'तत्परता से की सुनवाई' : यूपी में बुलडोजर कार्रवाई पर बोले जस्टिस चंद्रचूड़

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि देश में बढ़ती मुकदमेबाजी की प्रवृत्ति राजनीतिक संवाद में धैर्य की कमी का संकेत है. इससे अधिकारों की प्राप्ति के लिए ऐसी ढलान बन गई कि देश में अदालतें ही अधिकारों की प्राप्ति के लिए एकमात्र रास्ता समझी जाने लगी हैं.

विज्ञापन
Read Time: 20 mins
जस्टिस चंद्रचूड़ ने यूपी बुलडोजर मामले पर कही ये बात...
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने लंदन में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, "देश में चलन लगातार बढ़ा रहा है, जिसमें जटिल समाजी तथा नीतिगत मुद्दों को सुलझाने के लिए अदालतों को एकमात्र रक्षात्मक उपाय के तौर पर इस्तेमाल किया जाने लगा है...". गौरतलब है कि जस्टिस चंद्रचूड़ इसी वर्ष नवंबर में भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) बनने जा रहे हैं, और उनका कार्यकाल दो वर्ष का होगा. जस्टिस चंद्रचूड़ ने लंदन के किंग्स कॉलेज में "मानव अधिकारों की रक्षा और नागरिक स्वतंत्रता का संरक्षण: लोकतंत्र में अदालतों की भूमिका" विषय पर उनके द्वारा दिए गए एक व्याख्यान के दौरान ये टिप्पणी की.

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि देश में बढ़ती मुकदमेबाजी की प्रवृत्ति राजनीतिक संवाद में धैर्य की कमी का संकेत है. इससे अधिकारों की प्राप्ति के लिए ऐसी ढलान बन गई कि देश में अदालतें ही अधिकारों की प्राप्ति के लिए एकमात्र रास्ता समझी जाने लगी है.

उन्होंने कहा कि "जबकि सर्वोच्च न्यायालय को नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए.  निर्वाचित प्रतिनिधियों की भागीदारी की आवश्यकता वाले मुद्दों को तय करके उसे अपनी भूमिका से आगे नहीं बढ़ना चाहिए.

Advertisement

"ऐसा करना न केवल अदालत की संवैधानिक भूमिका के मार्ग से भटकना होगा बल्कि इससे वे एक लोकतांत्रिक समाज की सेवा करने के अपने मूल कार्य को भी नहीं कर सकते. इसकी वजह से जरूरत महसूस होती है लगातार विधायिका और कार्यपालिका मिलकर काम करें.

जब उनसे सुप्रीम कोर्ट ने यूपी बुलडोजर विध्वंस के मुद्दे को समय से नहीं लेने संबंधी सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वेकेशन बेंच ने मामले को प्राथमिकता से लिया. उन्होंने नोटिस जारी किया, जो कि पहला कदम है. तत्परता से सुनवाई की. 

Advertisement

अपने व्याख्यान में, उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय के कई निर्णयों पर भी चर्चा की कि कैसे उन्होंने नागरिकों के मौलिक अधिकारों के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. उन्होंने लैंगिक अधिकारों और LGBTQ अधिकारों सहित विभिन्न निर्णयों के बारे में बताया. हिजाब और अनुच्छेद 370 जैसे अन्य मामलों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मामले अभी भी अदालत में लंबित हैं और उन पर टिप्पणी करना उचित नहीं होगा.

Advertisement
Featured Video Of The Day
Allu Arjun News: Telugu Superstar का सड़क से सदन तक विरोध