तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री जयललिता के मृत्यु के बाद उनके इलाज में अनियमितता को लेकर कई सवाल उठे थे. इस पर सियासत भी खूब हुई थी. अब इस पर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) की एक रिपोर्ट आई है. एम्स के डॉक्टरों के एक पैनल की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री जयललिता को दिया गया उपचार "सही चिकित्सा पद्धति के अनुसार था. साथ ही उनके देखभाल में कोई त्रुटि नहीं" पाई गई है. इससे अपोलो अस्पताल को राहत मिली है, जहां जयललिता भर्ती थीं.
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद अरुमुघस्वामी आयोग (Arumughaswamy Commission) की सहायता के लिए एम्स पैनल का गठन किया गया था. बता दें कि दिसंबर 2016 में जयललिता के निधन के बाद उनकी मृत्यु के कारणों और उनके अस्पताल में भर्ती होने के दौरान की जाने वाली चिकित्सा प्रक्रियाओं पर सियासत शुरू हो गई थी.
तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम ने उनकी मृत्यु के बाद जांच का अनुरोध किया था, जिसके कारण अरुमुघस्वामी आयोग का गठन हुआ था. 2019 में, अपोलो अस्पताल ने जांच पैनल की कार्यवाही पर अंतरिम रोक लगाने की मांग करते हुए मद्रास उच्च न्यायालय का रुख किया. मद्रास उच्च न्यायालय ने जांच आयोग की आपत्तियों पर अपोलो अस्पताल की याचिका खारिज कर दी थी.
इसके बाद अपोलो ने मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने एम्स को जयललिता को प्रदान किए गए चिकित्सा उपचार को समझने के लिए अरुमुघस्वामी आयोग की सहायता के लिए एक मेडिकल बोर्ड स्थापित करने का आदेश दिया.
मेडिकल रिकॉर्ड के आधार पर, श्वसन संक्रमण के साथ बैक्टीरिया और सेप्टिक शॉक का फाइनल डायग्नोसिस किया था. हार्ट फेलियर के भी सबूत थे. भर्ती के दौरान उन्हें अनियंत्रित डायबिटिज था, जिसका इलाज किया गया. हाइपरटेंशन, हाइपर थायरायड, इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम जैसी चीजों की भी हिस्ट्री थी. एम्स के मेडिकल पैनल ने कहा है कि वह फाइनल डायग्नोसिस से सहमत हैं.
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