पूरे देश में जहां कोरोना (Coronavirus) महामारी में ऑक्सीजन (Oxygen) की किल्लत के चलते सांसों के डोर टूटती जा रही हैं और अपनों का साथ छूट रहा है वहीं कई राज्य को ऑक्सीजन देने वाले झारखंड (JKharkhand) के बोकारो में भी आज ऑक्सीजन की कमी के चलते एक व्यक्ति की मौत हो गई. उसके परिजन सांस लेने में दिक्कत होने पर उसको लेकर ऑक्सीजन के लिए रात भर इधर से उधर एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल भटकते रहे लेकिन ऑक्सीजन नहीं मिलने से उसकी मौत हो गई.
कोरोना महामारी की इस घड़ी में कई नर्सिंग होम व हॉस्पिटल आपदा को एक अवसर मानकर रुपये कमाने में जुटे हुए हैं. ऐसा ही एक मामला चास के वंशीडीह स्थित पुरूलिया रोड पर स्थित मदर टेरेसा मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में देखने को मिला. हॉस्पिटल का नाम सुनकर तो ऐसा लगता है कि यह हॉस्पिटल तमाम तकनीकी सुविधाओं से लैस है. इस तरह के अस्पतालों का अपना एक नेटवर्क होता है. सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में घुमने वाले झोलाछाप डॉक्टर दो पैसे के कमीशन के चक्कर में मरीजों को ऐसे ही अस्पतालों का पता बतातें हैं.
मदर टेरेसा मेमोरियल हॉस्पिटल में मंगलवार को रात्रि में गोमिया से 72 वर्षीय गोविंद प्रसाद जायसवाल को गंभीर अवस्था में उसके परिजन लेकर पहुंचे. हॉस्पिटल के स्टाफ व अन्य कर्मचारियों ने मरीज को भर्ती कर लिया. कुछ ही देर बाद मरीज की स्थिति और बिगड़ने लगी. तब अस्पताल के डॉक्टर ने मरीजों के परिजनों को बताया कि उनके अस्पताल में ऑक्सीजन नहीं है, किसी अन्य अस्पताल में ले जाएं. अंततः मरीज के परिजन मरीज को लेकर अन्य अस्पतालों के चक्कर लगाने लगे लेकिन कहीं भी बेड खाली नहीं मिला. इसी दौरान मरीज की मौत हो गई.
घटना के बाद परिजनों ने हॉस्पिटल में जमकर हंगामा किया. हॉस्पिटल के एचओडी अभिजीत सरकार ने बताया कि उनके हॉस्पिटल में वेंटिलेटर की व्यवस्था नहीं है. कोविड-19 वैश्विक महामारी के चलते पूरे देश में ऑक्सीजन की किल्लत होने लगी है. ऑक्सीजन किल्लत के चलते मौतें हो रही हैं.
बोकारो स्टील प्लांट पूरे देश में ऑक्सीजन की मची हाहाकार को देखते हुए कमर कसकर मैदान में कूद पड़ा है और हर राज्य को ऑक्सीजन देकर संजीवनी का काम कर रहा है. रेल और सेल के सहयोग से आज रेल मार्ग से पहली खेप बोकारो से लखनऊ गई. ऑक्सीजन के 3 टैंकरों में 50 टन ऑक्सीजन आज रवाना की गई. जब उसी बोकारो में लोगों की ऑक्सीजन की कमी के चलते मौत होने लगे तो क्या कहेंगे.
इस घटना के बाद जिला प्रशासन की नींद टूटी है और इसको मानवीय चूक मानकर जांच करने की बात कह रहे हैं. हालांकि अधिकारी अपने कर्तव्यों से पाल्ला झाड़ते नजर आ रहे हैं. सवाल ये खड़ा होता है कि बगैर वेंटिलेटर का यह हॉस्पिटल कैसे चल रहा है?