- मांझी की पार्टी HAM ने 2020 में बिहार विधानसभा चुनाव में चार सीटें जीतीं थी और वोट शेयर 0.9 प्रतिशत था.
- मांझी एनडीए गठबंधन में इस बार बीस सीटों की मांग कर रहे हैं ताकि पार्टी को राज्यस्तरीय दर्जा मिल सके.
- मांझी का प्रभाव मुख्यतः मगध क्षेत्र में है जहां मुशहर जाति की आबादी अधिक और सीटें SC के लिए आरक्षित हैं.
Jitan Ram Manjhi: बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर एनडीए में इन दिनों काफी खींचतान देखने को मिल रही है. हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) से लेकर लोक जनशक्ति पार्टी तक सभी पार्टियां ज्यादा से ज्यादा सीटें हासिल करने के लिए प्रेशर पॉलिटिक्स की राह पर चलती नजर आ रही हैं. 20 सीटों की मांग कर जीतन राम मांझी ने सियासी हलचल बढ़ा दी है. बिहार चुनाव को लेकर जीतन राम मांझी ने अपनी हसरतें जाहिर कर दी हैं. वह अपनी पार्टी को राज्य स्तर की पार्टी का दर्जा दिलाने का सपना देख रहे हैं. लेकिन जीतन राम मांझी शायद ये भूल गए कि सियासत में हसरत नहीं, हैसियत देखी जाती है. जनता के बीच आपका कितना दबदबा है, ये देखा जाता है. क्या जीतन राम मांझी की पार्टी 'हम' की बिहार में इतनी हैसियत है कि उन्हें एनडीए गठबंधन में 20 सीटें दी जाए... आइए जानते हैं.
मांझी की ये है हसरत
जीतन राम मांझी की पार्टी हम ने 2020 में 4 सीटें मिली थीं, जिसमें उनका वोट शेयर 0.9% था. जीतन राम मांझी को 2020 में एनडीए गठबंधन में सिर्फ 7 सीटें मिली थीं. हालांकि, उनका परफॉर्मेंस बहुत अच्छा रहा था और इसमें से उन्होंने 4 सीटों पर जीत दर्ज की थी. जीतन राम मांझी का स्ट्रॉन्ग होल्ड मगध का इलाका है. मांझी के हिस्से पिछली बार आई सीटें मगध इलाके की ही थीं. लेकिन इस बार जीतन राम मांझी मगध से बाहर भी अपने पैर पसारने का मन बना रहे हैं. वह ज्यादा से ज्यादा सीटों पर लड़ अपनी पार्टी का वोट शेयर बढ़ाना चाहते हैं. ऐसे में सीट बंटवारे को लेकर एनडीए की राह आसान इस बार बिल्कुल नहीं रहने वाली है. दरअसल, मांझी से पहले चिराग पासवान लगातार ज्यादा सीटों की मांग कर रहे हैं. वहीं, उपेंद्र कुशवाहा भी सीटों को लेकर समझौते के मूड में नजर नहीं आ रहे हैं.
बिहार में सिर्फ 3% मुशहर, फिर मांझी की नैया कैसे लगेगी पार?
जीतन राम मांझी मुशहर जाति से आते हैं, जो अनुसूचित जाति में सबसे पिछड़ी जातियों में से है. जातीय जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक, इस जाति की आबादी 40 लाख है. यह आबादी का 3 प्रतिशत है. जीतन राम मांझी खुद को इस आबादी का नेता मानते हैं. मगध के इलाके में यह संख्या सर्वाधिक है. इसी इलाके में जीतन राम मांझी का सबसे अधिक प्रभाव है. इसलिए वे सबसे अधिक सीटें इसी क्षेत्र में मांग रहे हैं. पार्टी ने पिछली बार 4 में से 3 सीटें गया में ही जीती थीं. एक अन्य सीट भी जमुई की सुरक्षित सीट सिकंदरा थी जो हम के खाते में आई थी. बिहार विधानसभा की 243 में से 38 सीटें अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व हैं. इसके बड़े हिस्से पर पार्टी की नजर है. खासकर गया में, जहां जिले की 10 में से 3 सीटें अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व हैं.
मांझी की मांग से सियासी हलचल
हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के संरक्षक एवं केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने गुरुवार को नई दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में आयोजित पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में कहा कि उन्हें बिहार विधानसभा में इतनी सीटें चाहिए कि राज्यस्तरीय दल की मान्यता मिले. मांझी ने साफ कहा है कि अगर एनडीए में उनके दल को लेकर सहानुभूति और सम्मान है तो उन्हें कम से कम 20 सीटें दी जानी चाहिए. साथ ही मांझी ने कहा कि उन्हें ये बात दिल में लगती है कि 10 साल बाद भी उनकी पार्टी रजिस्टर्ड पार्टी ही है, क्योंकि जब तक कोई पार्टी विधानसभा में 7 से 8 सीटें नहीं जीत लेती, उसे राज्यस्तरीय पार्टी की मान्यता नहीं मिलती. मांझी ने साफ कर दिया है कि वह इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में कम से कम 7 से 8 सीटें जीतने की हसरत रखते हैं. लेकिन पिछली बार 7 के मुकाबले, अब 20 सीटों की मांग कर मांझी ने एनडीए का पूरा गणित बिगाड़ दिया है.
मांझी का पिछला स्ट्राइक रेट
जीतन राम मांझी की पार्टी पिछली बार 7 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. पार्टी को 4 सीटों पर जीत मिली. पार्टी को 0.89 फीसदी वोट मिले थे. एक सीट पर पार्टी की जमानत जब्त हो गई थी. पार्टी की हसरत मान्यता प्राप्त दल का सर्टिफिकेट हासिल करने की है. इसके लिए पार्टी को 7 सीटों पर जीत दर्ज करनी होगी. या फिर 6 फीसदी वोट के साथ 2 सीटें जीतना होगा. गठबंधन में रहते हुए 6 फीसदी वोट का आंकड़ा छूना संभव नहीं है, क्योंकि पार्टी को उतनी सीटें मिलेंगी नहीं. इसलिए पार्टी 7 सीटों पर जीत दर्ज करना चाहती है. इसलिए पार्टी 10 से अधिक सीटें चाहती हैं. लेकिन एनडीए गठबंधन में इतनी सीटें मिलना मुश्किल है. सूत्रों की मानें तो जीतन राम मांझी को 7 से 8 सीटें मिल सकती हैं.
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