29अप्रैल 1992 तक जज रहीं. जस्टिस एम फातिमा बीबी देश की उच्च न्यायपालिका में पहली मुस्लिम महिला और किसी एशियाई देश में सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश बनने वाली पहली महिला भी थीं. फातिमा के पिता मीरा साहिब ने उन्हें कानून की पढ़ाई के लिए तिरुवनंतपुरम के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज में भेजा. उन्होंने 1950 में  बार काउंसिल परीक्षा में स्वर्ण पदक के साथ टॉप किया.  बार काउंसिल स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाली पहली महिला  फातिमा बीबी थीं.

 केरल से 14 नवंबर 1950 को पेशेवर वकालत शुरू की.  मई, 1958 में केरल अधीनस्थ न्यायिक सेवा में मुंसिफ़ के रूप में नियुक्त हुईं, 1968 में वे अधीनस्थ न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुईं.  1972 में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, 1974 में जिला एवं सत्र न्यायाधीश, 1980 में आयकर अपीलीय ट्रिब्यूनल की न्यायिक सदस्य और 8 अप्रैल 1983 को उनको केरल हाईकोर्ट में जज बनाया गया.  उन्होंने 6 अक्तूबर 1989 में सुप्रीम कोर्ट में पहली महिला जज के रूप में उनकी नियुक्ति ने इतिहास रच दिया.  इसके साथ ही उच्च न्यायपालिका में पहली मुस्लिम महिला और एक एशियाई देश में सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश बनने वाली पहली महिला बनीं. चार साल सुप्रीम कोर्ट जज रहने के बाद जस्टिस फातिमा बीबी 24 अप्रैल 1992 में सेवानिवृत्त हुईं.
इसके बाद वो राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की सदस्य और बाद में तमिलनाडु को राज्यपाल भी रहीं. उन्होंने राजीव गांधी हत्या मामले में चार सजायाफ्ता कैदियों द्वारा दायर दया याचिकाएं खारिज करने के बाद तमिलनाडु के राज्यपाल के पद से इस्तीफा दे दिया था.

Featured Video Of The Day
ICC New Rules: Cricket में ICC ने किया बदले नियमों का एलान, जानिए कितना बदला जाएगा ये खेल?
Topics mentioned in this article