Jammu Kashmir Election Results 2024: कैसा रहा जमात-ए-इस्लामी समर्थित उम्मीदवारों का प्रदर्शन, जानें एक-एक सीट का हाल

जमात-ए-इस्लामी समर्थक उम्मीदवार लंगेट, सोपोर, बारामुला, बांदीपोरा, बीरवाह, पुलवामा, जैनापोरा, कुलगाम और देवसर से चुनाव मैदान में हैं.कुछ सीटों पर दोनों दलों में दोस्ताना मुकाबला भी है. इस सीटों पर दोनों के उम्मीदवार खड़े हैं.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
नई दिल्ली:

जम्मू कश्मीर विधानसभा सीट के नतीजे आज आएंगे. पूरी दुनिया की निगाहें जम्मू कश्मीर के लोगों के फैसले पर लगी हुई हैं. ऐसा इसलिए की राज्य में 10 साल बाद विधानसभा के चुनाव कराए गए हैं. जम्मू कश्मीर को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख नाम के दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट देने के बाद यह पहला चुनाव है. इसलिए भी लोग जानना चाहते हैं कि कश्मीरी अवाम का फैसला क्या है और उसने किसे अपना रहनुमा चुना है. जम्मू कश्मीर में मुख्य मुकाबला नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस-माकपा गठबंधन, बीजेपी और पीडीपी के बीच है. लेकिन कई इलाकों में निर्दलीय और छोटे दल भी बड़ी भूमिका निभाते हुए दिख रहे हैं.इन्हीं में से एक है जमात-ए-इस्लामी. केंद्र सरकार ने इस संगठन पर 2019 में देश विरोधी गतिविधियों में शामिल रहने के आरोप में पाबंदी लगा दी थी. इसे इस साल फरवरी में पांच और साल के लिए बढ़ा दिया गया. इस बार जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव में जमात-ए-इस्लामी ने नौ सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए हैं. आइए देखते हैं कि उन सीटों का क्या हाल है, जहां से जमात-ए-इस्लामी चुनाव मैदान में है.

कहां से चुनाव लड़ रहे हैं जमात-ए-इस्लामिक समर्थक

जमात-ए-इस्लामी समर्थक उम्मीदवार लंगेट, सोपोर, बारामुला, बांदीपोरा, बीरवाह, पुलवामा, जैनापोरा, कुलगाम और देवसर से चुनाव मैदान में हैं.कुछ सीटों पर दोनों दलों में दोस्ताना मुकाबला भी है. इस सीटों पर दोनों के उम्मीदवार खड़े हैं.ये सीटें उत्तर और दक्षिण कश्मीर दोनों में हैं.इस चुनाव के लिए जमात ने इंजीनियर रशीद की अवामी इत्तिहाद पार्टी से गठबंधन किया था. इंजीनियर रशीद को चुनाव से पहले ही एक महीने के लिए जेल से जमानत मिली है. वो आतंक को वित्तपोषण के आरोप में जेल में बंद थे. दिल्ली की तिहाड़ जेल से रिहा होने के बाद इंजीनियर ने गठबंधन के उम्मीदवारों के प्रचार में जमकर पसीना बहाया है. 

जमात-ए-इस्लामी की राजनीति

जमात-ए-इस्लामी जम्मू कश्मीर का एक सामाजिक राजनीतिक संगठन है. इसने 1987 के चुनाव से पहले तक चुनाव में हिस्सा लिया था. लेकिन चुनाव में धांधली का आरोप लगाकर उसने चुनाव में हिस्सा लेना बंद कर दिया था.करीब 37 साल बाद यह पहली बार है कि जमात पर्दे के पीछे से ही सही चुनाव में हिस्सा ले रही है.जमात ए इस्लामी कश्मीर समस्या के समाधान के लिए भारत, पाकिस्तान और कश्मीरियों के साथ बातचीत की हिमायती रही है.

Advertisement

ये भी पढ़ें: हरियाणा में किसकी बनेगी सरकार? 8 बजे शुरू होगी मतगणना, सुरक्षा के कड़े इंतजाम; पढ़ें 10 बड़ी बातें

Advertisement
Featured Video Of The Day
UP Board Result 2025: Class 10th and 12th Results Date Announced! Official Site, Digilocker के अलावा NDTV पर करें चेक