आलोक वर्मा को हटाने वाले पैनल का हिस्सा नहीं बनना चाहते थे जस्टिस एके सीकरी : सूत्र

सीबीआई निदेशक के पद से आलोक वर्मा को हटाने वाले पैनल में शामिल रहे जस्टिस एके सीकरी  (AK Sikri) इस पैनल का हिस्सा नहीं बनना चाहते थे.

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जस्टिस एके सीकरी  (AK Sikri) आलोक वर्मा को हटाने वाले पैनल का हिस्सा नहीं बनना चाहते थे
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पैनल का हिस्सा नहीं बनना चाहते थे जस्टिस सीकरी
सूत्रों के मुताबिक, पीएम मोदी और मल्लिकार्जुन खड़गे को दी थी जानकारी
इसी हाईपावर पैनल ने आलोक वर्मा को हटाया था
नई दिल्ली:

सीबीआई निदेशक के पद से आलोक वर्मा को हटाने वाले पैनल में शामिल रहे जस्टिस एके सीकरी  (AK Sikri) इस पैनल का हिस्सा नहीं बनना चाहते थे. सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया कि जस्टिस सीकरी (Justice Sikri) ने इस बारे में हाईपावर पैनल के दो अन्य सदस्यों पीएम नरेंद्र मोदी और विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे से अपनी अनिच्छा व्यक्त की थी. जस्टिस सीकरी (AK Sikri)  के करीबी सूत्रों ने कहा कि, ''भविष्य में कोई भी जज इस प्रक्रिया का हिस्सा नहीं बनना चाहेगा. सभी इस प्रक्रिया में शामिल होने से बचने की कोशिश करेंगे''. आपको बता दें कि जस्टिस एके सीकरी (AK Sikri)  उस तीन सदस्यीय हाईपावर कमेटी का हिस्सा थे, जिसने सुप्रीम कोर्ट से आंशिक तौर पर राहत मिलने के दो दिनों के भीतर ही सीबीआई निदेशक के पद से आलोक वर्मा को हटा दिया था. इस प्रक्रिया में जस्टिस सीकरी का वोट निर्णायक रहा था. आपको बता दें कि आलोक वर्मा (Alok Verma) को हटाने के बाद मीडिया के कुछ हलकों में ये बात कही गई कि वर्मा के ख़िलाफ़ प्रधानमंत्री के साथ खड़े होने की वजह से जस्टिस सीकरी को फ़ायदा मिला है और सरकार ने उनके एक अंतरराष्ट्रीय ट्राइब्यूनल (CSAT) का हिस्सा बनने के लिए सहमति दे दी है.

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यह बात सामने आने के बाद विवाद शुरू हो गया. विवाद बढ़ता देख एक दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सबसे वरिष्ठ जज एके सीकरी ने कॉमनवेल्थ सेक्रेटेरिएट आर्बिट्रल ट्राइब्यूनल (Commonwealth Secretariat Arbitral Tribunal) से अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली. सूत्रों के मुताबिक जस्टिस सीकरी  (Justice AK Sikri) इन ख़बरों से काफ़ी परेशान हैं. उन्होंने विधि सचिव को एक पत्र में लिखा है कि वो हाल की कुछ घटनाओं से काफ़ी दुखी हैं. सूत्रों के मुताबिक उन्होंने लिखा कि मैंने दिसंबर में कॉमनवेल्थ सेक्रेटेरिएट आर्बिट्रल ट्राइब्यूनल के लिए अपनी सहमति दे दी थी और उसके बाद से कोई सुनवाई नहीं की.जस्टिस सीकरी (AK Sikri)  ने कहा कि मुझे बताया गया कि इस काम में प्रशासनिक विवादों का निपटारा करना होता है और उसके लिए कोई नियमित वेतन नहीं है, लेकिन हाल में जिस तरह के विवाद को हवा दी गई और जो घटनाएं हुईं उन्होंने मुझे काफ़ी दुखी कर दिया है. मैं इस ट्राइब्यूनल में जाने के लिए दी गई अपनी सहमति वापस लेता हूं. कृपया इस प्रस्ताव को आगे ना बढ़ाएं. 

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