"किस्मत वालों को..." : मेरठ में SP उम्मीदवार बदलने पर जयंत चौधरी का अखिलेश यादव पर तंज

रिपोर्ट्स के मुताबिक, समाजवादी पार्टी मेरठ से अपना उम्मीदवार दूसरी बार बदल सकती है, अब अतुल प्रधान की जगह सुनीता वर्मा को टिकट दिया जा सकता है.

विज्ञापन
Read Time: 4 mins
नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश की मेरठ लोकसभा सीट (Meerut Lok Sabha seat) से समाजवादी पार्टी द्वारा दूसरी बार अपने उम्मीदवार की जगह लेने की अटकलों के बीच राष्ट्रीय लोक दल के प्रमुख जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary) ने पूर्व सहयोगी अखिलेश यादव पर तंज कसा है. जयंत चौधरी ने (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में लिखा है. "विपक्ष में क़िस्मत वालों को ही कुछ घंटों के लिए लोक सभा प्रत्याशी का टिकट मिलता है! और जिनका टिकट नहीं कटा, उनका नसीब…"

रिपोर्ट्स के मुताबिक, समाजवादी पार्टी मेरठ से अपना उम्मीदवार दूसरी बार बदल सकती है, अब अतुल प्रधान की जगह सुनीता वर्मा को टिकट दिया जा सकता है. पार्टी ने पिछले हफ्ते भानु प्रताप सिंह को इस सीट से उतारने का ऐलान किया था, लेकिन स्थानीय नेताओं की नाराजगी को देखते हुए फैसला बदला गया.

क्यों बदले गए उम्मीदवार? 
सूत्रों के मुातबिक,  पहली बार बदले गए उम्मीदवार के फैसले में अखिलेश यादव खुद भी शामिल थे. सपा प्रमुख ने स्थानीय नेताओं से मिलने और उनकी बात सुनने के बाद यह फैसला लिया था. पार्टी की दूसरी पसंद - अतुल प्रधान - यूपी की सरधना विधानसभा सीट से विधायक हैं. वहीं, मेरठ सीट के उम्मीदवार के लिए तीसरी पसंद - सुनीता वर्मा - पूर्व मेयर हैं और दो बार के विधायक योगेश वर्मा की पत्नी हैं. दोनों को 2019 में मायावती की बहुजन समाज पार्टी से निकाल दिया गया था और दो साल बाद सपा में शामिल हो गए थे.

दलित वोट पर है समाजवादी पार्टी की नजर
सुनीता वर्मा को मैदान में उतारने के पीछे की वजह उनका दलित समुदाय से ताल्लुक रखने को देखा जा रहा है, मेरठ में दलित समुदाय की आबादी करीब चार लाख है. वहीं, अतुल प्रधान गुर्जर समुदाय से हैं, जिनकी संख्या एक लाख से भी कम है.  मेरठ सीट पिछले 15 वर्षों से भाजपा का गढ़ रही है. साल 2009 से भाजपा के राजेंद्र अग्रवाल ने इस सीट से सांसद हैं. लेकिन इस बार भाजपा ने राजेंद्र अग्रवाल को टिकट देने की बजाय लोकप्रिय टीवी सीरियल 'रामायण' में भगवान राम की भूमिका निभाने वाले अरुण गोविल को मैदान में उतारा है.

Advertisement

2019 में बीजेपी का अच्छा नहीं रहा था प्रदर्शन
गोविल को एक सोची समझी रणनीति के तहत उतारा गया है, ताकि उनके जरिए पश्चिमी यूपी के वोटों को साधा जा सके, जहां 2019 में बाकि जगहों की तुलना में भाजपा का अच्छा प्रदर्शन नहीं था.  जयंत चौधरी के आने से भी भाजपा की उस रणनीति के कामयाब होने की संभावना बढ़ जाती है, जयंत चौधरी पश्चिमी यूपी में जाटों और किसानों के बीच अच्छी पकड़ है. जयंत चौधरी पहले अखिलेश यादव के साथ गठबंधन में थे, लेकिन बाद में उन्होंने भाजपा के साथ गठबंधन कर लिया. जयंत चौधरी के दादा पूर्व प्रधानमंत्री चरण सिंह को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किए जाने के फैसले के बाद जयंत ने भाजपा के साथ जाने का ऐलान किया.

Advertisement

पश्चिमी यूपी की 27 में से 19 सीटों पर बीजेपी को मिली थी जीत
बता दें, 2019 के चुनाव में बीजेपी ने पश्चिमी यूपी की 27 लोकसभा सीटों में से केवल 19 सीटें जीतीं, वहीं 2014 में यह आंकड़ा 24 था.  भाजपा ने 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए 370 सीटों का टारगेट रखा है. इस टारगेट को हासिल करने के लिए भाजपा को यूपी में अपनी पुरानी सीटें बचाने के साथ ही और ज्यादा सीटें अपने खाते में करनी होंगी. उत्तर प्रदेश में 80 लोकसभा सीटें हैं. इन 80 सीटों में से दो बिजनौर और बागपत सीट पर आरएलडी अपने उम्मीदवार उतारेगी. बिजनौर से चंदन चौहान और बागपत से राजकुमार सांगवान को मैदान में उतारा गया है. इस क्षेत्र को आरएलडी के गढ़ के तौर पर देखा जाता है, यहां से जयंत चौधरी के पिता अजित चौधरी ने सात बार चुनाव जीता है.

Advertisement

ये भी पढ़ें-: 

भारतीय वायुसेना के अपाचे हेलीकॉप्टर की लद्दाख में इमरजेंसी लैंडिंग, इस वजह से हुआ नुकसान

Featured Video Of The Day
Digital Arrest: Bengaluru में इंजीनियर को डिजिटल अरेस्ट किया और 12 करोड़ ठग लिए | Metro Nation @10
Topics mentioned in this article