CM उमर अब्दुल्ला ने विधानसभा में ऐसा क्या किया कि BJP नेता भी करने लगे उनकी तारीफ, पढ़ें पूरा मामला

जम्मू-कश्मीर विधानसभा में विपक्ष के नेता और भाजपा के सुनील शर्मा ने कहा, मैं मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को धन्यवाद देता हूं. पीडीपी को आईना दिखाने के लिए मैं उनका बहुत आभारी हूं. उन्होंने उनके विधेयक को खारिज करके उनके नापाक मंसूबों को विफल कर दिया.

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जम्मू-कश्मीर: सरकारी जमीन पर बने अवैध मकानों के मालिकाना हक को मान्यता देने संबंधी निजी विधेयक खारिज.
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  • उमर अब्दुल्ला ने पीडीपी पर विधानसभा में भूमि अधिकार विधेयक लाकर राजनीतिक लाभ उठाने का आरोप लगाया.
  • विधेयक सरकारी जमीन पर अवैध मकानों के मालिकाना हक को मान्यता देने से जुड़ा था
  • भाजपा ने विधेयक को भूमि जिहाद से जोड़कर इसे रद्द करने के लिए मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की सराहना की.
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श्रीनगर:

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने मंगलवार को विपक्षी पीडीपी पर राजनीति के लिए विधानसभा में भूमि अधिकार विधेयक लाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि प्रस्तावित कानून में केंद्र शासित प्रदेश के निवासियों के लिए कोई सुरक्षा उपाय नहीं हैं. वहीं बीजेपी ने "भूमि जिहाद विधेयक" कहे जाने वाले विधेयक को रद्द करने के लिए मुख्यमंत्री की सराहना की. दरअसल जम्मू-कश्मीर विधानसभा ने सरकारी जमीन पर अवैध रूप से बने मकानों के मालिकाना हक को मान्यता देने संबंधी एक निजी विधेयक मंगलवार को खारिज कर दिया. मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि इस तरह के विधेयक से जमीन हड़पने के रास्ते खुल जाएंगे. यह विधेयक पुलवामा से पीडीपी विधायक वहीद पारा ने पेश किया था.

विधेयक में कहा गया है, 'इसका उद्देश्य केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के निवासियों को विशेष प्रावधान देना है. इस विधेयक के तहत सरकारी जमीन, कचरिया ज़मीन, साझा ज़मीन और शामलात ज़मीन (जम्मू-कश्मीर भूमि सुधार अधिनियम, 1976 की धारा 4) पर बने मकानों के मालिकों को मालिकाना हक या स्थानांतरण का अधिकार दिया जाएगा. यह कदम भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकार माने गए लोगों के आवास के अधिकार को सुरक्षित करने के लिए है.”

हालांकि, सरकार ने विधेयक का विरोध करते हुए पारा से इसे वापस लेने का अनुरोध किया. अब्दुल्ला ने कहा, ' देखने में यह आसान लगता है. अगर किसी ने सरकारी जमीन पर मकान बनाया है, तो उसे जमीन दे दीजिए. पिछली बार भी सरकार ने लीज़होल्ड को फ्रीहोल्ड में बदलने की एक योजना बनाई थी, जिसे रोशनी योजना के नाम से जाना जाता था. इसका उद्देश्य उन लोगों को फ्रीहोल्ड देना था जिनके पास आतंकवाद के चरम पर पहुंचने से पहले लीजहोल्ड था. इससे होने वाले राजस्व का इस्तेमाल बिजली उत्पादन के लिए किया जाता.'

"इस विधेयक को वापस ले लें”

उन्होंने कहा कि तत्कालीन पीडीपी-कांग्रेस गठबंधन सरकार ने आतंकवाद से पहले के खंड को हटा दिया था. मुख्यमंत्री ने कहा, 'एक विवाद हुआ और 'भूमि जिहाद' वगैरह की बातें हुईं. यह मामला अदालत में गया और हम वहां इसका बचाव नहीं कर सके. विधायक का यह प्रस्ताव रोशनी योजना से अलग है. विधेयक में कोई समय-सीमा नहीं दी गई है. हम ऐसा नहीं कर सकते. प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत भूमिहीन लोगों को जमीन देने का प्रावधान है. इसलिए, मैं सदस्य से अनुरोध करता हूं कि वे इस विधेयक को वापस ले लें.”

पारा ने विधेयक वापस लेने से इनकार कर दिया, जिसके बाद विधानसबा अध्यक्ष अब्दुल रहीम राठेर ने इस पर मत विभाजन कराया तो विधेयक को केवल तीन सदस्यों का समर्थन प्राप्त हुआ. विधेयक ध्वनिमत से खारिज कर दिया गया.

"मैं मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को धन्यवाद देता हूं"

जम्मू-कश्मीर विधानसभा में विपक्ष के नेता और भाजपा के सुनील शर्मा ने कहा "वहीद पारा द्वारा प्रस्तावित विधेयक का उद्देश्य उन लोगों की मदद करना था जिन्होंने भूमि जिहाद के हिस्से के रूप में भूमि पर कब्जा कर लिया है और जनसांख्यिकी को बदल दिया है. मैं मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को धन्यवाद देता हूं. पीडीपी को आईना दिखाने के लिए मैं उनका बहुत आभारी हूं. उन्होंने उनके विधेयक को खारिज करके उनके नापाक मंसूबों को विफल कर दिया."

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