जम्मू कश्मीर में वामपंथ का किला है कुलगाम,CPM के यूसुफ तारिगामी को इनसे मिल रही है चुनौती

दक्षिण कश्मीर की कुलगाम विधानसभा सीट को जम्मू कश्मीर में वामपंथ का गढ़ माना जाता है. सीपीएम के मोहम्मद यूसुफ तारिगामी इस सीट से 1996 से जीतते चले आ रहे हैं. हालांकि 2014 के चुनाव में उन्हें पीडीपी से तगड़ी चुनौती मिली था. कैसा है इस बार का मुकाबला.

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नई दिल्ली:

जम्मू कश्मीर की कुलगाम विधानसभा सीट को कश्मीर में वामपंथ का गढ माना जाता है.यहां से माक्सर्वादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) के मोहम्मद यूसुफ तारिगामी 1996 से विधायक चुने जा रहे हैं.तारिगामी एक बार फिर चुनाव मैदान में हैं. उन्हें नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के गठबंधन का समर्थन हासिल है.सीपीएम के तारिगामी समेत पीडीपी, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस, अपनी पार्टी, पैंथर्स पार्टी भीम और पांच निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में हैं.कुलगाम में विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 18 सितंबर को मतदान होगा.कुलगाम में कुल एक लाख 17 हजार 322 मतदाता हैं. इनमें 58 हजार 477 पुरुष और 58 हजार 845 महिलाएं हैं.ये मतदाता 134 मतदान केंद्रों पर अपने अगले विधायक का चुनाव करेंगे. 

कुलगाम के मैदान में कौन कौन है

कुलगाम में इस बार का मुकाबला  सीपीएम के तारिगामी, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के नजीर अहमद लावे और  प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार सयार अहमद रेशी के बीच माना जा रहा है.

कुलगाम में चुनाव प्रचार करते मोहम्मद यूसुफ तारिगामी.

साल 2014 के चुनाव में तारिगामी एक बहुत ही कड़े मुकाबले में  नजीर अहमद लावे से 334 वोट से जीते थे. लावे उस चुनाव में पीडीपी के टिकट पर चुनाव मैदान में थे.लावे ने 2008 के चुनाव में भी तारिगामी को कड़ी टक्कर दी थी. पीडीपी ने लावे की लोकप्रियता को देखते हुए राज्य सभा भेजा था. लेकिन 2019 के बाद उन्होंने पीडीपी छोड़कर सज्जाद लोन के नेतृत्वाली पीपुल्स कॉन्फ्रेंस ज्वाइन कर ली थी. 

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कुलगाम में जमात-ए-इस्लामी का प्रदर्शन

इस बार निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में चुनौती दे रहे सयार अहमद रेशी संविदा शिक्षक के रूप में पिछले 12 साल से काम कर रहे हैं.वो प्रतिबंधित संगठन जमात-ए-इस्लामी के स्कूलों के नेटवर्क से जुड़े हुए थे.वो अपने इलाके के मतदाताओं से बदलाव के नाम पर वोट मांग रहे हैं. वो जमात की ओर से किए गए कार्यों के नाम पर भी वोट की अपील करते हैं.वो राजनीतिक कैदियों की रिहाई का मुद्दा भी उठा रहे हैं.कुलगाम में जमात का अपना प्रभाव रहा है.इससे पहले यहां चुनाव बहिष्कार की अपीलें की जाती रही हैं.पाबंदी के बाद जमात अपरोक्ष रूप से चुनाव मैदान में है. कई सीटों पर जमात के समर्थन वाले उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं. 

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सयार अहमद रेशी

इन तीनों के अलावा पीडीपी के मोहम्मद आमिन डार, अपनी पार्टी के मोहम्मद आकिब डार, पैंथर्स पार्टी भीम के सुदर्शन सिंह भी चुनाव मैदान में ताल ठोक रहे हैं. 

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कुलगाम पर तारिगामी की पकड़

कुलगाम में सभी पार्टियों का मुकाबला सीपीएम के तारिगामी से है. 1996 से लगातार प्रतिनिधित्व की वजह से इलाके में उनकी मजबूत पकड़ है.इस बार नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के गठबंधन ने तारिगामी को समर्थन दिया है.इससे उनके हौसले बुलंद हैं. साल 2014 के चुनाव में तारिगामी ने पीडीपी के लावे को 334 वोट से हराया था. तारिगामी को 20 हजार 574 और लावे को 20 हजार 240 वोट मिले थे. कांग्रेस उम्मीदवार पीर नाजिमउद्दीन को 519 और बीजेपी के गुलाम हसन जरगर को 1944 वोट मिले थे.

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चुनाव प्रचार करते नजीर अहमद लावे.

कुलगाम सीट अनंतनाग-रजौरी लोकसभा सीट के तहत आती है.इस साल हुए लोकसभा चुनाव में कुलगाम विधानसभा सीट पर नेशनल कॉन्फ्रेंस को 19 हजार से अधिक वोट मिले थे. वहीं पीडीपी डेढ हजार वोट भी नहीं हासिल कर पाई थी. अपनी पार्टी को दो हजार से अधिक वोट मिले थे.लोकसभा चुनाव में भी नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस एक साथ मिलकर लड़े थे. उन्हें सीपीएम का समर्थन हासिल था.इस विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन ने कुलगाम सीट सीपीएम के लिए छोड़ी है.

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