इसी हफ्ते शुरू हो सकता है झारखंड का दूसरा ग्राम न्यायालय, इस कानून का क्या है उद्देश्य

लोगों को उनके घर के पास ही न्याय उपलब्ध कराने के लिए केंद्र सरकार ने 2008 में ग्राम न्यायालय अधिनियम 2008 पारित किया था. यह कानून दो अक्टूबर 2009 को लागू किया गया था. देश में अबतक 309 ग्राम न्यायालय काम करना शुरू कर चुके हैं.

विज्ञापन
Read Time: 4 mins
नई दिल्ली:

झारखंड का दूसरा ग्राम न्यायालय रांची जिले के मांडर ब्लॉक में खुलने वाला है. राज्य का पहला ग्राम न्यायालय कोडरमा जिले के तिलैया में 27 फरवरी 2016 को शुरू हुआ था. राज्य के दूसरे ग्राम न्यायालय का उद्घाटन झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस इसी हफ्ते कर सकते हैं.प्रदेश में इस तरह के छह ग्राम न्यायालय खोले जाने है.लेकिन अबतक केवल एक ग्राम न्यायालय ही काम कर रहा है.ग्राम न्यायालय खोलने का मकसद लोगों को स्थानीय स्तर पर ही न्याय दिलाने की है.इससे बड़ी अदालतों का बोझ भी कम होगा. इसी को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने 2008 में इससे जुड़ा कानून पारित किया था. 

झारखंड में कहां खुलेगा ग्राम न्यायालय

मांडर में खुलने वाले ग्राम न्यायालय की इमारत पिछले करीब दो साल से उद्घाटन के इंतजार में है.मांडर के पुराने प्रखंड और अंचल कार्यालय का जीर्णोद्धार कर ग्राम न्यायालय बनाया गया है. प्रखंड और अंचल कार्यालय को नई इमारत में ले जाया गया है. मांडर में ग्राम न्यायालय खुल जाने के बाद से पुलिस अधिकारियों को भी राहत मिलेगी. उन्हें दूर-दूराज के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे. इससे उनको काम करने में भी सुविधा होगी.

इस ग्राम न्यायालय में सभी तरह के मुकदमों की सुनवाई होगी. इस न्यायालय में ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट की अदालत होगी. इसके अलावा महिला और पुरुषों के लिए अलग-अलग हाजत, नजारत, अभिलेख कक्ष, मध्यस्थता कक्ष भी बनाया गया है.पैरा-लीगल वालंटियर्स के लिए भी अलग से कमरा होगा.

Advertisement

संसद ने कब बनाया था कानून

लोगों को उनके घर के पास ही न्याय उपलब्ध कराने के लिए विधि आयोग ने अपनी 114वीं रिपोर्ट में ग्राम न्यायालयों की स्थापना की सिफारिश की थी. संसद ने ग्राम न्यायालय अधिनियम 2008 को 22 दिसंबर 2008 को पारित किया था.इसके तहत राज्यों को अपने यहां ग्रामीण न्यायालय गठित करने थे. यह कानून दो अक्टूबर 2009 को लागू किया गया था. इसे नगालैंड, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और संविधान की छठवीं अनुसूची के पार्ट एक, दो, दो बी और तीन में दिए असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम के जनजातिय इलाकों को छोड़कर पूरे देश में लाग किया जाना था. 

Advertisement

इन ग्राम न्यायालयों को ग्राम पंचायत स्तर पर या कई ग्राम पंचायतों के स्तर पर स्थापित किया जाना है. न्यायधीश इन ग्राम न्यायालय में जाकर सुनवाई करेंगे और फैसला सुनाएंगे.ये ग्राम न्यायालय आपराधिक मामलों, दीवानी मुकदमों, दावों या विवादों की सुनवाई करेंगे. ये मामले इस कानून की पहली अनुसूची और दूसरी अनुसूची में दिए गए हैं.इन अदालतों में विवादों का निपटारा जहां तक ​​संभव हो पक्षों के बीच आपसी सहमति से होगा. 

Advertisement

अभी देश में कितने ग्राम न्यायालय काम कर रहे हैं

बेवसाइट के मुताबिक सबसे अधिक 113 ग्राम न्यायालय उत्तर प्रदेश में अधिसूचित किए गए हैं. लेकिन इनमें से केवल 92 ही काम कर रहे हैं. इस मामले में सबसे आगे मध्य प्रदेश है. वहां 89 ग्राम न्यायालय अधिसूचित किए गए हैं और सभी काम भी कर रहे हैं. 

Advertisement

केंद् सरकार के कानून मंत्रालय की बेवसाइट के मुताबिक देश में अबतक 481 ग्राम न्यायालय अधिसूचित किए गए हैं. लेकिन अभी केवल 309 ग्राम न्यायालय की काम कर रहे हैं. इन न्यायालयों की स्थापना पर अबतक 83.40 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं.

न्याय देने के मामले में ये ग्राम न्यायालय आम अदालत से पीछे नहीं हैं. इन न्यायालयों में हजारों की संख्या में मामले लंबित हैं. उत्तर प्रदेश के ग्राम न्यायालयों में 37773 मामले दर्ज हुए. इनमें से केवल 1691 मामलों का निपटारा हुआ. यूपी के ग्राम न्यायालयों में अभी भी 36082 अभी भी लंबित हैं.वहीं हरियाणा में 570 मामले दर्ज हुए और सभी के सभी मामले लंबित हैं.  

ये भी पढ़ें: स्मृति इरानी ने खाली किया दिल्ली वाला बंगला, क्या होगा नया पता?

Featured Video Of The Day
Parliament: दो BJP सांसद हुए घायल, Case दर्ज करवाने पहुंचे Bansuri Swaraj और Anurag Thakur
Topics mentioned in this article