सीबीआई ने गन लाइसेंस की अवैध बिक्री के मामले में आज सुबह श्रीनगर में जम्मू-कश्मीर के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी शाहिद इकबाल चौधरी के आवास सहित 22 ठिकानों पर छापेमारी की. चौधरी वर्तमान में जम्मू-कश्मीर में जनजातीय मामले के सचिव और सीईओ मिशन यूथ हैं. उन्होंने पूर्व में कठुआ, रियासी, राजौरी और उधमपुर जिलों के उपायुक्त के रूप में सेवाएं दी हैं. इस दौरान कथित तौर पर उन्होंने अन्य राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लोगों को फर्जी नामों पर हजारों लाइसेंस जारी किए. केंद्रीय एजेंसी कम से कम आठ पूर्व उपायुक्तों की जांच कर रही है.
2012 के बाद से जम्मू-कश्मीर से दो लाख से अधिक बंदूक लाइसेंस अवैध रूप से जारी किए गए हैं. इसे भारत का सबसे बड़ा गन लाइसेंस रैकेट माना जा रहा है.
पिछले साल आईएएस अधिकारी राजीव रंजन समेत दो अधिकारियों को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था. रंजन और इतरत हुसैन रफीकी ने कुपवाड़ा जिले के उपायुक्त के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान कथित रूप से अवैध रूप से कई ऐसे लाइसेंस जारी किए.
पिछले साल फरवरी में एजेंसी ने एक निजी व्यक्ति को गिरफ्तार किया था जो "लोक सेवकों सहित अन्य सह-आरोपियों के साथ विभिन्न वित्तीय लेनदेन में शामिल था".
सीबीआई पहले कह चुकी है कि उसने इस मामले में "गहरी जड़ें जमाने वाली साजिश" का खुलासा किया है.
इस घोटाले का पता पहली बार 2017 में राजस्थान के आतंकवाद निरोधी दस्ते ने लगाया था, जब उन्होंने रंजन के भाई और गन डीलरों के लिए बिचौलिए के रूप में काम करने वाले अन्य लोगों को गिरफ्तार किया था.
हालांकि, तत्कालीन जम्मू-कश्मीर सरकार ने सतर्कता जांच की आड़ में आरोपियों की रक्षा की. तत्कालीन राज्यपाल एनएन वोहरा ने जब पाया कि यह घोटाला जम्मू-कश्मीर के सरकारी अधिकारियों द्वारा चलाया जा है तब उन्होंने इस मामले को सीबीआई को सौंप दिया था.