वीरता और मेधावी सेवाओं के लिए प्रदान किए जाने वाले जम्मू-कश्मीर पुलिस के मेडल में अब शेख मोहम्मद अब्दुल्ला (Sheikh Abdullah)की उभरी हुई छवि नहीं होगी जिन्होंने देश के विभाजन के बाद कश्मीर के भारत में 'प्रवेश' में अहम भूमिका निभाई थी.जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने न केवल पूर्व मुख्यमंत्री शेख अब्दुल्ला की तस्वीर को राष्ट्रीय प्रतीक से बदलने का फैसला किया है बल्कि शेख अब्दुल्ला पर नाम वाले 'शेर-ए-कश्मीर' मेडल का नाम बदलकर जम्मू-कश्मीर पुलिस मेडल कर दिया है. प्रशासन के इस कदम की शेख अब्दुल्ला द्वारा स्थापित की गई नेशनल कॉन्फ्रेंस सहित अन्य क्षेत्रीय पार्टियों ने तीखी आलोचना की है. फैसले की आलोचना कारने वाली पार्टियों में नेशनल कॉन्फ्रेंस की लंबे समय तक प्रतिद्वंद्वी रही पीपुल्स डेमाक्रेटिक पार्टी (PDP)शामिल है.
गौरतलब है कि शेख अब्दुल्ला ने 1947 में दो राष्ट्र सिद्धांत को खारिज कर दिया और यह सुनिश्चित किया कि यह मुस्लिम बहुल क्षेत्र , भारत को हिस्सा बन जाए. शेख अब्दुल्ला की तस्वीर को बदलने का आदेश जम्मू-कश्मीर के गृह विभाग की ओर से जारी किया गया है. इसमें कहा गया है, "मेडल के एक ओर शेर-ए-कश्मीर शेख मोहम्मद अब्दुल्ला की उभरी हुई छवि को भारत सरकार के प्रतीक चिह्न से रिप्लेस किया जाएगा."
गौरतलब है शेख अब्दुल्ला, भारतीय संघ में कश्मीर के प्रवेश के प्रणेता रहे हैं. इसके अलावा उन्हें अपने वालंटियर्स की मदद से अक्टूबर 1947 में कश्मीर पर कब्जे का प्रयास करने वाले पाकिस्तानी हमलावरों के हमले को विफल करने का श्रेय भी दिया जाता है. शेख पाकिस्तानी हमलावरों के खिलाफ उस समय भी मजबूती से खड़े रहे थे जब हमलावरों के आक्रमण के बाद महाराजा हरिसिंह कश्मीर से भाग गए थे. शेख अब्दुल्ला ने मोहम्मद अली जिन्ना के धर्म के आधार पर भारत को विभाजित करने के दो राष्ट्र सिद्धांत (Two-nation theory) का डटकर विरोध किया था और धर्मनिरपेक्ष राज्य (secular state) का हिस्सा बनने का फैसला किया था. जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दलों का मानना है कि शेख अब्दुल्ला की तस्वीर हटाने और पुलिस मेडल का नाम बदलने से उनके योगदान को 'मिटाया' नहीं जा सकता.
नेशनल कांफ्रेंस ने जम्मू-कश्मीर पुलिस पदक से पार्टी के संस्थापक शेख अब्दुल्ला की तस्वीर हटाए जाने को इतिहास मिटाने का कुटिल प्रयास करार दिया और कहा कि वह लोगों के दिलों पर राज करते रहेंगे.नेशनल कांफ्रेंस के प्रदेश प्रवक्ता इमरान नबी डार ने यहां कहा, ‘‘हम राष्ट्रीय प्रतीकों का पूरा सम्मान करते हैं, हमारे इतिहास, पहचान और प्रतीक को मिटाने का ये प्रयास कुटिलता को दर्शाता है.''डार ने कहा कि नाम बदलने से कुछ नहीं बदलेगा और नेशनल कांफ्रेंस के संस्थापक व पूर्व मुख्यमंत्री शेख अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के लोगों के दिलों पर राज करते रहेंगे.प्रवक्ता ने कहा, ''जम्मू-कश्मीर के लोग जहां खड़े हैं, वहां तक पहुंचने के लिये उन्होंने कई मोर्चों पर संघर्ष किया है. उन्होंने उत्पीड़न, निरंकुशता से लड़ाई लड़ी. कोई भी इस सच्चाई को नहीं बदल सकता. नाम बदलने से भी यह नहीं बदलने वाली. शेख साहब जम्मू-कश्मीर के लोगों के दिलों पर राज करते रहेंगे.''गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर सरकार ने सोमवार को घोषणा की थी कि जम्मू-कश्मीर पुलिस वीरता एवं सराहनीय सेवा पदकों पर से 'शेर-ए-कश्मीर' के नाम से मशहूर नेशनल कांफ्रेंस के संस्थापक शेख अब्दुल्ला की तस्वीर हटाकर उसकी जगह राष्ट्रीय प्रतीक उकेरा जाएगा. पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने भी कहा कि अब्दुल्ला की शख़्सियत बहुत ऊंची है और पदक से उनके नाम को बदलने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा. (भाषा से भी इनपुट)
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