गुजरात विधानसभा चुनाव में कई बड़े राजनीतिक चेहरों की किस्मत दांव पर लगी है, इनमें से एक हैं जिग्नेश मेवाणी. जिग्नेश वडगाम से विधायक हैं और फिलहाल कांग्रेस के गुजरात प्रदेश के कार्यकारी अध्यक्ष हैं. चुनाव लड़ने से पहले से ही वो समाज और खासकर दलितों के लिए काम करते रहे हैं. पिछली बार उन्होंने कांग्रेस के समर्थन से विधायक का चुनाव जीता था. वो गुजरात के एक बड़े दलित चेहरा हैं, और इस बार के चुनाव में भी लोगों की उनपर नजर रहेगी.
जिग्नेश मेवाणी का जन्म 11 दिसंबर 1980 को गुजरात के मेहसाना में हुआ था. उनके पिता नगर निगम में काम करते थे. उन्होंने अहमदाबाद का दलित बहुल क्षेत्र मेघानीनगर को अपना कर्मक्षेत्र बनाया और लोगों के लिए काम किया. जिग्नेश ने महात्मा गांधी से प्रेरणा लेकर गुजरात में दलित अस्मिता यात्रा भी निकाली थी. उन्होंने 20 हजार दलितों को एक साथ मैला नहीं ढोने और मरे जानवर नहीं उठाने को लेकर शपथ दिलाई थी.
समाज सेवक बनने से पहले उन्होंने पत्रकारिता की पढ़ाई की. उसके बाद लॉ कॉलेज से भी डिग्री ली और गुजरात हाईकोर्ट के वकील बने. उन्होंने समय-समय पर गुजरात में कई संगठनों में शामिल होकर दंगा पीड़ितों के लिए लड़ाई लड़ी. उन्होंने दलित आंदोलन के दौरान प्रदेश में अपनी पहचान बनाई.
2016 में ऊना शहर में दलितों के साथ मारपीट की घटना के बाद जिग्नेश मेवाणी बड़ा चेहरा बन गए. उन्होंने इसके बाद ऊना दलित अत्याचार लड़ाई समिति के गठन के साथ 30 संगठनों को एक मंच पर लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इसके बाद वो राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा दलित चेहरा बन गए.
2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में जिग्नेश मेवाणी ने पहली बार बनासकांठा के वडगाम(सु) सीट से कांग्रेस के समर्थन से चुनाव लड़ा और 18 हजार वोटों से जीत हासिल की. इस तरह उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआता की. पिछले चुनाव में हार्दिक पटेल और अल्पेश ठाकुर के साथ युवा तिकड़ी बनाकर बीजेपी को टक्कर देने वाले जिग्नेश मेवाणी इस बार अकेले हैं. क्योंकि हार्दिक पटेल और अल्पेश ठाकुर बीजेपी में शामिल हो गए हैं.
एक बार फिर से जिग्नेश मेवाणी वडगाम(सु) सीट से इस बार कांग्रेस के टिकट चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं.